बोस्टन अमेरिकी
पत्रिका फोर्ब्स ने सात सबसे शक्तिशाली भारतीयों की सूची जारी की है। ये
सातों ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं। बावजूद इसके, उन्होंने ऐसी तकनीक इजाद की,
जिससे देशभर में लोगों का जीवन बदल गया है।
आईआईएम अहमदाबाद के
प्रोफेसर व भारत के हनीबी नेटवर्क के संस्थापक अनिल गुप्ता ने फोब्र्स
पत्रिका के लिए इन सात सबसे शक्तिशाली ग्रामीण भारतीय उद्यमियों का चयन
किया है। गुप्ता का कहना है fd भारत के गांव बदलाव के शक्तिशाली मंच बनकर
उभरे हैं। यहां के लोग अपनी जरूरतों के मुताबिक आविष्कार कर रहे हैं। इस
सूची में ज्यादातर लोगों ने प्राथमिक स्कूली शिक्षा से अधिक पढ़ाई नहीं की।
मनसुखभाई
जगनी ने एक मोटरसाइकिल आधारित ट्रैक्टर विकसित किया है, जो न केवल 318
डॉलर में उपलब्ध है, बल्कि यह दो लीटर ईंधन में महज आधे घंटे में एक एकड़
भूमि जोत सकता है। वहीं, मनसुखभाई पटेल ने कपास की छंटाई की मशीन ईजाद की
है, जिससे कपास की खेती की लागत में उल्लेखनीय कमी आई है। इस मशीन ने भारत
के कपास उद्योग में क्रांति पैदा कर दी। मनसुखभाई प्रजापति ने मिट्टी से एक
रेफ्रिजरेटर तैयार किया है, जो बिना बिजली के चलता है। यह उन लोगों के लिए
वरदान है जो बिजली के कारण फ्रिज नहीं खरीद सकते।
सूची में
सामाजिक उद्यमी अंशु गुप्ता को भी शामिल किया है, जिन्होंने गूंज संस्था
स्थापित की। यह संस्था देश के अमीरों से इस्तेमाल कपड़ों एवं घरेलू सामानों
को लेकर सबसे गरीब समुदायों तक पहुंचाती है। गुप्ता हर महीने 30 टन कपड़े
एकत्र करते हैं और इसे 20 राज्यों में सबसे गरीब लोगों के बीच बांटते हैं।
वहीं
ट्राइका फार्मा के एमडी केतन पटेल ‘भारत के दर्दनिवारक’ हैं। पटेल का
कारोबार दर्दनिवारक समाधान विकसित करने पर काम करता है। उन्होंने विश्व का
पहला दर्दनिवारक आईक्लोफेनैक इंजेक्शन विकसित किया। गुप्ता की सूची में
दादाजी रामाजी खोबरागड़े भी शामिल हैं, जिन्होंने चावल की एचएमटी किस्म
विकसित की जो पारंपरिक किस्म की तुलना में 80 प्रतिशत अधिक पैदावार करती
है।
वहीं, मदनलाल कुमावत ने ईंधन की कम खपत वाला थ्रेशर विकसित
किया है, जो कई फसलों के लिए लाभदायक है। कुमावत चार दर्जा से अधिक नहीं
पढ़े हैं। लक्ष्मी आसू मशीन के जनक चिंताकिंडी मल्लेशाम की मशीन ने बुनकर
समुदाय में क्रांति ला दी। मल्लेशाम की मशीन छह साड़ियों का मटीरियल एक दिन
में तैयार कर सकती है।