लुधियाना .
पंजाब की औद्योगिक नगरी लुधियाना में आम लोगों को छत देने की योजना के तहत
बना ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी (ग्लाडा) ने बिचौलियों को
मालामाल करने की व्यवस्था कर दी है। अर्बन एस्टेट बनाने के लिए 200 एकड़
जमीन का अधिग्रहण जल्द हो जाने की उम्मीद है।
इसका लाभ किसानों की जगह कालोनाइजरों को मिलना तय माना जा रहा है। डीसी रेट
पर 18 लाख से 35 लाख रुपये वाली जमीन 2 करोड़ 10 लाख से 4 करोड़ 95 लाख
रुपये के भाव खरीदने के लिए राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भी भेज दिया गया
है। अब पूरा खेल डीसी के पाले में है।
यद्यपि नेताओं और अधिकारियों के साथ मुनाफाखोरी में हिस्सेदारी के तयशुदा
नियमों का हवाला देते हुए एजेंटों के हौसले बुलंद हैं। सम्मानजनक हो चुके
दलाली के पेशे में बड़े कालोनाइजरों ने भी इसे अपना लिया है। किसानों से
कौड़ियों के भाव रजिस्ट्रियां कराने और शपथपत्र लेने के बाद करोड़ों के भाव
शहरियों को बेचने की व्यवस्था कर दी है।
700 करोड़ रुपये में 200 एकड़ जमीन के टेंडर गुपचुप तरीके से पास करने के
बाद ग्लाडा ने विभाग को भेज भी दिए हैं। अगस्त महीने में लुधियाना
फिरोजपुर रोड पर मुल्लांपुर तक, सिधवां नहर पर गांव संगोवाल से इसेवाल
ब्रिज तक, पक्खोवाल रोड से गांव जोधां तक, मलेरकोटला रोड पर गांव सरींह तक
और जालंधर बाइर्पास रोड पर गांव नुरपूर बेट तक 100 एकड़ वाले जमीन के प्लॉट
के संबंध में विज्ञापन प्रकाशित हुए। कालोनाइजिंग के धंधे में शामिल लोग
भी इसे किसानों के लिए ही लाभकारी मान रहे थे लेकिन अब कालोनाइजरों और
अफसरों का कॉकटेल सामने आ गया है।
अफसरों के पास नहीं जवाब
ग्लाडा की एसीए डॉ. इंदू मल्होत्रा के पास किसी सवाल का जवाब नहीं है।
उन्होंने इसकी पुष्टि भी कर दी कि जमीन दो बड़े कालोनाइजरों ने खरीदी जा
रही है।
डीसी करेंगे जमीन के भाव
ग्लाडा के मुख्य प्रशासक अजॉय कुमार सिन्हा का कहना है कि ओपन टेंडर के
जरिए जमीन लेने की प्रक्रिया हुई है। कालोनाइजरों ने चाहे कुछ भी रेट लिखा
हो, लेकिन जमीन के अंतिम भाव जिलाधीश अपनी कमेटी के सदस्यों के साथ तय
करेंगे।
पंजाब की औद्योगिक नगरी लुधियाना में आम लोगों को छत देने की योजना के तहत
बना ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी (ग्लाडा) ने बिचौलियों को
मालामाल करने की व्यवस्था कर दी है। अर्बन एस्टेट बनाने के लिए 200 एकड़
जमीन का अधिग्रहण जल्द हो जाने की उम्मीद है।
इसका लाभ किसानों की जगह कालोनाइजरों को मिलना तय माना जा रहा है। डीसी रेट
पर 18 लाख से 35 लाख रुपये वाली जमीन 2 करोड़ 10 लाख से 4 करोड़ 95 लाख
रुपये के भाव खरीदने के लिए राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भी भेज दिया गया
है। अब पूरा खेल डीसी के पाले में है।
यद्यपि नेताओं और अधिकारियों के साथ मुनाफाखोरी में हिस्सेदारी के तयशुदा
नियमों का हवाला देते हुए एजेंटों के हौसले बुलंद हैं। सम्मानजनक हो चुके
दलाली के पेशे में बड़े कालोनाइजरों ने भी इसे अपना लिया है। किसानों से
कौड़ियों के भाव रजिस्ट्रियां कराने और शपथपत्र लेने के बाद करोड़ों के भाव
शहरियों को बेचने की व्यवस्था कर दी है।
700 करोड़ रुपये में 200 एकड़ जमीन के टेंडर गुपचुप तरीके से पास करने के
बाद ग्लाडा ने विभाग को भेज भी दिए हैं। अगस्त महीने में लुधियाना
फिरोजपुर रोड पर मुल्लांपुर तक, सिधवां नहर पर गांव संगोवाल से इसेवाल
ब्रिज तक, पक्खोवाल रोड से गांव जोधां तक, मलेरकोटला रोड पर गांव सरींह तक
और जालंधर बाइर्पास रोड पर गांव नुरपूर बेट तक 100 एकड़ वाले जमीन के प्लॉट
के संबंध में विज्ञापन प्रकाशित हुए। कालोनाइजिंग के धंधे में शामिल लोग
भी इसे किसानों के लिए ही लाभकारी मान रहे थे लेकिन अब कालोनाइजरों और
अफसरों का कॉकटेल सामने आ गया है।
अफसरों के पास नहीं जवाब
ग्लाडा की एसीए डॉ. इंदू मल्होत्रा के पास किसी सवाल का जवाब नहीं है।
उन्होंने इसकी पुष्टि भी कर दी कि जमीन दो बड़े कालोनाइजरों ने खरीदी जा
रही है।
डीसी करेंगे जमीन के भाव
ग्लाडा के मुख्य प्रशासक अजॉय कुमार सिन्हा का कहना है कि ओपन टेंडर के
जरिए जमीन लेने की प्रक्रिया हुई है। कालोनाइजरों ने चाहे कुछ भी रेट लिखा
हो, लेकिन जमीन के अंतिम भाव जिलाधीश अपनी कमेटी के सदस्यों के साथ तय
करेंगे।