भोपाल. राज्य सरकार फिलहाल सरकारी मेडिकल कॉलेजों से डिग्री लेने के बाद गांव न जाने वाले डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन निरस्त नहीं कर सकेगी।
सरकार
ने सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल कॉलेजों के बॉन्डेड यूजी और पीजी डॉक्टरों को
दो साल की नौकरी गांव में करने के मामले में याचिका लगाई थी।जिसमें गांव
में ड्यूटी न करने पर डॉक्टरों द्वारा बॉन्ड की शर्तो के मुताबिक सरकार ने
जमा की जाने वाली निश्चित राशि लेने से इनकार किया था।
सुप्रीम
कोर्ट में सोमवार को जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस सुरिंदर सिंह
निज्जर की बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 4 माह के अंदर हाईकोर्ट
में जाने को कहा है।
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रदेश
अध्यक्ष डॉ.विक्रांत भूरिया ने बताया कि हाईकोर्ट ने सितंबर 09 में राज्य
सरकार को बॉन्ड की शर्तों का पालन करने को कहा था। जिस पर स्टे ऑर्डर लेकर
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट
ने खारिज कर दिया।
अब मामले की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में होगी।
ये था अंतरिम आदेश
पीजी
डिग्री और डिप्लोमा कंप्लीट कर गांव न जाने वाले जूनियर डॉक्टरों के
पंजीयन मामले का फैसला न होने तक रद्द न करने को कहा था। साथ ही कहा था कि
जो डॉक्टर बॉन्ड की राशि जमा करने को तैयार है, उनसे राशि जमा कराई जाए और
उनके शैक्षणिक दस्तावेज उन्हें दे दिए जाएं।
साथ ही कहा था कि
अगर फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में होता है तो सरकार को उसके द्वारा जमा की
गई राशि ब्याज सहित वापस लौटानी होगी। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आरके गुप्ता की युगलपीठ ने की थी।
मुझे नहीं है जानकारी
बॉन्डेड
जूनियर डॉक्टरों को गांव में अनिवार्य सेवा देने के मामले में दायर याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है,इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
महेंद्र हार्डिया,राज्य मंत्री,चिकित्सा शिक्षा