जबलपुर की लाड़ली लक्ष्मियां नंबर वन

भोपाल.
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर साढ़े तीन वर्ष
पूर्व लागू हुई लाड़ली लक्ष्मी योजना ने सर्वाधिक लोकप्रियता अर्जित की है।
योजना की सफलता को स्वीकारते हुए देशभर ने इसकी सराहना की है।




उत्तरप्रदेश और नई दिल्ली जैसे राज्यों ने भी इसे अपने यहां लागू कराया है।
मध्यप्रदेश में अब तक इस योजना से 5 लाख 53 हजार 523 बालिकाएं लाभान्वित
हुई है। योजना के तहत पंजीकरण के समय से लगातार पांच वर्ष तक 6 हजार रुपये
के राष्ट्रीय बचत पत्र अर्थात कुल 30 हजार रुपये के राष्ट्रीय बचत पत्र
बालिका के नाम से Rय किये जाते हैं।




बालिका के कक्षा 6 में प्रवेश लेने पर 2000 रुपये, 9वीं में प्रवेश लेने पर
4 हजार रुपये तथा 11वीं में प्रवेश लेने पर 7500 रुपये का एकमुश्त भुगतान
होगा। 11वीं में प्रवेश लेने के पश्चात अगले दो वर्ष के लिए 200 रुपये
प्रतिमाह का भुगतान किया जायेगा।




बालिका की आयु 21 वर्ष होने पर तथा कक्षा 12वी की परीक्षा में सम्मिलित
होने पर शेष एक मुश्त राशि लगभग एक लाख अठारह जार रुपये का भुगतान किया
जायेगा, किन्तु शर्त यह रहेगी कि बालिका का विवाह 18 वर्ष की आयु के पश्चात
हुआ हो।




लाड़ली लक्ष्मी योजना को कानूनी स्वरूप देने में जुटी राज्य सरकार को इसके
उद्देश्यों में भी सफलता मिली है। योजना के बेहतर संचालन और क्रियान्वयन का
परिणाम रहा कि बालिका जन्म के प्रति लोगों की सोच सकारात्मक हुई,बालिका
भ्रूण हत्या में कमी आई तथा लिंग अनुपात में सुधार आया। इसके साथ ही
बालिकाओं के शैक्षणिक स्तर और स्वास्थ्य की स्थितिम में भी अपेक्षित सुधार
परिलक्षित हुआ है।




महिला सशक्तिकरण एवं बालिकाओं के बेहतर भविष्य के प्रति फिRमंद सरकार
नियमित रूप से इस योजना की समीक्षा करती आई है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री
श्री चौहान स्वयं इसमें गहन रूचि लेकर समय-समय पर इसकी समीक्षा करते रहे
हैं। यही कारण है कि साढ़े पांच लाख से अधिक बालिकाओं के सुनहरे भविष्य की
आधारशिला रखने वाले मुख्यमंत्री श्री चौहान को बच्चों के मामा नाम से
लोकप्रियता मिली है।




प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ उठाने में जबलपुर जिला अग्रणी रहा
है, जहां अब तक 26 हजार 240 बालिकाएं लाभान्वित हुई। छिंदवाड़ा जिला दूसरे
स्थान पर रहा, जहां 26 हजार 45 बालिकाओं ने लाभ उठाया। योजना की सफलता का
एक पहलू यह भी रहा कि कुछ समय पूर्व जब जबलपुर के कमला नेहरू वार्ड निवासी
गंगाराम साहू की पत्नी शकुंतला सरकारी अस्पताल में दाखिल थी। तो उसने एक
बेटी का जन्म दिया था।




यह उसकी पहली संतान थी,जो एक साधारण से झूले में चैन की नींद सो रही थी।
गंगाराम और शकुंतला का इनक्षणों में संकट यह था कि बेटी के पैदा होने का
समाचार माताजी को कैसे दिया जाए। उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी इससे
माताजी प्रसन्न होंगी। वह पुराने विचारों की महिला थीं।




गंगाराम पेशे से श्रमिक हैं और उनकी आमदनी भी सीमित है। जैसे-तैसे गंगाराम
की मां को पता चला और तीन दिन बाद जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उनके घर पहुंचे
तो माताजी की चुप्पी देखकर समझ गए कि उन्हें बेटी के जन्म पर बहुत खुशी
नहीं हुई। शकुंतला को कभी इन कार्यकर्ताओं ने लाड़ली लक्ष्मी योजना की
जानकारी दी होगी, जो इस समय उसे याद आई।




कार्यकर्ताओं ने बच्ची को लाड़ किया और गंगाराम को बताया कि यह तुम्हारी
पहली संतान है और इस योजना का लाभ दो संतानों तक लिया जा सकता है। गंगाराम
और शकुंतला ने एक क्षण में तय किया कि वे अपनी बेटी को लाड़ली लक्ष्मी
बनाकर परिवार नियोजना कराना चाहेंगे। माताजी को भी जब योजना के दूरगामी
फायदों का पता चला तो पहली बार उनके चेहरे पर खुशी नजर आई।






उन्होंने अपने बेटे की तरफ देखकर कहा – गंगाराम हमारी बच्ची लाड़ली लक्ष्मी हुई और समझो तुम गंगा नहाए। हमारी बेटी भाग्यशाली है।

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