इस समय देश में पंचायतों के माध्यम से करीब 13 लाख से अधिक महिलाएं
सत्ता में भागीदारी हैं। वे समाज को अपने सपनों के अनुसार बदलने के
प्रयासों में जुटी हुई हैं। यह बात ‘द हंगर प्रोजेक्ट’ की कंट्री डायरेक्टर
रीता सरीन ने मंगलवार को आईकफ आश्रम में आयोजित प्रांत स्तरीय सम्मेलन में
कही। सम्मेलन में 11 जिलों से 300 से अधिक महिला जनप्रतिनिधि शामिल हुई,
जिसमें करीब 100 सरपंच और 200 पंच महिलाएं थीं।
महिला पंचों की परेशानियां
कार्यक्रम में महिला जनप्रतिनिधियों ने पंच के रूप में काम करने में आ
रही समस्याओं को सभी के सामने रखा। सभी प्रतिनिधियों ने अपनी समस्या का
बेहतर हल जानने की कोशिश की। महिला पंचों की कुछ खास परेशानियां जैसे
सेक्रेटरी का महिला पंचों की बात न सुनना, आंगनवाड़ी की स्थिति सही न होना,
गांव में बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान न दिया जाना, अनपढ़ या कम पढ़ी-लिखी
होने के कारण अहम फैसलों में सरपंच की राय न लेना आदि सामने आई। दो दिवसीय
प्रांत स्तरीय सम्मेलन में सीधी, सतना, रीवा, कटनी, डिंडौरी, उमरिया,
छतरपुर, शहडोल, शिवपुरी, हरदा और झाबुआ जिलों से महिला कार्यकर्ता शामिल
हुई। सम्मेलन में महिलाओं ने आगे की रणनीति तय करने पर भी विचार-विमर्श
किया। अधिकतर महिलाओं का मत था कि अब सभी महिला सरपंचों को पंचायती राज और
धारा 40 की जानकारी हो चुकी है, आगामी नीति में महिलाओं को उनको मिली
शक्तियों का सही दिशा में इस्तेमाल करना बताना चाहिए।
हुई शैला नृत्य प्रस्तुति
दो दिवसीय सम्मेलन में शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया
गया। कार्यक्रम में रीवा से आए रंगकर्मियों की टोली ने ‘मंजिल की ओर बढ़ते
कदम’ नाटक का मंचन किया गया। मंगलवार की शाम आईकफ आश्रम में डिंडोरी के
बैगा जाति के लोगों द्वारा शैला नृत्य की प्रस्तुति भी दी गई। इस मौके पर
‘ग्राम सभा-हमारी लड़ाई हमारी ताकत’ पुस्तक व ‘मप्र पंचायती राज्य अधिनियम
और धारा 40 की रिपोर्ट’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में तकनीकी
शिक्षा एवं प्रशिक्षण सहयोग संस्थान के उपसचिव शशि कर्णावत भी उपस्थित रहे।