बिजनौर। सरकारी अस्पतालों में दवाओं की सप्लाई करने वाली सात दवा
कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। अब ये कंपनियां तीन साल तक
सरकारी सप्लाई नहीं कर सकेंगी। समय पर सप्लाई न करने की लगातार मिल रही
शिकायतों पर शासन ने यह कार्रवाई की है।
सरकारी अस्पतालों में दवाओं की सप्लाई करने के लिए सरकार ने कई दवा
कंपनियों को नामित कर रखा है। ये आरसी [रेट कांटेक्ट] के आधार पर दवाओं की
सप्लाई करती हैं। इंडेंट [मांग पत्र] मिलने के तीन हफ्ते के भीतर कंपनियों
को दवाओं की सप्लाई करनी होती है। सरकारी अस्पतालों से लगातार शिकायत मिल
रही हैं कि कंपनियां समय से सप्लाई नहीं कर रही हैं। इसके चलते मरीजों को
दिक्कत हो रही थी। शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ महानिदेशक एसपी
राम ने 19 नवंबर को सात दवा कंपनियों को डिबार कर दिया।
अब ये सातों कंपनियां तीन साल तक सरकारी अस्पतालों में दवाओं की सप्लाई
नहीं कर सकतीं। कंपनियों की जमानत राशि जब्त कर दर अनुबंध को तत्काल
प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। महानिदेशक ने प्रदेश के सभी सीएमओ को इस
संबंध में निर्देश दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि ब्लैक लिस्टेड दवा
कंपनियों से खरीदारी अनियमितता मानी जाएगी। जरूरत पड़ने पर इनके अलावा दूसरी
कंपनियों से दर अनुबंध के आधार पर दवाएं खरीदी जा सकती हैं। जिला अस्पताल
के सीएमएस डा. सतेन्द्र कुमार ने भी निर्देशों की पुष्टि की है।
प्रतिबंधित कंपनियां
मेसर्स रेडिको रेमीडीज सोलन, मेसर्स डेफोडिल्स फार्मास्युटिकल्स मेरठ,
मेसर्स जेनिका हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड हरिद्वार, मेसर्स स्कॉट इडिल
फार्मास्युटिकल्स चंडीगढ़, मेसर्स डीजे लेबोरेट्रीज इंदौर, मेसर्स
एक्सपैरेंट्रल रुड़की, मेसर्स अरबो फार्मास्युटिकल्स नई दिल्ली।