शिमला .
प्रदेश में उद्योगों से निकलने वाले औद्योगिक कचरे को यहां-वहां फेंका जा
रहा है। इस पर चेक के लिए सरकार कोई कड़े कदम नहीं उठा रही है। प्रतिमाह
850 औद्योगिक इकाइयों से करीब पांच हजार मीट्रिक टन खतरनाक औद्योगिक कचरा
निकलता है। इसमें से मात्र 700 मीट्रिक टन ही सही ढंग से निपटाया जा रहा
है। बाकी का कचरा इधर-उधर फेंक दिया जाता है।
850 उद्योगों में एक बड़ी संख्या फार्मा की है। सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार
उद्योगों से निकलने और बचने वाले खतरनाक औद्योगिक कचरे को वैज्ञानिक ढंग
से नष्ट किया जाना जरूरी है। कोई भी उद्योग कचरे को अपने पास 90 दिन से
ज्यादा इकट्ठा नहीं कर सकता।
औद्योगिक कचरे को नष्ट करने के लिए बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ औद्योगिक संघ
(बीबीएनआईए) और यूनाइटेड फासफोरस लिमिटेड के साथ संयुक्त उपक्रम के रूप
में ‘शिवालिक वेस्ट मैनेजमेंट उद्यम’ बद्दी में स्थापित किया गया है। इसमें
पूरे प्रदेश के खतरनाक औद्योगिक कचरा वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाता
है।
मगर प्रदेश के अधिकतर उद्योग वहां कचरा भेजने से कतरा रहे हैं। मात्र 600
के करीब उद्योगों ने ही शिवालिक वेस्ट मैनेजमेंट उद्यम से कचरा निपटाने का
समझौता किया है। हैरानी इस बात की है कि अभी तक केवल 380 उद्योग ही इस
संयंत्र में अपना औद्योगिक कचरा भेज रहे हैं।
इसकी मात्रा 45 फीसदी है। बाकी कचरा कहां जा रहा है, इसकी कोई सुध नहीं ले
रहा है। वहीं, शिवालिक वेस्ट मैनेजमंेट उद्यम के एक अधिकारी का कहना है कि
कचरा निस्तारण की दरें प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक संगठनों ने मिलकर तय की
हैं। मगर फिर भी उद्योगों के वार्षिक टर्न ओवर के आधार पर ये दरें
निर्धारित हैं जो दस हजार रुपए से लेकर एक लाख 25 हजार रुपए 20 वर्ष तक के
लिए एक ही दफा लिए जाते हैं।
कड़ी कार्रवाई होगी
सिरमौर जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक्सईएन एके शारदा के अनुसार ‘हेजार्डस
वेस्ट हैंडल एक्ट-2005’ के अनुसार खतरनाक औद्योगिक कचरे को 90 दिन के भीतर
नष्ट करना आवश्यक है। जो उद्योग इस मामले में कोताही बरत रहे हैं, उनके
खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश में उद्योगों से निकलने वाले औद्योगिक कचरे को यहां-वहां फेंका जा
रहा है। इस पर चेक के लिए सरकार कोई कड़े कदम नहीं उठा रही है। प्रतिमाह
850 औद्योगिक इकाइयों से करीब पांच हजार मीट्रिक टन खतरनाक औद्योगिक कचरा
निकलता है। इसमें से मात्र 700 मीट्रिक टन ही सही ढंग से निपटाया जा रहा
है। बाकी का कचरा इधर-उधर फेंक दिया जाता है।
850 उद्योगों में एक बड़ी संख्या फार्मा की है। सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार
उद्योगों से निकलने और बचने वाले खतरनाक औद्योगिक कचरे को वैज्ञानिक ढंग
से नष्ट किया जाना जरूरी है। कोई भी उद्योग कचरे को अपने पास 90 दिन से
ज्यादा इकट्ठा नहीं कर सकता।
औद्योगिक कचरे को नष्ट करने के लिए बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ औद्योगिक संघ
(बीबीएनआईए) और यूनाइटेड फासफोरस लिमिटेड के साथ संयुक्त उपक्रम के रूप
में ‘शिवालिक वेस्ट मैनेजमेंट उद्यम’ बद्दी में स्थापित किया गया है। इसमें
पूरे प्रदेश के खतरनाक औद्योगिक कचरा वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाता
है।
मगर प्रदेश के अधिकतर उद्योग वहां कचरा भेजने से कतरा रहे हैं। मात्र 600
के करीब उद्योगों ने ही शिवालिक वेस्ट मैनेजमेंट उद्यम से कचरा निपटाने का
समझौता किया है। हैरानी इस बात की है कि अभी तक केवल 380 उद्योग ही इस
संयंत्र में अपना औद्योगिक कचरा भेज रहे हैं।
इसकी मात्रा 45 फीसदी है। बाकी कचरा कहां जा रहा है, इसकी कोई सुध नहीं ले
रहा है। वहीं, शिवालिक वेस्ट मैनेजमंेट उद्यम के एक अधिकारी का कहना है कि
कचरा निस्तारण की दरें प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक संगठनों ने मिलकर तय की
हैं। मगर फिर भी उद्योगों के वार्षिक टर्न ओवर के आधार पर ये दरें
निर्धारित हैं जो दस हजार रुपए से लेकर एक लाख 25 हजार रुपए 20 वर्ष तक के
लिए एक ही दफा लिए जाते हैं।
कड़ी कार्रवाई होगी
सिरमौर जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक्सईएन एके शारदा के अनुसार ‘हेजार्डस
वेस्ट हैंडल एक्ट-2005’ के अनुसार खतरनाक औद्योगिक कचरे को 90 दिन के भीतर
नष्ट करना आवश्यक है। जो उद्योग इस मामले में कोताही बरत रहे हैं, उनके
खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।