नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चालू रबी सीजन में गेहूं की पैदावार को
बढ़ाने की सरकारी मंशा पर खादों की कमी पानी फेर सकती है। गेहूं उत्पादक
राज्य उत्तर, मध्य प्रदेश और बिहार में बुआई के लिए डीएपी और एनपीके जैसी
खादों की कमी है। जबकि पंजाब व हरियाणा में, जहां गेहूं की बुआई लगभग हो
खत्म चुकी है, पहली सिंचाई के वक्त यूरिया की कमी खल रही है। राज्य सरकारों
ने खाद की इस किल्लत के लिए केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय को दोषी करार दिया
है।
चालू रबी सीजन में गेहूं की पैदावार का लक्ष्य 20 लाख टन बढ़ाकर 8.2
करोड़ टन निर्धारित किया गया है, लेकिन खाद की कमी इसे प्राप्त करने में
रोड़ा बन सकती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात को गेहूं बुआई में
इस्तेमाल होने वाली डीएपी [डाइ अमोनियम फास्फेट] और एनपीके
[नाइट्रोजन-फास्फोरस-पोटाश] की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हुई है। हालांकि
उर्वरक मंत्रालय ने इससे साफ इंकार किया है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्यों ने जितनी खाद मांगी थी,
उसकी आपूर्ति कर दी गई थी। कई राज्यों में खाद वितरण की अव्यवस्था से
किल्लत की स्थिति पैदा हुई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार गेहूं की बुआई का पहला चरण बहुत शानदार रहा
है। लेकिन अब कुछ राज्यों से खाद की कमी की सूचना है, जिसे उर्वरक मंत्रालय
पूरी करने की कोशिश में जुटा है। कृषि वैज्ञानिक डॉ एके. सिंह के अनुसार
गेहूं की बुआई के समय ही डीएपी और एनपीके का प्रयोग ज्यादा फायदेमंद होता
है।
इसी स्थिति के बीच बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी अपनी
रिपोर्ट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा कमेटी ने किसानों को खेती के लिए खाद की
पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने पर जोर दिया है। रिपोर्ट में खाद की उपलब्धता
के लिए घरेलू स्तर पर उत्पादन करने की भी सिफारिश की गई है। साथ ही कृषि
योग्य भूमि की सेहत का ध्यान रखने के लिए भूमि का परीक्षण जरूरी बताया गया
है।