मैनपुरी। वैश्विक बाजारीकरण के उस्ताद चीन ने अब भारतीय खेतों की सफेद
चांदी कहे जाने वाले लहसुन को भी झटका देना शुरू कर दिया है। चाइनीज लहसुन
ने मंडी में ऐसा चक्कर चलाया कि लहसुन के दाम 20 हजार से गिर कर 14 हजार पर
आ गए। करोड़ों के घाटे ने व्यापारियों की हालत खराब कर दी है। चाइनीज लहसुन
के अवैध आयात को रोकने के लिए व्यापारी अब सड़क पर उतर आए हैं।
मैनपुरी के लहसुन की देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी डिमांड है।
व्यापारी बताते हैं कि नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, वर्मा के रास्ते चोरी
छिपे आए चाइनीज लहसुन ने आठ दिनों में ही लहसुन के भावों को धड़ाम कर दिया
है। व्यापारी कहते हैं कि हालांकि चाइनीज लहसुन हिन्दुस्तान में प्रतिबंधित
है। विदेशी आयात निर्यात कृषि उपज नीति के तहत भारत सरकार ने लहसुन के
आयात को देश में प्रतिबंधित कर रखा है, लेकिन निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं
है।
पिछले तीन दिनों से जिले भर की मंडियां बंद हैं। व्यापारियों का आरोप
है कि कस्टम अधिकारियों की मिलीभगत से चाइनीज लहसुन गोरखपुर, रकसौल,
धूलावाड़ी, जोयरपुर के रास्ते नेपाल से देश में आ रहा है। उनका दावा है कि
इन बार्डरों पर 400 गाड़ियां नेपाली क्षेत्र में चाइनीज लहसुन से भरी पड़ी
हैं, जिन्हें देश में प्रवेश कराया जाना है।
घिरोर लहसुन मंडी के अध्यक्ष अनिल गुप्ता तथा कुरावली मंडी के अध्यक्ष
राजेन्द्र शाक्य का कहना है कि देश में लहसुन को लेकर सरकार की कोई नीति
नहीं है। ऊपर से चाइनीज लहसुन की अवैध आमद को सरकार रोक नहीं पा रही है।
-इनसेट
विदेशियों ने शुरू की अगले वर्ष की डील
मैनपुरी। लहसुन कारोबार के लिए देश की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र की
नागपुर मानी जाती है। हालांकि हैदराबाद, बनारस, चेन्नई, बंगलुरू, दिल्ली,
तमिलनाडू, मैसूर, कर्नाटक, केरल में भी लहसुन की बिक्री बडे़ पैमाने पर
होती है। इन स्थानों से बांग्लादेश, मलेशिया, श्रीलंका तथा अरब देशों में
इंडियन लहसुन का निर्यात होता है। लहसुन के 20 हजारी होने के बाद से
सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया तथा अरब देशों के बडे़ कारोबारियों
ने लहसुन की खरीद-फरोख्त में दिलचस्पी दिखाई है।