भोपाल.
मप्र सरकार प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए निवेशकों को आमंत्रित तो कर
रही है, लेकिन उद्योग खड़े करने के लिए उसके पास जमीन ही नहीं है। प्रदेश
के प्रमुख जिला उद्योग केंद्रों और औद्योगिक केंद्र विकास निगम (एकेवीएन)
फिलहाल भूमिविहीन हैं।
इंदौर में तो पिछले एक साल से नया उद्योग
लगाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। कारण, जमीन के अभाव में यहां हजारों आवेदन
पेंडिंग हैं। भोपाल में भी अगले छह माह तक ‘नो-रूम’ की स्थिति है। ग्वालियर
और जबलपुर में जिस जगह जमीनों की पेशकश की जा रही है वहां खराब आधारभूत
ढांचे के चलते उद्योगपति जाने को ही तैयार नहीं हैं।
दूसरी ओर कुछ
‘खास’ उद्योगपतियों को आउट ऑफ टर्न जाकर कहीं भी जमीन उपलब्ध करा दी जाती
है। यह अलग बात है कि इसके लिए खास तरीके का लेन-देन करना पड़ता है।
भोपाल
जिला उद्योग केन्द्र में लगभग डेढ़ हजार आवेदन पेंडिंग हैं। जबकि मंडीदीप
में जमीन ही नहीं है। एकेवीएन मंडीदीप में 19 एकड़ जमीन अधिगृहित करने वाला
है,लेकिन इसके लिए पांच छह महीने का वक्त लगेगा।
एकेवीएन भोपाल के
डिप्टी मैनेजर एसएस संधू के अनुसार इससे पहले मंडीदीप में जमीन मिलना
नामुमकिन हैं। इसी प्रकार इंदौर जिला उद्योग केंद्र में उद्योग लगाने के एक
हजार से ज्यादा और एकेवीएन इंदौर में 100 से ज्यादा आवेदन लंबित हैं।
एकेवीएन
इंदौर के असिस्टेंट मैनेजर एसके सक्सेना के अनुसार पीथमपुर में फिलहाल
बिल्कुल भी जमीन नहीं है। पिछले साल के सभी एलॉटमेंट हो चुके हैं,बची जमीन
खजुराहो के एमओयू में चली गई।
लंबित आवेदनों की स्थिति
जिला
उद्योग केंद्र, भोपाल 1500एकेवीएन भोपाल 100 से ज्यादाजिला उद्योग केंद्र,
इंदौर 1000 से ज्यादाएकेवीएन इंदौर 100 से ज्यादाजिला उद्योग केंद्र,
ग्वालियर 225एकेवीएन, ग्वालियर 86औद्योगिक क्षेत्रों में इकाइयां मंडीदीप
में इकाइया 500 (50 बड़ी, 450 छोटी)कितनी बंद 60 (11 फीसदी) पीथमपुर में
इकाइयां 650कितनी बंद 70 (लगभग 10 प्रतिशत) मालनपुर में इकाइयां 38कितनी
बंद 18 (48 फीसदी)
ले आते हैं कोर्ट से स्टे
हम
प्रदेश में उद्योग के लिए पार्टी को 30 साल की लीज पर जमीन देते हैं। अगर
पार्टी उद्योग नहीं लगाती है तब भी लीज निरस्त नहीं कर पाते, क्योंकि ऐसे
मामलों में पार्टी कोर्ट से स्टे ले आती हैं।
सत्यप्रकाश,अतिरिक्त मुख्य सचिव,वाणिज्य एवं उद्योग,मप्र
मप्र सरकार प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए निवेशकों को आमंत्रित तो कर
रही है, लेकिन उद्योग खड़े करने के लिए उसके पास जमीन ही नहीं है। प्रदेश
के प्रमुख जिला उद्योग केंद्रों और औद्योगिक केंद्र विकास निगम (एकेवीएन)
फिलहाल भूमिविहीन हैं।
इंदौर में तो पिछले एक साल से नया उद्योग
लगाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। कारण, जमीन के अभाव में यहां हजारों आवेदन
पेंडिंग हैं। भोपाल में भी अगले छह माह तक ‘नो-रूम’ की स्थिति है। ग्वालियर
और जबलपुर में जिस जगह जमीनों की पेशकश की जा रही है वहां खराब आधारभूत
ढांचे के चलते उद्योगपति जाने को ही तैयार नहीं हैं।
दूसरी ओर कुछ
‘खास’ उद्योगपतियों को आउट ऑफ टर्न जाकर कहीं भी जमीन उपलब्ध करा दी जाती
है। यह अलग बात है कि इसके लिए खास तरीके का लेन-देन करना पड़ता है।
भोपाल
जिला उद्योग केन्द्र में लगभग डेढ़ हजार आवेदन पेंडिंग हैं। जबकि मंडीदीप
में जमीन ही नहीं है। एकेवीएन मंडीदीप में 19 एकड़ जमीन अधिगृहित करने वाला
है,लेकिन इसके लिए पांच छह महीने का वक्त लगेगा।
एकेवीएन भोपाल के
डिप्टी मैनेजर एसएस संधू के अनुसार इससे पहले मंडीदीप में जमीन मिलना
नामुमकिन हैं। इसी प्रकार इंदौर जिला उद्योग केंद्र में उद्योग लगाने के एक
हजार से ज्यादा और एकेवीएन इंदौर में 100 से ज्यादा आवेदन लंबित हैं।
एकेवीएन
इंदौर के असिस्टेंट मैनेजर एसके सक्सेना के अनुसार पीथमपुर में फिलहाल
बिल्कुल भी जमीन नहीं है। पिछले साल के सभी एलॉटमेंट हो चुके हैं,बची जमीन
खजुराहो के एमओयू में चली गई।
लंबित आवेदनों की स्थिति
जिला
उद्योग केंद्र, भोपाल 1500एकेवीएन भोपाल 100 से ज्यादाजिला उद्योग केंद्र,
इंदौर 1000 से ज्यादाएकेवीएन इंदौर 100 से ज्यादाजिला उद्योग केंद्र,
ग्वालियर 225एकेवीएन, ग्वालियर 86औद्योगिक क्षेत्रों में इकाइयां मंडीदीप
में इकाइया 500 (50 बड़ी, 450 छोटी)कितनी बंद 60 (11 फीसदी) पीथमपुर में
इकाइयां 650कितनी बंद 70 (लगभग 10 प्रतिशत) मालनपुर में इकाइयां 38कितनी
बंद 18 (48 फीसदी)
ले आते हैं कोर्ट से स्टे
हम
प्रदेश में उद्योग के लिए पार्टी को 30 साल की लीज पर जमीन देते हैं। अगर
पार्टी उद्योग नहीं लगाती है तब भी लीज निरस्त नहीं कर पाते, क्योंकि ऐसे
मामलों में पार्टी कोर्ट से स्टे ले आती हैं।
सत्यप्रकाश,अतिरिक्त मुख्य सचिव,वाणिज्य एवं उद्योग,मप्र