बिना पैसा दिए ही खर्च कर डाली 30 करोड़ की बिजली

फरीदाबाद.
बिजली निगम डाल-डाल तो चोर पात-पात हैं। हर साल बिजली चोरी पर अंकुश
लगाने की योजनाएं बनती हैं। लेकिन जमीन पर वह दम तोड़ जाती हैं। लगातार
घाटे में चल रहा बिजली निगम बकायादारों की बढ़ती तादाद से आजिज आ गया है।




अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि हर साल करोड़ों रुपए की बिजली चोरी
हो जाती है। लोग बिजली प्रयोग करते हैं लेकिन पैसा नहीं देते। आंकड़ों के
मुताबिक पिछले छह वर्ष में बिना पैसा दिए ही यहां के लोगों ने करीब 30
करोड़ रुपए की बिजली फूंक दी। जितनी लागत की बिजली आपूर्ति होती है उतना
बिल नहीं होता।




भुगत रहे हैं ईमानदार उपभोक्ता




निगम के जो ईमानदार कंज्यूमर हैं और समय पर बिल जमा कराते हैं, उन्हें
दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। जो ईमानदार उपभोक्ता हैं उन्हें कई गुना
बढ़ाकर बिल भेजे जा रहे हैं। जिसे देख कर कंज्यूमर का सर चकरा जाता है। इसे
ठीक कराने के लिए कंज्यूमर अधिकारियों के चक्कर काट-काट कर परेशान हो जाता
है। उपभोक्ताओं के मुताबिक हकीकत यह है कि पहले चोरी के लिए खुली छूट दी
जाती है और जब चोरी की गई बिजली की राशि बढ़ती रहती है तो छापामारी शुरू की
जाती है।




क्या कहते हैं अधिकारी




डीएचबीवीएन फरीदाबाद सर्कल के एसई आरएन गर्ग के मुताबिक वर्ष 2010-11 में
पिछले सालों की अपेक्षा सबसे अच्छी रिकवरी हुई है। जो डिफॉल्टर निगम की
बकाया राशि नहीं जमा करा रहे हैं, उनके खिलाफ अब कानूनी ढंग से शिकंजा कसा
जा रहा है। ऐसे डिफॉल्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।




बिजली चोरों पर शिकंजा कसने के लिए निगम प्रयासरत है। इसके अलावा जिन
कंज्यूमरों पर दस हजार रुपए से अधिक का बिल बकाया है। ऐसे डिफॉल्टर पर भी
शिकंजा कसा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कंज्यूमर भी बिजली चोरी रोकने में
निगम का सहयोग करें, ताकि इस पर रोक लगाई जा सके।




बीते छह सालों में चोरी के मामलों पर कंज्यूमरों पर उक्त जुर्माना लगाया
गया। इसमें सबसे अधिक वर्ष 2008-09 में मामले पकड़े गए। जिन पर करीब 719.65
लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। छह सालों को जोड़कर बात की जाई तो अभी भी
निगम का बिजली चोरों पर 2973.27 लाख रुपए यानि करीब 30 करोड़ रुपए की राशि
बकाया है।




छह साल की बिजली चोरी से नुकसान




वित्तीय वर्ष राशि (लाख में)


2010-11 अब तक 310.44


2009-10 606.06


2008-09 719.65


2007-08 419.40


2006-07 312.63


2005-06 605.09

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