866 बच्चों पर किया गया ड्रग ट्रायल

भोपाल जागरण ब्यूरो। मध्यप्रदेश में बच्चों के स्वास्थ्य की परवाह किए
बिना क्लीनिकल ड्रग ट्रायल एवं वैकसीन ट्रायल किया गया। पिछले दो वर्षो
में यहा 866 बच्चों पर टीका और तीन बच्चों पर दवा के परीक्षण हो चुके हैं।
ये सभी परीक्षण बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने किए हैं।

प्रदेश के स्वास्थ्य राज्यमंत्री महेंद्र हार्डिया ने मंगलवार को
विधानसभा में विधायक पारस सखलेचा द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में यह
जानकारी दी। श्री सखलेचा मंत्री के जवाब से असंतुष्ट थे। उनका कहना था कि
उन्होंने जितनी जानकारियां मांगी मंत्री ने आधी अधूरी जानकारी दी। वर्तमान
में स्वास्थ्य विभाग में कैबिनेट स्तर का कोई मंत्री नहीं है। राज्य मंत्री
महेन्द्र हार्डिया ने विधायक को बताया कि पिछले दो वर्षो में कुल 869
बच्चों पर ड्रग ट्रायल किया गया है। ये सभी परीक्षण विश्व स्वास्थ्य संगठन
ने नहीं, बल्कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने कराए हैं। इसके लिए चिकित्सकों
को राशि का भुगतान भी किया गया है। हार्डिया ने बताया कि वर्ष 2010 में
सर्वाइकल कैंसर और गुप्ताग कैंसर के लिए वी-503 टीका का 44 बच्चों व
युवतियों पर परीक्षण किया गया है। स्वास्थ्य राच्यमंत्री ने कहा कि विश्व
में ऐसा कोई कानून नहीं है, जिससे ड्रग ट्रायल को रोका जा सके। इसके बावजूद
प्रदेश सरकार ने नए दवा परीक्षणों पर रोक लगाने के साथ ही इन मामलों की
जाच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई है। विधायक सखलेचा का आरोप है कि
उन्होंने दवा व टीका परीक्षण की छह वर्ष की जानकारी मागी थी, लेकिन उन्हें
केवल दो साल की जानकारी दी गई है। इतना ही नहीं उन्हें जो जानकारी दी गई
है, वह अपूर्ण एवं भ्रामक है। उनका कहना है कि सर्वाइकल व गुप्ताग कैंसर
मूल रूप से यूरोपीय देशों में होता है। मध्य प्रदेश में यह बीमारी न के
बराबर है। उन्होंने सवाल किया है कि प्रदेश में डेंगू, चिकनगुनिया, कुपोषण,
फैल्सीफेरम मलेरिया से अधिकतर मौतें होती हैं। इन बीमारियों पर दवा
परीक्षण करने की बजाय यूरोपीय देशों की बीमारी के लिए टीका और दवा परीक्षण
किया जा रहा है, जिसका कोई औचित्य नहीं है।

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