भोपाल.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने सोमवार सुबह अपनी
ही सरकार को परेशानी में डाल दिया। प्रदेश के विभिन्न अंचलों से यहां
पहुंचे किसानों ने राजधानी की चारों दिशाओं की सीमा को घेर लिया।
ट्रेक्टर ट्राली में लगभग एक पखवाड़े तक का राशन-पानी और ओढ़ने-बिछाने का
सामान लेकर आए किसानों ने जगह-जगह सड़कों पर जाम लगा दिया। इससे पूरे शहर
का आवागमन छिन्न-भिन्न हो गया, लेकिन सरकार शाम तक इसकी गंभीरता से अनभिज्ञ
रही। इतने बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के बावजूद लगभग दस घंटे तक सरकार और
उसके किसी भी नुमांइदे ने आंदोलनकारियों से बात करना तक मुनासिब नहीं
समझा।
एक तरफ जहां दोपहर में मुख्यमंत्री मंत्रालय में बैठकों में व्यस्त
रहे,वहीं शहर में जगह-जगह जाम की स्थिति से मुसाफिरों,कर्मचारियों और
स्कूली बच्चों को परेशान होना पड़ा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस
आंदोलन की गंभीरता का एहसास तब हुआ जब वे शाम को एक कार्यक्रम में शिरकत
करने समन्वय भवन पहुंचे। वहीं से वे सीधे प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे।
बंद कमरे में पहले उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा से चर्चा
की। इसके बाद वे सीधे संघ कार्यालय समिधा पहुंचे। वहां उन्होंने संघ
पदाधिकारियों से इस संकट से निपटने के संबंध में मंत्रणा की। उधर, गृह
मंत्री उमाशंकर गुप्ता के निवास पर हुई आंदोलनकारियों से पहले दौर की चर्चा
विफल रही। हालांकि किसानों की 183 मांगे देर रात घटकर 50 पर आ गईं। भारतीय
किसान संघ इस धरने के लिए आठ महीने से तैयारी कर रहा था।
मुख्यमंत्री और प्रशासन को जानकारी थी
29 मई को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पहला ज्ञापन दिया गया। इसके बाद
उन्हें हर महीने ज्ञापन दिए गए। किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार
शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री को बता दिया गया था कि मांगें न माने जाने
पर धरना होगा। 8 दिसंबर को अंतिम ज्ञापन सौंपते वक्त तो उन्हें स्पष्ट कह
दिया गया था कि 20 दिसंबर से पहले वे उनकी समस्याओं का निराकरण कर दें,
लेकिन कुछ नहीं हुआ।
किसान संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि किसानों की बैठकों में मुख्यमंत्री
निर्देश देते हैं, घोषणाएं करते हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं होता। प्रदेश
में भाजपा की सरकार होने के कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के
प्रदेश नेतृत्व को इसकी जानकारी दी गई। समिधा से अनुमति मिलने के बाद ही
धरने की घोषणा की गई।
पक्ष और विपक्ष दोनों हम
धरने के लिए ग्रीन सिग्नल देते समय आरएसएस पदाधिकारियों ने किसान नेताओं से
कहा था कि धरने में संयमित भाषा का इस्तेमाल करें। दरअसल,इस मामले में संघ
की यहरणनीति काम कर गई कि कम से कम किसानों से संबंधित मुद्दों पर पक्ष
और विपक्ष की भूमिका हम ही निभाएंगे यानी कांग्रेस मैदान से बाहर।
क्यों बौखलाए किसान
किसान बिजली कटौती,नकली बीज और भ्रष्टाचार से परेशान है। उनका आरोप है कि
उन्हें खसरे की नकल,जाति व आय प्रमाण पत्र भी बिना रिश्वत दिए नहीं मिलते।
नकली बीज का रैकेट से भी वे त्रस्त हैं।
नहीं थी कोई तैयारी
प्रशासन ने कोई तैयारी नहीं की थी। सुबह छह बजे से सड़कें बंद होने की खबर
वरिष्ठ अधिकारियों को मिल गई थी, लेकिन दोपहर तक कोई बंदोबस्त नहीं किए गए।
कौन है इसका जिम्मेदार
पुलिस और प्रशासन ने किसानों को ट्रैक्टर ट्राली लेकर शहर में प्रवेश की
अनुमति तो दे दी, बाद में स्थिति बिगड़ने के बाद आला अधिकारी मैदान से गायब
नजर आए।
किसानों की प्रमुख मांगों पर मंत्रियों के जवाब
मांग: गांव-शहर के बीच बिजली सप्लाई का अंतर खत्म हो।
मंत्री : दिसंबर 2012 तक फीडर सेपरेशन का काम पूरा होगा, तब यह अंतर खत्म होगा।
किसानों पर बिजली चोरी के सभी मामले वापस लिए जाएं
मामले केंद्रीय एक्ट के तहत दर्ज हैं, लोक अदालतों में ऐसे मामलों में 25 प्रतिशत छूट के साथ राशि जमा कराई जा रही है।
अघोषित कटौती बंद हो
डिमांड 8500 मेगावॉट से ज्यादा पहुंच गई है, बिजली उपलब्ध नहीं है। दो साल बाद ये संभव है।
50 फीसदी सरचार्ज माफी के पहले दे चुके किसानों को राशि लौटाएं।
विचार किया जाएगा।
मांग: घटिया खाद बीज मामलों में रासुका लगे, सजा उम्रकैद हो।
मंत्री : हमने हाल ही में 26 कंपनियों के लाइसेंस निरस्त किए हैं। रासुका और उम्रकैद की सजा का प्रावधान केंद्र सरकार कर सकती है।
दलहन, तिलहन में 300 रुपए प्रति क्विंटल बोनस मिले
फिलहाल संभव नहीं है, धान पर 50 और गेहूं पर 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दे ही रहे हैं।
फसल बीमा में हर खेत और फसल को इकाई माना जाए।
इस बारे में प्रस्ताव पर विचार जारी है।
कृषि कालेजों में 90 प्रतिशत एडमीशन किसान पुत्र-पुत्रियों को मिले।
मंत्री: यह संभव नहीं है, ज्यादा संख्या में किसान पुत्र-पुत्रियों को प्रवेश मिले।
class="introTxt"style="text-align: justify">
मांग: उद्योग के लिए ली जाने वाली उपजाऊ भूमि के रेट 50 लाख से एक करोड़ रुपए प्रति एकड़ मिलें।
मंत्री: 5 लाख रुपए एकड़ की घोषणा मुख्यमंत्री कर ही चुके हैं, जमीन अगर एक करोड़ रुपए एकड़ वाली होगी, तो यह रेट भी मिलेगा।
आपसी सहमति के और पारिवारिक बंटवारे में कोई शुल्क न लगे।
पारिवारिक बंटवारे में कोई शुल्क नहीं लगता, 45 दिन में ही निशुल्क राजस्व पुस्तिका दे दी जाती है।
गांव में प्लॉट, मकान, दुकानों का मालिकाना हक मिले।
सर्वे का आदेश हो चुका है, सरपंच को आवेदन करें इसके बाद अलाटमेंट होगा।
सरकार प्रमाणपत्र दे रही है, जिसके आधार पर मकान के लिए लोन भी मिल पाएगा।
आरबीसी में राहत राशि बढ़ाई जाए।
राहत राशि 3 हजार रुपए एकड़ से बढ़ाकर साढ़े आठ हजार रुपए एकड़ की जा चुकी है।
मांग : अनुदान राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा हो।
गौरीशंकर बिसेन सहकारिता मंत्री
मंत्री : यह प्रावधान इसी वित्तीय वर्ष में लागू हो चुका है।
मांग: विदेशी गोवंश का भारतीय गोवंश नस्लों में संकरण प्रतिबंधित हो।
अजय विश्नोई, पशुपालन मंत्री
मंत्री: नो कमेंट्स
