नई दिल्ली। स्पेक्ट्रम घोटाले की जेपीसी जांच कराने की विपक्ष की मांग
के जवाब में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद की लोक लेखा समिति [पीएसी]
के समक्ष पेश होने की अभूतपूर्व पेशकश करते हुए सोमवार को कहा कि उनके पास
छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है।
कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन के दूसरे दिन सिंह ने कहा, ‘ पिछले साढ़े
छह साल से इस महान देश के प्रधानमंत्री के रूप में हो सकता है, मैंने
गलतियां की हों लेकिन मैंने अपनी भरपूर क्षमता से देश की सेवा करने की
कोशिश की।’
उन्होंने कहा, ‘मेरा ईमानदारी से मानना है कि सीजर की पत्ती की तरह
प्रधानमंत्री को भी संदेह से ऊपर रखना चाहिए और इसी वजह से मैं पीएसी के
समक्ष पेश होने को तैयार हूं हालांकि पूर्व में ऐसा कोई उदाहरण नहीं देखने
को मिलता है।’
सिंह ने कहा कि पीएसी के अध्यक्ष मुख्य विपक्षी दल भाजपा के वरिष्ठ
नेता मुरली मनोहर जोशी हैं। ‘इसे [पीएसी] वे सभी अधिकार हासिल हैं, जो
जेपीसी को दिए जा सकते हैं और पीएसी की मान्यता किसी भी वित्तीय अनियमितता
के वॉचडाग के रूप में है।’ उन्होंने कहा कि 2-जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल
खेल में अनियमितताओं की जांच चल रही है और मैं वायदा करता हूं कि कोई भी
दोषी बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल का नेता हो, अधिकारी
हो या कोई कितना ही ताकतवर क्यों न हो।
प्रधानमंत्री ने जेपीसी की मांग पर संसद के समूचे शीतकालीन सत्र को
ठप्प करने के विपक्ष के आचरण की आलोचना की। उन्होंने विपक्ष की इस दलील को
खारिज कर दिया कि वह जेपीसी से इसलिए बचना चाह रहे हैं ताकि प्रधानमंत्री
और केंद्रीय मंत्री उसके समक्ष पेश न होने पाएं।
सिंह ने कहा कि मैं पीएसी के चेयरमैन को पत्र लिखने जा रहा हूं कि अगर
वह मुझे समिति के सम्मुख उपस्थित होने को कहेंगे तो मैं सहर्ष पेश होने को
तैयार हूं। उन्होंने कहा कि भाजपा इस बात का झूठा प्रचार कर रही है कि
संप्रग सरकार जेपीसी के खिलाफ इसलिए है क्योंकि हम नहीं चाहते कि संसदीय
समिति प्रधानमंत्री से सवाल करे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह आरोप लगाकर विपक्ष कहना चाहता है कि जैसे मैं
कुछ छिपाना चाहता हूं। मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि सार्वजनिक
जीवन में मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और अपनी ईमानदारी को साबित
करने के लिए मैं पीएसी के अध्यक्ष को पत्र लिखने जा रहा हूं। सिंह ने कहा
कि पीएसी की रपट को संसद के समक्ष रखा जाएगा और उस पर चर्चा की जाएगी।
पीएसी जो भी सिफारिशें करेगी, सरकार उस पर अमल करेगी।
जेपीसी की मांग को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि बहुद्देश्यीय जांच
कार्य को देखते हुए जेपीसी की कोई आवश्यकता नहीं है। सिवाय इसके कि इससे
जांच में और विलंब हो और मामले का राजनीतिकरण हो। सिंह ने कहा कि हम संसद
में सारे मुद्दों पर चर्चा चाहते थे, लेकिन विपक्ष की जिद की वजह से संसद
का एक पूरा सत्रबर्बाद हो गया। विपक्ष की 2-जी स्पेक्ट्रम मामले की जेपीसी
जांच की मांग समझना मुश्किल है।
उन्होंने मुख्य विपक्षी दल भाजपा पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते
हुए कहा कि उसके शासित एक राज्य में घोटाले पर घोटाले हुए जा रहे हैं
लेकिन वह वहां के मुख्यमंत्री को बनाए हुए है। दूसरी ओर हमने केंद्र और
राज्यों के अपने मंत्रियों या मुख्यमंत्रियों के बारे में संदेह भर प्रकट
किए जाने पर जांच रपट का इंतजार किए बिना उन्हें पद से हटने को कह दिया।
मनमोह सिंह ने कहा कि कैग की रपट आने के फौरन बाद संबंधित मंत्री [ए
राजा] ने इस्तीफा दे दिया था। यह रपट संसद के सामने रखे जाने के बाद नियमों
के अनुसार पीएसी को भेज दी गई है। इसके साथ ही हमने यह पेशकश भी की है कि
इस समिति के काम में बहुआयामी जांच एजेंसी मदद करे। जहां तक 2-जी
स्पेक्ट्रम आवंटन में भ्रष्टाचार का आरोप है, उसकी जांच सीबीआई कर रही है
और यह जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है। उन्होंने कहा कि इसके
अलावा अगर 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया में किसी और तरह की कमियां
थीं तो उन्हें सामने लाने का काम हाई कोर्ट के एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश
को सौंपा गया है। ये सब कार्रवाई होने के बाद भी अब यह समझना काफी मुश्किल
है कि जेपीसी कौन से विषय की जांच करेगी।
सिंह ने विपक्ष को आडे़ हाथ लेते हुए कहा कि संसद सरकार के कामकाज पर
नजर रखने और उसमें सुधार लाने का सबसे अच्छा जरिया है, संसद हमारे लोकतंत्र
की बुनियाद है। यह सोचने वाली बात है कि जब विपक्ष को संसद पर ही भरोसा
नहीं है तो वे किस तरह की राजनीति में विश्वास रखते हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह महाधिवेशन ऐसे समय हो रहा है, जब हमारी
पार्टी और संप्रग सरकार पर तरह तरह के इल्जामात लगाए जा रहे हैं। हमारे
मकसद और उसूलों पर शक किया जा रहा है। राजनीतिक स्वार्थो के लिए हमारे
रिकार्ड पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह कहा जा रहा है कि हम भ्रष्टाचार के
प्रति उतने चौकस नहीं हैं, जितना हमें होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं
क्योंकि चाहे केंद्र हो या राज्य, हमारे मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने
‘उसूलों की सियासत’ का लिहाज करते हुए शक के घेरे में आने पर इस्तीफा दे
दिया। हम विपक्ष की तरह नहीं हैं कि राज्य में घोटाले पर घोटाले होते रहें
और मुख्यमंत्री ओहदे पर बने रहें।
प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार के काम में कहीं कोई कमी नजर
आती है तो उसे भी दूर किया जाएगा ताकि भ्रष्टाचार को रोकने की हमारी
कोशिशें और असरदार हो सकें। इस काम में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सभी
सदस्यों से सहयोग मांगा।
उन्होंने कांग्रेसजन से कहा, ‘जिम्मेदार नागरिक की हैसियत से हम सबका
फर्ज बनता है कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं। अगर आपको कहीं
भ्रष्टाचार होता नजर आता है तो उसे रोकनेकीऔर उसकी रिपोर्ट करने की आपको
पूरी कोशिश करनी चाहिए।’