सीएम ने उपलब्धियां गिनाई, गवर्नर ने जमीन दिखाई

देहरादून, जागरण संवाददाता। राज्य स्थापना
व्याख्यानमाला के तहत टाटा समूह के चेयरमैन रतन नवल टाटा के व्याख्यान से
पूर्व राज्य के मुखिया डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने दस वर्ष की अल्प आयु
में राज्य द्वारा हासिल की गई उपलब्धियां गिनाई, तो राज्यपाल माग्र्रेट
आल्वा ने इस लंबी अवधि के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से जुड़े जनहित के कई
अनसुलझे सवाल उठाकर सभी को जमीनी हकीकत से रूबरू कराया।

राज्य स्थापना व्याख्यानमाला के दौरान टाटा समूह के चेयरमैन रतन नवल
टाटा ’21वीं सदी: संभावनाएं व चुनौतियां’ विषय पर बोले। इससे पूर्व
मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक व राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा के
संबोधन कहीं न कहीं राज्य के मौजूदा आर्थिक व सामाजिक हालात की समीक्षा के
लिहाज से एक-दूसरे के पूरक नजर आए। मुख्यमंत्री का संबोधन जहां छोटे से
अरसे में राज्य द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों से परिपूर्ण था। वहीं,
राज्यपाल के संबोधन में राज्य गठन के दस साल बाद भी जनता की अधूरे सपनों
का समावेश रहा।

मुख्यमंत्री डा. निशंक ने कहा कि वर्ष 2000 में 2.9 प्रतिशत विकास दर
वाले नवोदित राज्य ने 2009 तक आते-आते 9.41 प्रतिशत की विकास दर हासिल की
है। योजना आयोग के सर्वे में भी विकास दर की गति के मामले में उत्ताराखंड
अव्वल आया है। इसी तरह प्रदेश की प्रतिव्यक्ति वार्षिक आय भी इन दस सालों
में 14300 रुपये से बढ़कर 42 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है। राज्य की यह
प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि कर
राजस्व के मामले में भी राज्य 165 करोड़ रुपये बढ़कर 3000 करोड़ रुपये तक
पहुंच चुका है।

डा. निशंक ने श्री रतन टाटा से ऐसे नवोदित राज्य के विकास में
मैनेजमेंट गुरू की भूमिका निभाने का आग्रह किया। उधर, राज्यपाल माग्र्रेट
आल्वा ने इन उपलब्धियों की सराहना करते हुए राज्य के जमीनी हालात की ओर
फोकस किया। श्रीमती आल्वा ने बताया कि राज्य गठन के वक्त उत्ताराखंड को
बिजली के मामले में सरप्लस स्टेट का दर्जा हासिल था, लेकिन आज डेफिसिट
स्टेट बन गया है। गांव व शहर और पहाड़ व मैदान के बीच एक गहरी ‘खाई’ आज भी
मौजूद है। दूरस्थ पर्वतीय इलाकों में लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाएं
मयस्सर नहीं।

गांव-गांव में स्कूल हैं, लेकिन शिक्षक नहीं। पहाड़ में अस्पताल हैं,
लेकिन डाक्टर वहां जाना नहीं चाहते। सुदूरवर्ती इलाकों में गांव हैं,
लेकिन सड़क नहीं। लोग शिक्षित हो रहे हैं, लेकिन गुणवत्ता सुधार की गुंजाईश
बाकी है। यह तमाम चुनौतियां हैं, जिनसे इस युवा राज्य को निपटना है। जाहिर
है इसके लिए सुप्रशिक्षित मैनपावर की कमी को भी पूरा करना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *