नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने कहा है कि निजी क्षेत्र के बैंक भी
इलेक्ट्रानिक बेनिफिट ट्रांसफर [ईबीटी] स्कीम में रूचि ले रहे हैं। ईबीटी
मनरेगा जैसी महती परियोजनाओं में लोगों तक बैंक खाते के जरिए धन हस्तांतरण
का एक मजबूत जरिया बनकर उभरा है।
यहां से करीब 40 किलोमीटर दूर नजफगढ़ के पास खेड़ा डाबर गांव में
वित्तीय समावेश के लिए आयोजित के एक कार्यक्रम के दौरान रिजर्व बैंक के
कार्यकारी निदेशक [मुंबई] वी.एस. दास ने बताया कि निजी क्षेत्र के
आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक ईबीटी स्कीम में रूचि दिखा
रहे हैं।
रिजर्व बैंक के एक अन्य अधिकारी का कहना है कि हरियाणा के आठ जिलों में
हमने ईबीटी स्कीम लागू की है। इसमें रिजर्व बैंक, सरकार और शहरी क्षेत्र
का एक बैंक साझीदार हैं। ईबीटी की सफलता को देखते हुई कई निजी क्षेत्र के
बैंक हमसे ईबीटी के लिए जिलों के आवंटन की मांग कर रहे हैं। हालांकि
वित्तीय समावेश के लिए सरकार सरकार द्वारा शुरू की गई डीआरआई लोन स्कीम को
लेकर बैंकिंग उद्योग में उत्साह नहीं है जिसकी वजह से बैंक कुल ऋण का एक
प्रतिशत डीआरआई ऋण आबंटन का लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं।
एक अग्रणी बैंक के अधिकारी ने बताया कि डीआरआई लोन में ऋण की राशि इतनी
कम [अधिकतम 15,000 रुपये] है शायद इसलिए यह लोकप्रिय नहीं हो रहा।
उल्लेखनीय है कि बैंक सालाना महज 4 प्रतिशत की दर से डीआरआई ऋण की पेशकश
करते हैं और यह ऋण लेकर लोग नाई या परचून की दुकान खोल सकते हैं, दर्जी का
काम शुरू कर सकते हैं या अन्य व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
दास का कहना है कि डीआरआई लोन में रिकवरी का इतिहास बहुत अच्छा नहीं
रहा है। इसके लिए काफी प्रचार की भी जरूरत है। इस दौरान भारतीय स्टेट बैंक
ने यहां जाफरपुर कलां में अपनी नई शाखा खोली जिसका उद्घाटन रिजर्व बैंक के
कार्यकारी निदेशक [मुंबई] वीएस दास ने किया।