रायपुर.छत्तीसगढ़
में टमाटर की फसल चौपट हो गई है। बंपर पैदावार करने वाले इलाकों में बारिश
के कारण टमाटर के पौधे सूख गए। इससे करीब 80 फीसदी फसल नष्ट हो गई है।
स्थिति यह है कि पिछले साल दिसंबर में दो रुपए किलो बिकने वाला टमाटर इस
बार ४क् रुपए के भाव बिक रहा है।
दुर्ग जिले में 70 फीसदी और कोरिया जिले में 30 प्रतिशत फसल नष्ट हो चुकी
है। पिछले 30 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दिसंबर में टमाटर के दाम
40 रुपए किलो पहुंचे हैं। इसके पहले अच्छी ठंड पड़ने के बाद प्रदेश में
टमाटर का इतना उत्पादन होता था कि किसानों को इसे मुफ्त में भी बांटने
पड़ते थे।
प्रदेश में लगभग 10 हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है। इसकी पैदावार
अक्टूबर से शुरू हुई। नवंबर में पहली बारिश हुई, इसमें टमाटर को आंशिक
नुकसान हुआ। दिसंबर में हुई रिकॉर्ड बारिश ने फसलों को पूरी तरह चौपट कर
दिया। बारिश से जहां पौधों में लगे फूल झड़ गए, वहीं इसकी पत्तियों में
ब्लाइट लग गया।
इसके कारण अब पत्ते पूरी तरह सूख गए हैं। पहले टमाटर के खेत हरे-भरे दिखते
थे, अब वे पतझड़ के समान सूखे नजर आ रहे हैं। दुर्ग जिले के धमधा, साजा,
बेरला, बेमेतरा, कुम्हारी, राजनांदगांव जिले के खैरागढ़, गंडई और कवर्धा
जिले में हाईब्रिड टमाटर की फसल है।
हमारे संवाददाताओं से मिली जानकारी के अनुसार जिले के पत्थलगांव, दुलदुला,
लुड़ेरा, फरसाबांध, बगीचा सहित बड़े इलाके में देसी टमाटर की पैदावार हो
रही है, लेकिन बारिश के कारण फसल खराब हो गई है। जाताघर्रा (धमधा) के किसान
मोहन यादव ने 15 एकड़ में हाईब्रिड टमाटर लगाया है।
उनके खेत में नवंबर में रोजाना 10 क्विंटल टमाटर निकल रहा था, लेकिन अब
बमुश्किल दो क्विंटल टमाटर निकल रहा है। कुम्हारी के किसान हितेश वरू के
पांच एकड़ की फसल सूख गई। उन्होंने पौधे उखाड़ दिए हैं।
हेड़सपुर (बेमेतरा) के किसान लालाराम वर्मा ने बताया कि बारिश के कारण
उत्पादन में 80 प्रतिशत गिरावट आई है। पहले टमाटर थोक में चार-पांच रुपए
किलो बिक रहे थे। अब थोक भाव 20-22 रुपए पहुंच गए हैं।
कई राज्यों में दुर्ग के टमाटर की मांग
दुर्ग जिले का हाईब्रिड टमाटर कई राज्यों में प्रसिद्ध है। यहां के टमाटर
खरीदने के लिए कई राज्यों के एजेंट आते हैं। उड़ीसा, आंध्रप्रदेश,
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश के
कई शहरों में यहां का टमाटर जा रहा था। फसल नष्ट होने से स्थानीय पूर्ति भी
नहीं हो पा रही है।
/> बढ़ गई लागत
टमाटर की खेती में इस बार लागत दोगुनी पहुंच गई है। खंभे के सहारे होने
वाली टमाटर की खेती में 40 से 50 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च आता है। इस बार
मौसम की मार से बचाने के लिए हर तीसरे दिन कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना
पड़ रहा है। इस बार मजदूरी दोगुनी हो गई है।
परपंरागत तरीके से टमाटर लगाने वाले किसानों को भी पिछले साल से अधिक लागत
लगी है। पैदावार घटने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस बार
किसानों को लागत भी वसूल नहीं हो पाई है। अब रेट चढ़ा है, लेकिन उत्पादन घट
गया है।
में टमाटर की फसल चौपट हो गई है। बंपर पैदावार करने वाले इलाकों में बारिश
के कारण टमाटर के पौधे सूख गए। इससे करीब 80 फीसदी फसल नष्ट हो गई है।
स्थिति यह है कि पिछले साल दिसंबर में दो रुपए किलो बिकने वाला टमाटर इस
बार ४क् रुपए के भाव बिक रहा है।
दुर्ग जिले में 70 फीसदी और कोरिया जिले में 30 प्रतिशत फसल नष्ट हो चुकी
है। पिछले 30 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दिसंबर में टमाटर के दाम
40 रुपए किलो पहुंचे हैं। इसके पहले अच्छी ठंड पड़ने के बाद प्रदेश में
टमाटर का इतना उत्पादन होता था कि किसानों को इसे मुफ्त में भी बांटने
पड़ते थे।
प्रदेश में लगभग 10 हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है। इसकी पैदावार
अक्टूबर से शुरू हुई। नवंबर में पहली बारिश हुई, इसमें टमाटर को आंशिक
नुकसान हुआ। दिसंबर में हुई रिकॉर्ड बारिश ने फसलों को पूरी तरह चौपट कर
दिया। बारिश से जहां पौधों में लगे फूल झड़ गए, वहीं इसकी पत्तियों में
ब्लाइट लग गया।
इसके कारण अब पत्ते पूरी तरह सूख गए हैं। पहले टमाटर के खेत हरे-भरे दिखते
थे, अब वे पतझड़ के समान सूखे नजर आ रहे हैं। दुर्ग जिले के धमधा, साजा,
बेरला, बेमेतरा, कुम्हारी, राजनांदगांव जिले के खैरागढ़, गंडई और कवर्धा
जिले में हाईब्रिड टमाटर की फसल है।
हमारे संवाददाताओं से मिली जानकारी के अनुसार जिले के पत्थलगांव, दुलदुला,
लुड़ेरा, फरसाबांध, बगीचा सहित बड़े इलाके में देसी टमाटर की पैदावार हो
रही है, लेकिन बारिश के कारण फसल खराब हो गई है। जाताघर्रा (धमधा) के किसान
मोहन यादव ने 15 एकड़ में हाईब्रिड टमाटर लगाया है।
उनके खेत में नवंबर में रोजाना 10 क्विंटल टमाटर निकल रहा था, लेकिन अब
बमुश्किल दो क्विंटल टमाटर निकल रहा है। कुम्हारी के किसान हितेश वरू के
पांच एकड़ की फसल सूख गई। उन्होंने पौधे उखाड़ दिए हैं।
हेड़सपुर (बेमेतरा) के किसान लालाराम वर्मा ने बताया कि बारिश के कारण
उत्पादन में 80 प्रतिशत गिरावट आई है। पहले टमाटर थोक में चार-पांच रुपए
किलो बिक रहे थे। अब थोक भाव 20-22 रुपए पहुंच गए हैं।
कई राज्यों में दुर्ग के टमाटर की मांग
दुर्ग जिले का हाईब्रिड टमाटर कई राज्यों में प्रसिद्ध है। यहां के टमाटर
खरीदने के लिए कई राज्यों के एजेंट आते हैं। उड़ीसा, आंध्रप्रदेश,
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश के
कई शहरों में यहां का टमाटर जा रहा था। फसल नष्ट होने से स्थानीय पूर्ति भी
नहीं हो पा रही है।
/> बढ़ गई लागत
टमाटर की खेती में इस बार लागत दोगुनी पहुंच गई है। खंभे के सहारे होने
वाली टमाटर की खेती में 40 से 50 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च आता है। इस बार
मौसम की मार से बचाने के लिए हर तीसरे दिन कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना
पड़ रहा है। इस बार मजदूरी दोगुनी हो गई है।
परपंरागत तरीके से टमाटर लगाने वाले किसानों को भी पिछले साल से अधिक लागत
लगी है। पैदावार घटने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस बार
किसानों को लागत भी वसूल नहीं हो पाई है। अब रेट चढ़ा है, लेकिन उत्पादन घट
गया है।