भिवानी.
बिजली के बिल की अदायगी में एकसमान प्रणाली लागू करवाने के लिए एक दशक से
अधिक समय से संघर्ष कर रहे किसानों की मांग मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह
हुड्डा ने आखिर मान ही ली। सीएम ने घोषणा की कि प्रदेश के किसान ट्यूबवेल
से पानी निकालने के खर्च की अदायगी स्लैब प्रणाली से कर सकेंगे। हालांकि
स्लैब प्रणाली कितनी होगी, इसका उन्होंने खुलासा नहीं किया। मौका था,
भिवानी के किरोड़ीमल पार्क में अभिनंदन रैली का।
प्रदेश में बड़े पैमाने पर जेबीटी अध्यापकों की नियुक्ति की खुशी में
अभिभावकों ने सुमेर सिंह के नेतृत्व में पगड़ी पहनाकर सीएम का अभिवादन
किया। सीएम ने दादरी के विधायक सतपाल सांगवान को मंत्री बनाने का वादा करते
हुए भिवानी में बॉक्सिंग एकडेमी, फोर लेन रोड, राजीव गांधी महिला
महाविद्यालय, कन्या स्कूल के भवन की आधारशिला रखने सहित करीब 40 करोड़ रुपए
की परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के किसानों की खुशहाली ही उनकी
खुशहाली है। रैली को फूलचंद मुलाना, मुख्य संसदीय सचिव रामकिशन फौजी,
धर्मबीर सिंह, श्रुति चौधरी, किरण चौधरी, रणबीर महेंद्रा, संपत सिंह, सतपाल
सांगवान व मेजर नृपेंद्र सिंह ने भी संबोधित किया।
स्लैब का फायदा
अब तक ट्यूबवेल से पानी निकालने के लिए मोटर पर 35 रुपए प्रति हार्स पावर
का बिल लिया जाता है। जहां जलस्तर ऊपर है, वहां पांच हार्स पावर तक मोटर से
काम चल जाता है। इससे खर्च कम आता है। मगर जहां जलस्तर नीचे है, (द.
हरियाणा) वहां 15 हार्स पावर तक मोटर लगानी पड़ती है। इससे किसानों को
सिंचाई में अधिक खर्च करना पड़ता है। स्लैब प्रणाली से सरकार एक निर्धारित
कोटा तय कर सकती है, जिसमें एक स्तर के बाद का खर्च किसानों को नहीं देना
पड़ेगा।
बिजली के लिए हुआ था टकराव
10 अक्टूबर 1997 को बिजली की मांग को लेकर भिवानी के मंडियाली गांव में
पुलिस से टकराव हो गया था। इसमें पांच लोगों की जान चली गई थी और 23 अगस्त
1995 को भिवानी के कादमा कांड में पांच लोगों की मौत हो गई थी।
क्या हैं रैली के मायने
एक नवंबर को इनेलो अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला ने रैली कर एकाएक सक्रियता बढ़ा
दी है। हजकां अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई भी दिसंबर में रैली करने जा रहे हैं।
ऐसे में विपक्ष को जवाब देने के लिए हुड्डा ने किसान कार्ड का प्रयोग कर
वर्षो से लंबित पड़ी मांग को मान लिया। किसानों को पूरी तरह अपने पक्ष में
करने की चाहत। अध्यापकों की नियुक्ति का श्रेय लिया। रैली के माध्यम से
बेरोजगारों को संकेत दिया कि सरकार आगे भी खाली पड़ेपदों को भरेगी।
बिजली के बिल की अदायगी में एकसमान प्रणाली लागू करवाने के लिए एक दशक से
अधिक समय से संघर्ष कर रहे किसानों की मांग मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह
हुड्डा ने आखिर मान ही ली। सीएम ने घोषणा की कि प्रदेश के किसान ट्यूबवेल
से पानी निकालने के खर्च की अदायगी स्लैब प्रणाली से कर सकेंगे। हालांकि
स्लैब प्रणाली कितनी होगी, इसका उन्होंने खुलासा नहीं किया। मौका था,
भिवानी के किरोड़ीमल पार्क में अभिनंदन रैली का।
प्रदेश में बड़े पैमाने पर जेबीटी अध्यापकों की नियुक्ति की खुशी में
अभिभावकों ने सुमेर सिंह के नेतृत्व में पगड़ी पहनाकर सीएम का अभिवादन
किया। सीएम ने दादरी के विधायक सतपाल सांगवान को मंत्री बनाने का वादा करते
हुए भिवानी में बॉक्सिंग एकडेमी, फोर लेन रोड, राजीव गांधी महिला
महाविद्यालय, कन्या स्कूल के भवन की आधारशिला रखने सहित करीब 40 करोड़ रुपए
की परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के किसानों की खुशहाली ही उनकी
खुशहाली है। रैली को फूलचंद मुलाना, मुख्य संसदीय सचिव रामकिशन फौजी,
धर्मबीर सिंह, श्रुति चौधरी, किरण चौधरी, रणबीर महेंद्रा, संपत सिंह, सतपाल
सांगवान व मेजर नृपेंद्र सिंह ने भी संबोधित किया।
स्लैब का फायदा
अब तक ट्यूबवेल से पानी निकालने के लिए मोटर पर 35 रुपए प्रति हार्स पावर
का बिल लिया जाता है। जहां जलस्तर ऊपर है, वहां पांच हार्स पावर तक मोटर से
काम चल जाता है। इससे खर्च कम आता है। मगर जहां जलस्तर नीचे है, (द.
हरियाणा) वहां 15 हार्स पावर तक मोटर लगानी पड़ती है। इससे किसानों को
सिंचाई में अधिक खर्च करना पड़ता है। स्लैब प्रणाली से सरकार एक निर्धारित
कोटा तय कर सकती है, जिसमें एक स्तर के बाद का खर्च किसानों को नहीं देना
पड़ेगा।
बिजली के लिए हुआ था टकराव
10 अक्टूबर 1997 को बिजली की मांग को लेकर भिवानी के मंडियाली गांव में
पुलिस से टकराव हो गया था। इसमें पांच लोगों की जान चली गई थी और 23 अगस्त
1995 को भिवानी के कादमा कांड में पांच लोगों की मौत हो गई थी।
क्या हैं रैली के मायने
एक नवंबर को इनेलो अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला ने रैली कर एकाएक सक्रियता बढ़ा
दी है। हजकां अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई भी दिसंबर में रैली करने जा रहे हैं।
ऐसे में विपक्ष को जवाब देने के लिए हुड्डा ने किसान कार्ड का प्रयोग कर
वर्षो से लंबित पड़ी मांग को मान लिया। किसानों को पूरी तरह अपने पक्ष में
करने की चाहत। अध्यापकों की नियुक्ति का श्रेय लिया। रैली के माध्यम से
बेरोजगारों को संकेत दिया कि सरकार आगे भी खाली पड़ेपदों को भरेगी।