शिमला।
राष्ट्रीय महत्व की एक बड़ी जल विद्युत परियोजना किशाऊ डैम को केंद्र
सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है। दिल्ली में हुई बठक में परियोजना पर हिमाचल
प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों को मिलकर काम करने की मंजूरी दी गई है।
यह बिजली परियोजना करीब चार दशक से लंबित पड़ी थी। केंद्र सरकार के अनुसार
इस परियोजना पर दोनों राज्य मिलकर काम कर सकते हैं या फिर इसका निर्माण
किसी पब्लिक सेक्टर की कंपनी को दिया सकता है। इसमें दोनों राज्यों की
सहमति जरूरी है।
इस परियोजना में लगभग 660 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाना है। यमुना की
सहायक नदी पर परियोजना के निर्माण के बाद लगभग तीन हजार हैक्टेयर भूमि
जलमग्न हो जाएगी। परियोजना के लिए डैम उत्तराखंड में बनना प्रस्तावित है,
जबकि इसका जलअधिग्रहण क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में होगा। बांध की उंचाई करीब
236 मीटर होगी, जबकि इससे रोके जाने वाले पानी से करीब 45 किलोमीटर तक लंबा
जलाशय बनेगा, जिसका अधिकतर हिस्सा हिमाचल की सीमा में होगा।
केंद्र से मिलेगी 90 फीसदी सब्सिडी: परियोजना निर्माण के लिए 90 फीसदी
अनुदान केंद्र द्वारा दिया जाएगा। बाकी दस फीसदी राशि संबधित राज्यों की ओर
से वहन की जानी है। परियोजना के निर्माण पर लगभग 11 हजार करोड़ रुपए की
लागत आएगी, जिससे लगभग 1900 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष पैदा होगी।
भूकंप संवेदनशील था क्षेत्र
1965 मंे इस प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए पहली डीपीआर तैयार की गई थी।
लेकिन परियोजना के निर्माण को इसलिए मंजूरी नहीं दी गई क्योंकि यह क्षेत्र
भूकंप संवेदनशील था। बाद में इसे भूकंप संवेदनशील क्षेत्र की श्रेणी से
बाहर निकाल दिया गया। इस परियोजना के निर्माण के बाद हिमाचल प्रदेश के
सिरमौर जिला के लोग प्रभावित होंगे। पहले भी केंद्र ने इसी जिला राष्ट्रीय
महत्व की परियोजना रेणुका डैम को मंजूरी दी थी, जिसका इस जिले के लोग
विरोध कर रहे हैं।
राष्ट्रीय महत्व की एक बड़ी जल विद्युत परियोजना किशाऊ डैम को केंद्र
सरकार ने हरी झंडी दिखा दी है। दिल्ली में हुई बठक में परियोजना पर हिमाचल
प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों को मिलकर काम करने की मंजूरी दी गई है।
यह बिजली परियोजना करीब चार दशक से लंबित पड़ी थी। केंद्र सरकार के अनुसार
इस परियोजना पर दोनों राज्य मिलकर काम कर सकते हैं या फिर इसका निर्माण
किसी पब्लिक सेक्टर की कंपनी को दिया सकता है। इसमें दोनों राज्यों की
सहमति जरूरी है।
इस परियोजना में लगभग 660 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाना है। यमुना की
सहायक नदी पर परियोजना के निर्माण के बाद लगभग तीन हजार हैक्टेयर भूमि
जलमग्न हो जाएगी। परियोजना के लिए डैम उत्तराखंड में बनना प्रस्तावित है,
जबकि इसका जलअधिग्रहण क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में होगा। बांध की उंचाई करीब
236 मीटर होगी, जबकि इससे रोके जाने वाले पानी से करीब 45 किलोमीटर तक लंबा
जलाशय बनेगा, जिसका अधिकतर हिस्सा हिमाचल की सीमा में होगा।
केंद्र से मिलेगी 90 फीसदी सब्सिडी: परियोजना निर्माण के लिए 90 फीसदी
अनुदान केंद्र द्वारा दिया जाएगा। बाकी दस फीसदी राशि संबधित राज्यों की ओर
से वहन की जानी है। परियोजना के निर्माण पर लगभग 11 हजार करोड़ रुपए की
लागत आएगी, जिससे लगभग 1900 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष पैदा होगी।
भूकंप संवेदनशील था क्षेत्र
1965 मंे इस प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए पहली डीपीआर तैयार की गई थी।
लेकिन परियोजना के निर्माण को इसलिए मंजूरी नहीं दी गई क्योंकि यह क्षेत्र
भूकंप संवेदनशील था। बाद में इसे भूकंप संवेदनशील क्षेत्र की श्रेणी से
बाहर निकाल दिया गया। इस परियोजना के निर्माण के बाद हिमाचल प्रदेश के
सिरमौर जिला के लोग प्रभावित होंगे। पहले भी केंद्र ने इसी जिला राष्ट्रीय
महत्व की परियोजना रेणुका डैम को मंजूरी दी थी, जिसका इस जिले के लोग
विरोध कर रहे हैं।