मांग: उद्योग के लिए ली जाने वाली उपजाऊ भूमि के रेट 50 लाख से एक करोड़ रुपए प्रति एकड़ मिलें।
मंत्री: 5 लाख रुपए एकड़ की घोषणा मुख्यमंत्री कर ही चुके हैं, जमीन अगर एक करोड़ रुपए एकड़ वाली होगी, तो यह रेट भी मिलेगा।
आपसी सहमति के और पारिवारिक बंटवारे में कोई शुल्क न लगे।
पारिवारिक बंटवारे में कोई शुल्क नहीं लगता, 45 दिन में ही निशुल्क राजस्व पुस्तिका दे दी जाती है।
गांव में प्लॉट,मकान, दुकानों का मालिकाना हक मिले।
सर्वे का आदेश हो चुका है,सरपंच को आवेदन करें इसके बाद अलाटमेंट होगा।
सरकार प्रमाणपत्र दे रही है, जिसके आधार पर मकान के लिए लोन भी मिल पाएगा।
आरबीसी में राहत राशि बढ़ाई जाए।
राहत राशि 3 हजार रुपए एकड़ से बढ़ाकर साढ़े आठ हजार रुपए एकड़ की जा चुकी है।
आंदोलन समाप्त करें
किसान आंदोलन करके लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखते तो कोई बात नहंी थी,
लेकिन उन्होंने अपनी मांगे मनवाने के लिए सड़कें जाम करने का जो तरीका
अपनाया वह उचित नहंी है। किसानों की जायज मांगों का शीघ्र निराकरण किया
जाएगा। बातचीत के लिए मेरे दरवाजे सदा खुले हैं,पहले आंदोलन समाप्त कर
किसानों कोचर्चा का रास्ता अपनाना चाहिए।
शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मप्र शासन।
भगवान सड़कों पर
यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नूराकुश्ती हैं। अगर वास्तव में
सरकार किसानों की सच्ची हितैषी है तो किसानों के खिलाफ दर्ज बिजली चोरी के
मुकदमे वापस लेकर दिखाए। सीएम कहते फिरते है कि जनता मेरी भगवान और मैं
उसका पुजारी,आज तो उसका भगवान ही सड़कों पर उतर आया।
चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी,उप नेता प्रतिपक्ष मप्र विधानसभा।
खुले रहेंगे स्कूल
बच्चों को स्कूल भेजने के मामले में स्कूलों ने निर्णय अभिभावकों पर छोड़
दिया है। सहोदय ग्रुप के सचिव पीएस कालरा का कहना है कि यदि सुबह से सड़कों
पर जाम नहीं रहता तो स्कूल बसें यथावत अपने स्टॉप पर पहुंचेगी। अभिभावक इस
बात का निर्णय लें कि उन्हें बच्चों को स्कूल भेजना है या नहीं।
कार्मल कॉन्वेंट,महर्षि विद्या मंदिर,डीपीएस,सुभाष उत्कृष्ट स्कूल भी
खुलेंगे। कमिश्नर मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार को सभी स्कूल खुले
रहेंगे। बच्चों को लेने के लिए स्कूल बसें पहुंचेंगी।
बेनतीजा रही वार्ता
किसानों और सरकार के बीच सोमवार शाम को हुई वार्ता विफल हो गई। गृह मंत्री
उमाशंकर गुप्ता के निवास पर करीब दो घंटे वार्ता का दौर चला, लेकिन कोई
नतीजा नहीं निकला। सूत्रों के मुताबिक वार्ता के दौरान किसानों की 183 में
से 50 मांगों पर सहमति बन गई,लेकिन संघ इस जिद पर अड़ा है कि पहले मंजूर
मांगों के संबंध में आदेश जारी किए जाएं तभी आंदोलन वापस होगा।
चर्चा के दौरान गृह मंत्री गुप्ता,कृषि राज्य मंत्री बृजेन्द्र प्रताप
सिंह, भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर शर्मा, भाजपा संगठन
महामंत्री माखन सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव दीपक खांडेकर मौजूद थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने सोमवार सुबह अपनी
ही सरकार को परेशानी में डाल दिया। प्रदेश के विभिन्न अंचलों से यहां
पहुंचे किसानों ने राजधानी की चारों दिशाओं की सीमा को घेर लिया।
ट्रेक्टर ट्राली में लगभग एक पखवाड़े तक का राशन-पानी और ओढ़ने-बिछाने का
सामान लेकर आए किसानों ने जगह-जगह सड़कों पर जाम लगा दिया। इससे पूरे शहर
का आवागमन छिन्न-भिन्न हो गया, लेकिन सरकार शाम तक इसकी गंभीरता से अनभिज्ञ
रही। इतने बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के बावजूद लगभग दस घंटे तक सरकार और
उसके किसी भी नुमांइदे ने आंदोलनकारियों से बात करना तक मुनासिब नहीं
समझा।
एक तरफ जहां दोपहर में मुख्यमंत्री मंत्रालय में बैठकों में व्यस्त
रहे,वहीं शहर में जगह-जगह जाम की स्थिति से मुसाफिरों,कर्मचारियों और
स्कूली बच्चों को परेशान होना पड़ा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस
आंदोलन की गंभीरता का एहसास तब हुआ जब वे शाम को एक कार्यक्रम में शिरकत
करने समन्वय भवन पहुंचे। वहीं से वे सीधे प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे।
बंद कमरे में पहले उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा से चर्चा
की। इसके बाद वे सीधे संघ कार्यालय समिधा पहुंचे। वहां उन्होंने संघ
पदाधिकारियों से इस संकट से निपटने के संबंध में मंत्रणा की। उधर, गृह
मंत्री उमाशंकर गुप्ता के निवास पर हुई आंदोलनकारियों से पहले दौर की चर्चा
विफल रही। हालांकि किसानों की 183 मांगे देर रात घटकर 50 पर आ गईं। भारतीय
किसान संघ इस धरने के लिए आठ महीने से तैयारी कर रहा था।
मुख्यमंत्री और प्रशासन को जानकारी थी
29 मई को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पहला ज्ञापन दिया गया। इसके बाद
उन्हें हर महीने ज्ञापन दिए गए। किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार
शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री को बता दिया गया था कि मांगें न माने जाने
पर धरना होगा। 8 दिसंबर को अंतिम ज्ञापन सौंपते वक्त तो उन्हें स्पष्ट कह
दिया गया था कि 20 दिसंबर से पहले वे उनकी समस्याओं का निराकरण कर दें,
लेकिन कुछ नहीं हुआ।
किसान संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि किसानों की बैठकों में मुख्यमंत्री
निर्देश देते हैं, घोषणाएं करते हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं होता। प्रदेश
में भाजपा की सरकार होने के कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के
प्रदेश नेतृत्व को इसकी जानकारी दी गई। समिधा से अनुमति मिलने के बाद ही
धरने की घोषणा की गई।
पक्ष और विपक्ष दोनों हम
धरने के लिए ग्रीन सिग्नल देते समय आरएसएस पदाधिकारियों ने किसान नेताओं से
कहा था कि धरने में संयमित भाषा का इस्तेमाल करें। दरअसल,इस मामले में संघ
की यहरणनीति काम कर गई कि कम से कम किसानों से संबंधित मुद्दों पर पक्ष
और विपक्ष की भूमिका हम ही निभाएंगे यानी कांग्रेस मैदान से बाहर।
क्यों बौखलाए किसान
