जालंधर।
राज्य के किसानों को इन दिनों लेबर की कमी से जूझना पड़ रहा है। बिहार और
यूपी में मजदूरों के लिए सुविधाएं मुहैया होने के बाद पंजाब की लेबर ने
अपने राज्य की तरफ रुख कर लिया है। इस समय आलू, गाजर इत्यादि की फसल तैयार
है, लेकिन पुटाई के लिए लेबर नहीं मिल रही।
धान के सीजन में लेबर दोगुणा दाम मांगती है। पहले प्रति एकड़ 1000 रुपए
लेकर धान की फसल लगाई जाती थी। अब इसका दाम 2500 रुपए प्रति एकड़ की मांग
की जा रही है। इसी तरह, बासमती की कटाई भी 1500 रुपए की बजाय 2500 रुपए में
की जा रही है। गन्ने की कटाई और सफाई के लिए 30 रुपए प्रति क्विंटल वसूले
जा रहे हैं। गांव नवापिंड दोनेवाल से किसान सुखविंदर सिंह ने बताया कि गाजर
की फसल निकालने और सफाई के लिए लेबर की जरूरत है, लेकिन मजदूरों की दिक्कत
आ रही है। गांव टाहली साहिब के किसान भगवंतवीर सिंह भुल्लर का कहना है कि
आलु की पुताई के लिए लेबर जरूरी है। शहर से कुछ लेबर लाई गई है जोकि 200 से
250 रुपए दिहाड़ी वसूल रही है।
मनरेगा और बढ़ती इंडस्ट्री ने मजदूरों को रोका
लेबर की मानें तो शार्टेज का कारण मनरेगा स्कीम और बिहार में नितिश कुमार
द्वारा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है। मजदूर राम प्रकाश ने बताया कि अपने घर
के पास ही काम मिल रहा है। राम प्रकाश के मुताबिक अगर उन्हें काम नहीं
मिलता तो भी दिहाड़ी के पचास रुपए मिलते हैं। इसी तरह बिहार में लगने वाली
नई इंडस्ट्री में भी लेबर को काम मिल रहा है। इसके अलावा सर्दियों में
ज्यादातर लेबर अपने गांव में ही रहती है।
राज्य के किसानों को इन दिनों लेबर की कमी से जूझना पड़ रहा है। बिहार और
यूपी में मजदूरों के लिए सुविधाएं मुहैया होने के बाद पंजाब की लेबर ने
अपने राज्य की तरफ रुख कर लिया है। इस समय आलू, गाजर इत्यादि की फसल तैयार
है, लेकिन पुटाई के लिए लेबर नहीं मिल रही।
धान के सीजन में लेबर दोगुणा दाम मांगती है। पहले प्रति एकड़ 1000 रुपए
लेकर धान की फसल लगाई जाती थी। अब इसका दाम 2500 रुपए प्रति एकड़ की मांग
की जा रही है। इसी तरह, बासमती की कटाई भी 1500 रुपए की बजाय 2500 रुपए में
की जा रही है। गन्ने की कटाई और सफाई के लिए 30 रुपए प्रति क्विंटल वसूले
जा रहे हैं। गांव नवापिंड दोनेवाल से किसान सुखविंदर सिंह ने बताया कि गाजर
की फसल निकालने और सफाई के लिए लेबर की जरूरत है, लेकिन मजदूरों की दिक्कत
आ रही है। गांव टाहली साहिब के किसान भगवंतवीर सिंह भुल्लर का कहना है कि
आलु की पुताई के लिए लेबर जरूरी है। शहर से कुछ लेबर लाई गई है जोकि 200 से
250 रुपए दिहाड़ी वसूल रही है।
मनरेगा और बढ़ती इंडस्ट्री ने मजदूरों को रोका
लेबर की मानें तो शार्टेज का कारण मनरेगा स्कीम और बिहार में नितिश कुमार
द्वारा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है। मजदूर राम प्रकाश ने बताया कि अपने घर
के पास ही काम मिल रहा है। राम प्रकाश के मुताबिक अगर उन्हें काम नहीं
मिलता तो भी दिहाड़ी के पचास रुपए मिलते हैं। इसी तरह बिहार में लगने वाली
नई इंडस्ट्री में भी लेबर को काम मिल रहा है। इसके अलावा सर्दियों में
ज्यादातर लेबर अपने गांव में ही रहती है।