रोहतक/महम. महम
के सामान्य अस्पताल में डिलीवरी के लिए पहुंची महिला का नहीं हो सका इलाज।
परिजनों का आरोप है कि डच्यूटी पर मौजूद स्टाफ सोता रहा। डिलीवरी करने के
बजाय उसको रोहतक के लिए रैफर कर दिया। समय पर डिलीवरी नहीं होने के कारण
महिला की मदीना के पास एंबुलैंस में ही आधी डिलीवरी हो गई। जिस कारण बच्चे
की मौत हो गई।
चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप
समय पर सही इलाज न मिलने के चलते एक महिला की एंबुलैंस में ही आधी डिलीवरी
हो गई। जिस कारण बच्चे की मौत हो गई। बाद में महिला को सामान्य अस्पताल
रोहतक में भर्ती कराया गया। जहां ऑपरेशन के जरिये बच्चे को बाहर निकाला
गया। महिला के पति ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उसने मामले
की शिकायत डीसी और सीएमओ को दी है।
जानकारी के मुताबिक महम के वार्ड नंबर पांच निवासी परविंदर की पत्नी सोनू
की डिलीवरी होनी थी। जिसके चलते रविवार सुबह करीब छह बजे उसे महम के
सामान्य अस्पताल में ले जाया गया। परविंदर ने बताया कि वहां का सारा स्टॉफ
सोया पड़ा था। काफी देर बाद एक महिला चिकित्सक आई और सोनू को रोहतक के लिए
रेफर कर दिया। तब तक बच्चे का एक पैर बाहर आ चुका था।
रोहतक आते वक्त गांव खरकड़ा के पास सोनू की हालत और भी बिगड़ गई और बच्चे
का आधा शरीर बाहर आ गया था। परविंदर उसे मदीना गांव स्थित पीएचसी में ले
गया, लेकिन वहां पर ताला लगा था। जिस कारण वह रोहतक की ओर ही चल पड़ा,
लेकिन रास्ते में ही सोनू दर्द के कारण बेहोश हो गई। जिस कारण डिलीवरी पूरी
तरह से नहीं हो सकी। इसके बाद उसे रोहतक के सामान्य अस्पताल में भर्ती
कराया गया। जहां चिकित्सकों ने ऑपरेशन से बच्चे को बाहर निकाला, लेकिन तब
तक उसकी मौत हो चुकी थी। चिकित्सकों के मुताबिक अधिक खून बह जाने के कारण
सोनू की हालत गंभीर बनी हुई है।
परविंदर का आरोप है कि महम के चिकित्सकों की लापरवाही के कारण ही उसके
बच्चे की मौत हुई है। यदि चिकित्सक उसे भर्ती कर लेते तो न तो उसका बच्च
मरता और न ही सोनू का ऑपरेशन करना पड़ता। उसने मदीना की पीएचसी बंद होने पर
भी हैरानी जताई। परविंदर अपनी शिकायत लेकर सीएमओ कार्यालय पहुंचा, लेकिन
रविवार होने के कारण वहां कोई नहीं मिला। इसके बाद वह डीसी आवास पर पहुंचा
और वहां तैनात कर्मचारी को अपनी शिकायत दी। परविंदर ने बताया कि वह सोमवार
को डीसी पीसी मीणा और सीएमओ वीके गोविला से मुलाकात करेगा।
हाईरिस्क डिलीवरी थी
महम. एसएमओ डा. गिरीराज का कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार यह हाईरिस्क
डिलीवरी थी। महम में इसके आपरेशन की व्यवस्था में एक घंटे से अधिक समयलग
जाता। ऐसे में डाक्टर ने उसे रोहतक रैफर करना उचित समझा। इसके बावजूद मामले
की जांच की जाएगी। सामान्य अस्पताल में नर्सो का सोते रहना व मदीना में
डच्यूटी पर डाक्टर या स्वास्थ्यकर्मियों का न मिलना गंभीर मसला है। जांच
कमेटी गठित कर दी गई है। शीघ्र रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दे दी जाएगी।
पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
चिकित्सकों की लापरवाही के कारण किसी बच्चों की मौत होने का यह नया मामला
नहीं है। इससे पहले भी सामान्य अस्पताल और पीजीआई में ऐसी कई घटनाएं हो
चुकी हैं। जिस कारण मरीज के सहायक और चिकित्सकों के बीच हाथापाई तक हो चुकी
है। इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक और कर्मचारी अपनी
कार्यशैली नहीं बदल पाए हैं। ग्रामीण इलाकों में तो विभाग के अधिकारी और
कर्मचारियों के और भी बुरे हाल हैं।
