नई दिल्ली.
भुखमरी के कारण हमारे देश में पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका से ज्यादा
मौतें होती हैं। फिर भी सरकार के पास मुफ्त खाद्यान्न बांटने का कोई
प्रस्ताव नहीं है।
कृषि, उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री प्रो. केवी थॉमस ने
लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट
की रिपोर्ट का जिक्र किया।
अक्टूबर 2010 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल हंगर सूचकांक में भारत के
24.1 अंक हैं। इस सूचकांक में विभिन्न देशों को 100 अंकों के पैमाने पर
रखा गया है। इनमें शून्य सवरेत्तम अंक है। किसी देश को यह अंक मिलने का
मतलब वहां कोई भुखमरी नहीं है। इस पैमाने पर 100 अंक मिलने को सबसे ज्यादा
खराब माना गया है।
थॉमस ने बताया कि सरकार को पिछले तीन वषरें में भुखमरी से मौत की कोई सूचना
नहीं मिली है। यह सूचकांक पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण और
बाल मृत्यु का संयुक्त मापक है। उन्होंने बताया कि 2008-09 के दौरान 23
करोड़ 44 लाख टन खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।
सरकार के पास खाद्यान्न का पर्याप्त बफर स्टॉक है। सरकार मिड-डे मील योजना,
एकीकृत बाल विकास सेवा स्कीम, अन्नपूर्णा स्कीम, ग्रामीण अनाज बैंक स्कीम
आदि जैसी अन्य कल्याण योजनाएं भी क्रियान्वित कर रही है। लेकिन उन्होंने
गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने जैसी किसी योजना का जिक्र नहीं किया।
भुखमरी के कारण हमारे देश में पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका से ज्यादा
मौतें होती हैं। फिर भी सरकार के पास मुफ्त खाद्यान्न बांटने का कोई
प्रस्ताव नहीं है।
कृषि, उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री प्रो. केवी थॉमस ने
लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट
की रिपोर्ट का जिक्र किया।
अक्टूबर 2010 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल हंगर सूचकांक में भारत के
24.1 अंक हैं। इस सूचकांक में विभिन्न देशों को 100 अंकों के पैमाने पर
रखा गया है। इनमें शून्य सवरेत्तम अंक है। किसी देश को यह अंक मिलने का
मतलब वहां कोई भुखमरी नहीं है। इस पैमाने पर 100 अंक मिलने को सबसे ज्यादा
खराब माना गया है।
थॉमस ने बताया कि सरकार को पिछले तीन वषरें में भुखमरी से मौत की कोई सूचना
नहीं मिली है। यह सूचकांक पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण और
बाल मृत्यु का संयुक्त मापक है। उन्होंने बताया कि 2008-09 के दौरान 23
करोड़ 44 लाख टन खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।
सरकार के पास खाद्यान्न का पर्याप्त बफर स्टॉक है। सरकार मिड-डे मील योजना,
एकीकृत बाल विकास सेवा स्कीम, अन्नपूर्णा स्कीम, ग्रामीण अनाज बैंक स्कीम
आदि जैसी अन्य कल्याण योजनाएं भी क्रियान्वित कर रही है। लेकिन उन्होंने
गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने जैसी किसी योजना का जिक्र नहीं किया।