किसान बिजली कटौती,नकली बीज और भ्रष्टाचार से परेशान है। उनका आरोप है कि
उन्हें खसरे की नकल,जाति व आय प्रमाण पत्र भी बिना रिश्वत दिए नहीं मिलते।
नकली बीज का रैकेट से भी वे त्रस्त हैं।
नहीं थी कोई तैयारी
प्रशासन ने कोई तैयारी नहीं की थी। सुबह छह बजे से सड़कें बंद होने की खबर
वरिष्ठ अधिकारियों को मिल गई थी, लेकिन दोपहर तक कोई बंदोबस्त नहीं किए गए।
कौन है इसका जिम्मेदार
पुलिस और प्रशासन ने किसानों को ट्रैक्टर ट्राली लेकर शहर में प्रवेश की
अनुमति तो दे दी, बाद में स्थिति बिगड़ने के बाद आला अधिकारी मैदान से गायब
नजर आए।
किसानों की प्रमुख मांगों पर मंत्रियों के जवाब
मांग: गांव-शहर के बीच बिजली सप्लाई का अंतर खत्म हो।
मंत्री : दिसंबर 2012 तक फीडर सेपरेशन का काम पूरा होगा, तब यह अंतर खत्म होगा।
किसानों पर बिजली चोरी के सभी मामले वापस लिए जाएं
मामले केंद्रीय एक्ट के तहत दर्ज हैं, लोक अदालतों में ऐसे मामलों में 25 प्रतिशत छूट के साथ राशि जमा कराई जा रही है।
अघोषित कटौती बंद हो
डिमांड 8500 मेगावॉट से ज्यादा पहुंच गई है, बिजली उपलब्ध नहीं है। दो साल बाद ये संभव है।
50 फीसदी सरचार्ज माफी के पहले दे चुके किसानों को राशि लौटाएं।
विचार किया जाएगा।
मांग: घटिया खाद बीज मामलों में रासुका लगे, सजा उम्रकैद हो।
मंत्री : हमने हाल ही में 26 कंपनियों के लाइसेंस निरस्त किए हैं। रासुका और उम्रकैद की सजा का प्रावधान केंद्र सरकार कर सकती है।
दलहन, तिलहन में 300 रुपए प्रति क्विंटल बोनस मिले
फिलहाल संभव नहीं है, धान पर 50 और गेहूं पर 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दे ही रहे हैं।
फसल बीमा में हर खेत और फसल को इकाई माना जाए।
इस बारे में प्रस्ताव पर विचार जारी है।
कृषि कालेजों में 90 प्रतिशत एडमीशन किसान पुत्र-पुत्रियों को मिले।
मंत्री: यह संभव नहीं है, ज्यादा संख्या में किसान पुत्र-पुत्रियों को प्रवेश मिले।
class="introTxt"style="text-align: justify">
मांग: उद्योग के लिए ली जाने वाली उपजाऊ भूमि के रेट 50 लाख से एक करोड़ रुपए प्रति एकड़ मिलें।
मंत्री: 5 लाख रुपए एकड़ की घोषणा मुख्यमंत्री कर ही चुके हैं, जमीन अगर एक करोड़ रुपए एकड़ वाली होगी, तो यह रेट भी मिलेगा।
आपसी सहमति के और पारिवारिक बंटवारे में कोई शुल्क न लगे।
पारिवारिक बंटवारे में कोई शुल्क नहीं लगता, 45 दिन में ही निशुल्क राजस्व पुस्तिका दे दी जाती है।
गांव में प्लॉट, मकान, दुकानों का मालिकाना हक मिले।
सर्वे का आदेश हो चुका है, सरपंच को आवेदन करें इसके बाद अलाटमेंट होगा।
सरकार प्रमाणपत्र दे रही है, जिसके आधार पर मकान के लिए लोन भी मिल पाएगा।
आरबीसी में राहत राशि बढ़ाई जाए।
राहत राशि 3 हजार रुपए एकड़ से बढ़ाकर साढ़े आठ हजार रुपए एकड़ की जा चुकी है।
मांग : अनुदान राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा हो।
गौरीशंकर बिसेन सहकारिता मंत्री
मंत्री : यह प्रावधान इसी वित्तीय वर्ष में लागू हो चुका है।
मांग: विदेशी गोवंश का भारतीय गोवंश नस्लों में संकरण प्रतिबंधित हो।
अजय विश्नोई, पशुपालन मंत्री
मंत्री: नो कमेंट्स