के सामान्य अस्पताल में डिलीवरी के लिए पहुंची महिला का नहीं हो सका इलाज।
परिजनों का आरोप है कि डच्यूटी पर मौजूद स्टाफ सोता रहा। डिलीवरी करने के
बजाय उसको रोहतक के लिए रैफर कर दिया। समय पर डिलीवरी नहीं होने के कारण
महिला की मदीना के पास एंबुलैंस में ही आधी डिलीवरी हो गई। जिस कारण बच्चे
की मौत हो गई।
चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप
समय पर सही इलाज न मिलने के चलते एक महिला की एंबुलैंस में ही आधी डिलीवरी
हो गई। जिस कारण बच्चे की मौत हो गई। बाद में महिला को सामान्य अस्पताल
रोहतक में भर्ती कराया गया। जहां ऑपरेशन के जरिये बच्चे को बाहर निकाला
गया। महिला के पति ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उसने मामले
की शिकायत डीसी और सीएमओ को दी है।
जानकारी के मुताबिक महम के वार्ड नंबर पांच निवासी परविंदर की पत्नी सोनू
की डिलीवरी होनी थी। जिसके चलते रविवार सुबह करीब छह बजे उसे महम के
सामान्य अस्पताल में ले जाया गया। परविंदर ने बताया कि वहां का सारा स्टॉफ
सोया पड़ा था। काफी देर बाद एक महिला चिकित्सक आई और सोनू को रोहतक के लिए
रेफर कर दिया। तब तक बच्चे का एक पैर बाहर आ चुका था।
रोहतक आते वक्त गांव खरकड़ा के पास सोनू की हालत और भी बिगड़ गई और बच्चे
का आधा शरीर बाहर आ गया था। परविंदर उसे मदीना गांव स्थित पीएचसी में ले
गया, लेकिन वहां पर ताला लगा था। जिस कारण वह रोहतक की ओर ही चल पड़ा,
लेकिन रास्ते में ही सोनू दर्द के कारण बेहोश हो गई। जिस कारण डिलीवरी पूरी
तरह से नहीं हो सकी। इसके बाद उसे रोहतक के सामान्य अस्पताल में भर्ती
कराया गया। जहां चिकित्सकों ने ऑपरेशन से बच्चे को बाहर निकाला, लेकिन तब
तक उसकी मौत हो चुकी थी। चिकित्सकों के मुताबिक अधिक खून बह जाने के कारण
सोनू की हालत गंभीर बनी हुई है।
परविंदर का आरोप है कि महम के चिकित्सकों की लापरवाही के कारण ही उसके
बच्चे की मौत हुई है। यदि चिकित्सक उसे भर्ती कर लेते तो न तो उसका बच्च
मरता और न ही सोनू का ऑपरेशन करना पड़ता। उसने मदीना की पीएचसी बंद होने पर
भी हैरानी जताई। परविंदर अपनी शिकायत लेकर सीएमओ कार्यालय पहुंचा, लेकिन
रविवार होने के कारण वहां कोई नहीं मिला। इसके बाद वह डीसी आवास पर पहुंचा
और वहां तैनात कर्मचारी को अपनी शिकायत दी। परविंदर ने बताया कि वह सोमवार
को डीसी पीसी मीणा और सीएमओ वीके गोविला से मुलाकात करेगा।
हाईरिस्क डिलीवरी थी
महम. एसएमओ डा. गिरीराज का कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार यह हाईरिस्क
डिलीवरी थी। महम में इसके आपरेशन की व्यवस्था में एक घंटे से अधिक समयलग
जाता। ऐसे में डाक्टर ने उसे रोहतक रैफर करना उचित समझा। इसके बावजूद मामले
की जांच की जाएगी। सामान्य अस्पताल में नर्सो का सोते रहना व मदीना में
डच्यूटी पर डाक्टर या स्वास्थ्यकर्मियों का न मिलना गंभीर मसला है। जांच
कमेटी गठित कर दी गई है। शीघ्र रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दे दी जाएगी।
पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
चिकित्सकों की लापरवाही के कारण किसी बच्चों की मौत होने का यह नया मामला
नहीं है। इससे पहले भी सामान्य अस्पताल और पीजीआई में ऐसी कई घटनाएं हो
चुकी हैं। जिस कारण मरीज के सहायक और चिकित्सकों के बीच हाथापाई तक हो चुकी
है। इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक और कर्मचारी अपनी
कार्यशैली नहीं बदल पाए हैं। ग्रामीण इलाकों में तो विभाग के अधिकारी और
कर्मचारियों के और भी बुरे हाल हैं।