कुपोषण और शिशु मृत्यु दर के मामले में मप्र अव्वल

भोपाल.
शिशु मृत्यु दर और कुपोषण के मामले में मप्र देश में अव्वल है। मातृ
मृत्यु दर को लेकर भी प्रदेश केवल तीन राज्यों से ही बेहतर है। हालात इतने
बिगड़ने के बाद अब जाकर राज्य सरकार चेती है और प्रदेश में कुपोषण दूर करने
24 दिसंबर से अटल बाल आरोग्य मिशन की शुरुआत की जा रही है।




राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के ताजा आंकड़ों के अनुसार
सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे मप्र में ही हैं। यहां शिशु मृत्यु दर (एक साल
से कम उम्र) 70 प्रति हजार दर्ज है, जबकि इस मामले में देश का औसत 53
प्रति हजार है।




इसी प्रकार प्रदेश में 60 फीसदी बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं, जबकि
राष्ट्रीय औसत 42 है। वहीं मातृ मृत्यु दर के मामले में मप्र से सिर्फ
बिहार,उत्तर प्रदेश और राजस्थान ही पीछे हैं। प्रदेश में हर एक लाख बच्चों
के जन्म के दौरान 335 माताएं दम तोड़ देती हैं,जबकि राष्ट्रीय औसत 254 है।




सबसे कम शिशु मृत्यु दर वाले पांच प्रमुख राज्य




केरल 12


तमिलनाडु 31


महाराष्ट्र 33


पश्चिम बंगाल 35


पंजाब 41


(आंकड़े प्रति हजार में)




सबसे कम कुपोषित बच्चे वाले प्रमुख राज्य




सिक्किम/मिजोरम 19 फीसदी


केरल/मणिपुर 22 फीसदी


जम्मू-कश्मीर/नगालैंड/पंजाब 25 फीसदी


तमिलनाडु 29 फीसदी


आंध्रप्रदेश/अरुणाचल प्रदेश 32 फीसदी


(आंकड़े प्रति सैकड़ा में)




कुपोषण और शिशु मृत्यु दर पर साक्षरता के जरिए ही जीत सकते हैं। केरल इसका उदाहरण है।




डॉ.एनआर भंडारी,शिशु रोग विशेषज्ञ




उच्च मातृ मृत्यु दर हमारे रूढ़ीवादी सोच की वजह से है। हमें समाज में जागरुकता और साक्षरता बढ़ानी होगी।




डॉ.बी भारद्वाज,स्त्री रोग विशेषज्ञ




मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर कम करने की दिशा में मप्र ने बेहतर
प्रयास किए हैं। पहले प्रदेश में 73 प्रतिशत महिलाएं घर में बच्चों को जन्म
देती थीं। अब ऐसी महिलाओं का प्रतिशत सिर्फ 19 रह गया है।




एसआर मोहंती,सचिव,स्वास्थ्य विभाग

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