मांग: उद्योग के लिए ली जाने वाली उपजाऊ भूमि के रेट 50 लाख से एक करोड़ रुपए प्रति एकड़ मिलें।
मंत्री: 5 लाख रुपए एकड़ की घोषणा मुख्यमंत्री कर ही चुके हैं, जमीन अगर एक करोड़ रुपए एकड़ वाली होगी, तो यह रेट भी मिलेगा।
आपसी सहमति के और पारिवारिक बंटवारे में कोई शुल्क न लगे।
पारिवारिक बंटवारे में कोई शुल्क नहीं लगता, 45 दिन में ही निशुल्क राजस्व पुस्तिका दे दी जाती है।
गांव में प्लॉट,मकान, दुकानों का मालिकाना हक मिले।
सर्वे का आदेश हो चुका है,सरपंच को आवेदन करें इसके बाद अलाटमेंट होगा।
सरकार प्रमाणपत्र दे रही है, जिसके आधार पर मकान के लिए लोन भी मिल पाएगा।
आरबीसी में राहत राशि बढ़ाई जाए।
राहत राशि 3 हजार रुपए एकड़ से बढ़ाकर साढ़े आठ हजार रुपए एकड़ की जा चुकी है।
आंदोलन समाप्त करें
किसान आंदोलन करके लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखते तो कोई बात नहंी थी,
लेकिन उन्होंने अपनी मांगे मनवाने के लिए सड़कें जाम करने का जो तरीका
अपनाया वह उचित नहंी है। किसानों की जायज मांगों का शीघ्र निराकरण किया
जाएगा। बातचीत के लिए मेरे दरवाजे सदा खुले हैं,पहले आंदोलन समाप्त कर
किसानों कोचर्चा का रास्ता अपनाना चाहिए।
शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मप्र शासन।
भगवान सड़कों पर
यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नूराकुश्ती हैं। अगर वास्तव में
सरकार किसानों की सच्ची हितैषी है तो किसानों के खिलाफ दर्ज बिजली चोरी के
मुकदमे वापस लेकर दिखाए। सीएम कहते फिरते है कि जनता मेरी भगवान और मैं
उसका पुजारी,आज तो उसका भगवान ही सड़कों पर उतर आया।
चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी,उप नेता प्रतिपक्ष मप्र विधानसभा।
खुले रहेंगे स्कूल
बच्चों को स्कूल भेजने के मामले में स्कूलों ने निर्णय अभिभावकों पर छोड़
दिया है। सहोदय ग्रुप के सचिव पीएस कालरा का कहना है कि यदि सुबह से सड़कों
पर जाम नहीं रहता तो स्कूल बसें यथावत अपने स्टॉप पर पहुंचेगी। अभिभावक इस
बात का निर्णय लें कि उन्हें बच्चों को स्कूल भेजना है या नहीं।
कार्मल कॉन्वेंट,महर्षि विद्या मंदिर,डीपीएस,सुभाष उत्कृष्ट स्कूल भी
खुलेंगे। कमिश्नर मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार को सभी स्कूल खुले
रहेंगे। बच्चों को लेने के लिए स्कूल बसें पहुंचेंगी।
बेनतीजा रही वार्ता
किसानों और सरकार के बीच सोमवार शाम को हुई वार्ता विफल हो गई। गृह मंत्री
उमाशंकर गुप्ता के निवास पर करीब दो घंटे वार्ता का दौर चला, लेकिन कोई
नतीजा नहीं निकला। सूत्रों के मुताबिक वार्ता के दौरान किसानों की 183 में
से 50 मांगों पर सहमति बन गई,लेकिन संघ इस जिद पर अड़ा है कि पहले मंजूर
मांगों के संबंध में आदेश जारी किए जाएं तभी आंदोलन वापस होगा।
चर्चा के दौरान गृह मंत्री गुप्ता,कृषि राज्य मंत्री बृजेन्द्र प्रताप
सिंह, भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर शर्मा, भाजपा संगठन
महामंत्री माखन सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव दीपक खांडेकर मौजूद थे।