नई दिल्ली.
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने कॉमनवेल्थ गेम्स गांव के कुछ निर्माण
कार्र्यो से जुड़े प्रोजेक्ट में कई अनियमितताएं पाई हैं। इसकी वजह से लागत
38 करोड़ रुपए से बढ़कर 63 करोड़ रुपए हो गई। यह खुलासा सूचना का अधिकार
(आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में हुआ है।
सीवीसी के चीफ टेक्निकल एक्जामिनेशन विंग ने रिपोर्ट में बताया कि निर्माण
कंपनी ने परीक्षण, खरीद और सुरक्षा से जुड़े सरकारी नियमों की भी अवहेलना
की। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने खेल गांव में स्वीमिंग पूल,
प्रशिक्षण भवन, फिटनेस सेंटर और एथलेटिक ट्रैक बनाने का काम स्पोर्टिना
पायस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लि. को सौंपा था। यह कंपनी चार कंपनियों की
संयुक्त कंपनी थी। इसे विशेष तौर पर इस काम के लिए बनाया गया था।
रिपोर्ट में बताया गया कि इस कंपनी की बोली सबसे कम दर की थी। कार्य की
अनुमानित लागत 38.76 करोड़ रुपए थी। कंपनी ने 64.86 करोड़ रुपए की बोली
लगाई। यह राशि अनुमानित लागत से 67.39 प्रतिशत अधिक थी। बाद में जब कंपनी
से बातचीत की गई तो उसने अपनी बोली घटाकर 63.09 करोड़ रुपए कर दी। यह राशि
अनुमानित लागत से 62.77 प्रतिशत अधिक थी। साथ ही 56.44 करोड़ की वाजिब रकम
से 11.79 प्रतिशत अधिक थी। जबकि नियमानुसार वाजिब रकम से केवल 10 प्रतिशत
अधिक तक की बोली लगाने वाली कंपनी को कार्य दिया जा सकता है। वर्क
एडवायजरी बोर्ड ने मामले को मंजूरी के लिए लेफ्टि. गवर्नर के सामने रखा।
इसके बाद स्पोर्टिना पायस इन्फ्रास्ट्रक्चर को 63.09 करोड़ रुपए में काम
सौंपा गया।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने कॉमनवेल्थ गेम्स गांव के कुछ निर्माण
कार्र्यो से जुड़े प्रोजेक्ट में कई अनियमितताएं पाई हैं। इसकी वजह से लागत
38 करोड़ रुपए से बढ़कर 63 करोड़ रुपए हो गई। यह खुलासा सूचना का अधिकार
(आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में हुआ है।
सीवीसी के चीफ टेक्निकल एक्जामिनेशन विंग ने रिपोर्ट में बताया कि निर्माण
कंपनी ने परीक्षण, खरीद और सुरक्षा से जुड़े सरकारी नियमों की भी अवहेलना
की। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने खेल गांव में स्वीमिंग पूल,
प्रशिक्षण भवन, फिटनेस सेंटर और एथलेटिक ट्रैक बनाने का काम स्पोर्टिना
पायस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लि. को सौंपा था। यह कंपनी चार कंपनियों की
संयुक्त कंपनी थी। इसे विशेष तौर पर इस काम के लिए बनाया गया था।
रिपोर्ट में बताया गया कि इस कंपनी की बोली सबसे कम दर की थी। कार्य की
अनुमानित लागत 38.76 करोड़ रुपए थी। कंपनी ने 64.86 करोड़ रुपए की बोली
लगाई। यह राशि अनुमानित लागत से 67.39 प्रतिशत अधिक थी। बाद में जब कंपनी
से बातचीत की गई तो उसने अपनी बोली घटाकर 63.09 करोड़ रुपए कर दी। यह राशि
अनुमानित लागत से 62.77 प्रतिशत अधिक थी। साथ ही 56.44 करोड़ की वाजिब रकम
से 11.79 प्रतिशत अधिक थी। जबकि नियमानुसार वाजिब रकम से केवल 10 प्रतिशत
अधिक तक की बोली लगाने वाली कंपनी को कार्य दिया जा सकता है। वर्क
एडवायजरी बोर्ड ने मामले को मंजूरी के लिए लेफ्टि. गवर्नर के सामने रखा।
इसके बाद स्पोर्टिना पायस इन्फ्रास्ट्रक्चर को 63.09 करोड़ रुपए में काम
सौंपा गया।