अमेरिका में हर तीन में से एक कामकाजी परिवार संकट में

वाशिंगटन.
अमेरिका में निम्न आय वर्ग के हर तीन में से एक कामकाजी व्यक्ति को रोजगार
के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है, जिससे पूरा परिवार अपनी मूलभूत
जरुरतों के लिए जूझ रहा है। इन परिवारों पर अमेरिकी जनगणना विभाग द्वारा
किए एक अध्ययन के बाद यह खुलासा हुआ है। ये परिवार अधिकारी वर्ग की तुलना
में औसतन 200 फीसदी से भी कम कमा रहे हैं। पूरे देश में इन कामकाजी
परिवारों की संख्या भी 28 से बढ़कर 30 फीसदी हो गई है। लेकिन दूसरी तरफ
सरकार अमेरिका के धनवान वर्ग को करों में राहत दे रही है।  


ओबामा
प्रशासन द्वारा हाल ही एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके बाद ये तथ्य सामने आए
हैं। दूसरी तरफ संसद में टेक्स में और छूट दिए जाने के बाद अमेरिका की 2
फीसदी सबसे धनवान व्यक्ति और अमीर हो जाएंगे, जबकि गरीबों पर इसका विपरीत
असर पड़ेगा। हालांकि अमेरिका में बेरोजगारी, गरीबी के बढ़ते संकट के कारण
अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियां इस बात पर सहमत हैं कि 2011 में काफी
कड़े निर्णय लेने होंगे।


अमेरिका में आई आर्थिक मंदी के बाद कई
कंपनियों ने नियमित पद समाप्त कर, अस्थायी आधार पर कम वेतनों पर
नियुक्तियां की हैं, जिससे इन परिवारों की संख्या करीब 17 लाख और बढ़ गई
है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन परिवारों की मौजूदा स्थिति से साबित
हो गया है कि अमेरिका अपने मूल सिद्धांत, सभी को रोजगार और उसका बेहतर वेतन
से भटक रहा है।


2009 में कम आय वर्ग के 1 करोड़ लोग थे, जिनके
परिवार में औसतन 4.5 करोड़ सदस्य थे। रिपोर्ट में पेऊ रिसर्च सेंटर द्वारा
किए गए शोध के हवाले से कहा गया कि अमेरिका के आधे से भी ज्यादा मजदूर वर्ग
को बेरोजगारी, वेतन में कटौती, काम के घंटे में बढ़ोतरी का सामना करना
पड़ा है।


एक तरफ करोड़ों व्यक्ति मूलभूत समस्याओं को पाने के लिए
जूझ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अधिकांश निजी कंपनियां काफी लाभ में हैं। सरकार
ने भी उद्योगपति घरानों को करों में काफी राहत दी है। फोर्चून पत्रिका ने
गुरुवार को अपनी वेबसाइट में कहा कि देश के सबसे अमीर व्यक्तियों, जो
जनसंख्या के केवल 2 फीसदी हैं, को सरकार ने क्रिसमस गिफ्ट के रूप में करों
में राहत दी है। हाल ही में अमेरिकी सरकार ने बुश के कार्यकाल में आयकर
संबंधी एक निर्णय को दो साल के लिए और बढ़ा दिया है। इस निर्णय के अनुसार
अमेरिका के सबसे धनवान व्यक्ति संपत्ति कर नहीं चुकाते, जबकि आम जनता के
लिए यह करीब 55 फीसदी हो गई है।


 

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