नई दिल्ली/रायपुर.केंद्र
की आर्थिक मदद से राज्यों द्वारा नक्सल हिंसा के विरोध में चलाए जा रहे
ऑपरेशन का ऑडिट होगा। केंद्र सरकार ने यह फैसला इन अभियानों की सफलता परखने
के लिए किया है। पिछले आठ साल से केंद्र सरकार राज्यों को सुरक्षा के लिए
विशेष योजना के तहत फंड दे रही है।
इस योजना के खर्च को जांचने
के लिए सबसे पहले गृह मंत्रालय द्वारा एजेंसी का चयन किया जाना है। चुनी गई
एजेंसी राज्यों में जाकर जमीनी जानकारी जुटाएगी कि केंद्र से मिला फंड
कहां-कहां खर्च किया गया।
इस फंड स्कीम को आंध्रप्रदेश, बिहार,
छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब,
तमिलनाडु, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में लागू किया गया। कुल
मिलाकर नौ राज्यों के 81 जिलों में यह योजना लागू है।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
ऑडिट
करने वाली एजेंसी पता लगाएगी कि फंड का इस्तेमाल कितनी जल्दी किया गया,
फंड का सबसे उपयुक्त इस्तेमाल होने के लिए राज्यों ने कितना बेहतर माहौल
बनाया। इस योजना से सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ने और फंड मिलने से सुरक्षा का
माहौल बेहतर होने के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी।
कैसे मिलता है राज्यों को फंड
नक्सलियों
से लड़ रहे राज्य अपने इलाके में ऑपरेशन पर जो भी खर्च करता है, उसका
हिसाब केंद्र सरकार को भेज देता है। इस हिसाब से सारा फंड राज्यों को
केंद्र से वापस मिल जाता है। इस फंड में आम लोगों को मुआवजा, ग्राम रक्षा
समिति का गठन, सरेंडर करने वाले नक्सलियों का पुनर्वास और सुरक्षाकर्मियों
के साजो-सामान का खर्च शामिल है।
राज्य को मिलते हैं 67 करोड़
नक्सली
हिंसा से जूझ रहे छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार से बहुत कम राशि मिल पाती है।
आधुनिकीकरण के मद में राज्य को सालाना करीब 25 करोड़ रुपए मिलते हैं।
स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर मद में करीब 27 करोड़ और सुरक्षा संबंधी व्यय के
लिए करीब 15 करोड़ रुपए राज्य को केंद्र भेजता है।
इस राशि
से नक्सल क्षेत्रों में लगे थानों की सुरक्षा से लेकर वाहनों के ईंधन और
मरम्मत आदि का खर्च वहन किया जाता है। दूसरी राज्य पुलिस का कुल 1100 करोड़
रुपए का बजट है जिसमें से बड़ी राशि नक्सल ऑपरेशन में खर्च किया जाता है।