नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश में किसी को भूखा न सोने देने की
महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा योजना को अमली जामा पहनाने में अभी थोड़ा वक्त
और लगेगा। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद
[एनएसी] संबंधित विधेयक का मसौदा बनाने में लगी है, लेकिन उसे अंतिम रूप
सी. रंगराजन कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही दिया जा सकेगा।
एनएसी में खाद्य सुरक्षा विधेयक तैयार रहा कार्यसमूह 9, 10, 11 दिसंबर को
विधेयक के मसौदे पर विचार विमर्श करेगा। इसके बाद 21 दिसंबर को सोनिया की
अध्यक्षता में मैराथन बैठक होने की संभावना है। दरअसल, एनएसी ने खाद्य
सुरक्षा विधेयक पर अपनी संस्तुतियां प्रधानमंत्री कार्यालय भेज दी है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन और वित्त
मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु इन संस्तुतियों की समीक्षा कर रहे
हैं।
इनकी रिपोर्ट के बाद ही एनएसी विधेयक को अंतिम रूप दे पाएगी। इसीलिए,
शुक्रवार को एनएसी की बैठक में इस मुद्दे पर अनौपचारिक चर्चा ही ज्यादा
हुई। सोनिया गांधी भी करीब एक घंटे तक ही बैठक में मौजूद रहीं। फिर वह
रायबरेली के लिए रवाना हो गईं। एनएसी सूत्रों के मुताबिक, बैठक में
कार्यसमूह के संयोजक हर्ष मंदर ने मसौदे के प्रारूप पर विस्तृत
प्रस्तुतीकरण दिया। सदस्यों का सुझाव था कि इस विधेयक के साथ-साथ पूरे देश
में इसके अमल का तंत्र मजबूत करना ज्यादा जरूरी है। बैठक में बाल पोषाहार
पर भी अनौपचारिक चर्चा हुई। सदस्यों के बीच यह सहमति थी कि सार्वजनिक वितरण
प्रणाली [पीडीएस] की तरह समेकित बाल विकास योजना [आईसीडीएस] में सुधार पर
भी ध्यान देना होगा।
इसके अलावा सदस्यों ने सांप्रदायिक हिंसा विधेयक पर भी चर्चा की। सभी
सदस्यों ने अपराधियों को दंडित करने के साथ-साथ ऐसी घटनाओं को रोकने पर भी
जोर दिया। सभी इलाकों में बच्चों के लिए ऐसे कल्याण केंद्र खोलने का सुझाव
दिया गया, जहां सभी धर्मो के बच्चे आपस में खेलें, पढ़ें, प्रार्थना करें
और साथ में समय बिताएं। सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित कार्यसमूह की संयोजक
फराह नकवी ने इस बारे में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला