हमारे गगहा प्रतिनिधि के अनुसार इस इलाके की मुख्य फसल गेहूं ही है। लोग बुआई के लिए या तो पलेवा कर चुके हैं या कर रहे हैं। चंद दिनों में बुआई शुरू होनी है,पर खाद-बीज नदारद है। अलबत्ता ब्लैक में सब कुछ जितनी मात्रा में चाहिए उपलब्ध है। हर कस्बे और छोटे-बड़े चौराहों पर खाद कारोबारियों के गोदाम भरे हुए हैं लेकिन किसानों को मिलना आसान नहीं रह गया है। किसान को खाद चाहिए तो डीएपी के लिए प्रति बोरी 150 रुपए, एनपीके 20:20:0 के लिए 100 रु. यूरिया के लिए 50-80 रुपए अधिक देने पड़ रहे हैं। इसी तरह अनुदान के बीज भी प्रति बोरा 140-150 रुपए अधिक लेकर ब्लैक किए जा रहे हैं।
किसानों के पास कोई चारा नहीं है। पलेवा के बाद खेत तैयार होते ही उसे बुआई करनी है। एक-दो दिन के फर्क से भी जमता प्रभावित होता है। लिहाजा उसे जिस दर पर खाद-बीज उपलब्ध हो रहा है उसे खरीदना उसकी मजबूरी है।
इस बाबत पूछने पर फुटकर विक्रेता कहते हैं कि हमें थोक विक्रेताओं द्वारा ही रेट बढ़ाकर माल दिया जाता है। कभी-कभी तो खाद-बीज के साथ कुछ ऐसी चीजें माइक्रोन्यूट्रिएंटस आदि दे दिए जाते हैं जिनमें किसानों को कोई रुचि नहीं रहती। ऐसे में महंगा बेचना हमारी मजबूरी है। प्रशासन अगर सचमुच खाद-बीज की कालाबाजारी रोकना चाहता है तो उसे बड़े-बड़े कारोबारियों की ही नकेल कसनी चाहिए। पर ऐसा न होना इस बात का सबूत है कि कहीं न कहीं किन्ही वजहों के नाते शासन और प्रशासन का रवैया इन असली खिलाड़ियों के प्रति नरम रहता है।
यह स्थिति तब है जब अभी जिले के एक खास इलाके से ही खाद-बीज की मांग निकली है। जिले के तमाम इलाके ऐसे हैं जहां की फसल कटने में अब भी कुछ दिन का वक्त है। खेत कटने के साथ चौतरफा मांग निकलने पर हालात बेकाबू होंगे।
इंसर्ट
कहां जा रहा खाद-बीज
मालूम हो कि शासन प्रशासन इस बात से पूरी तरह वाकिफ था कि पंचायत चुनाव के खत्म होते ही खाद-बीज की बंपर मांग निकलेगी। इसके लिए तैयारी भी की गयी थी। मंडलायुक्त व डीएम पहले ही कालाबाजारियों को चेतावानी दे चुके हैं। जिला कृषि अधिकारी एसएन पांडेय ने बताया कि प्राथमिकता यह है कि जिले के वे इलाके जहां की मुख्य फसल गेहूं है वहां खाद-बीज पहले पहुंचाया जाय। इसीलिए ब्रह्मपुर, बड़हलगंज, गोला, कैंपियरगंज, बेलघाट, उरुवा, गोला और कौड़ीराम में गेहूं का बीज (पीबीडब्लू-502,343 और 373)भेजा चुका है।
पांडेय ने बताया कि बीज-खाद की कोई कमी नहीं है। विभाग ने खाद के लिए अक्टूबर का लक्ष्य पिछले साल (5320 मिट्रीक टन)से 20 फीसदी बढ़ा दिया है।
गोदाम भरे पर समितियां खाली
गोदाम भरे हैं,पर समितियां खाली हैं। शुरू में चुनाव के कारण वाहनोंका संचलन प्रभावित रहने से खाद-बीज की आवाजाही प्रभावित रही। बाद में दीवाली की छुट्टी के कारण भी इसका असर पड़ा। एआर कोआपरेटिव जमुना पांडेय भी इस बात को कबूल करते हैं। बकौल पांडेय उनके पास करीब 1200 मिट्रीक टन से अधिक का बफर स्टाक है।
अनुदान पर मिलेगा बीज
किसानों को गेहूं का बीज अनुदान पर मिलेगा। प्रति कुंतल बीज पर 700 रुपए का अनुदान देय होगा। इसमें से 500 रु.की छूट राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और 200 रु.की छूट राज्य सरकार की ओर से देय है। राज्य सरकार की छूट सिर्फ उन प्रजातियों पर होगी जो 15 साल के भीतर अधिसूचित हुई हैं। बगैर अनुदान के पीबीडब्लूडी-502, 343 और 373 का प्रति कुंतल दाम 2190 रु. है। पीबीडब्लू154, यूपी 2338, एचयूडब्लू 234/468, राज 3070 के दाम 2200 रूपए प्रति कुंतल है जबकि आरआर 21, यूपी-262, लोक 1, के 7903 और उन्नत हलना के दाम 2230 रूपए हैं। इनके आधारीय बीजों के दाम क्रमश:2350, 2360 और 2390 रूपए हैं।
दोगुनी हुई समितियों की ऋण सीमा
रबी अभियान (31 दिसंबर)के लिए शासन ने सहकारी समितियों की ऋण सीमा दोगुनी कर दी है। शासन के इस निर्देश की एआर कोआपरेटिव जमुना पांडेय ने भी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इससे किसानों के साथ समितियों को भी लाभ होगा। समितियों का कारोबार बढ़ेगा और ऋण सीमा बढ़ने से समितियों पर अधिक खाद-बीज पहुंचने से किसानों को इनके लिए संकट का सामना नही करना पड़ेगा।
निर्धारित मूल्य पर ही खरीदें खाद
किसान समितियों, दुकानों या अन्य एजेंसियों से सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर ही विभिन्न किस्मों के खाद खरीदें। खरीद के समय कैशमेमो जरूर लें। सरकार द्वारा प्रति बैग उर्वरकों के निर्धारित मूल्य हैं। यूरिया-278.50 पैसे, आरसीएफ व इफ्को के डीएपी की दर 502.50 पैसे है। आपीएल और जीएसएफसीएल के डीएपी का रेट क्रमश: 502 और 472.70 पैसे है। एनपीके 15:15:15,और 20:20:20 का दर क्रमश: 290 और 302.50 पैसे है। आरसीएफ और आईपीएल के एमओपी (म्यूरेट आफ पोटाश)का रेट क्रमश: 252.50 और 222.75 पैसे है। टीएसपी का रेट 422,एनपीके 20:20:13 (जीएसएफसीलि) 322.55 और 353 रु. (इफ्को) है। इसके अलावा एनपीके 10:26:26 और 12:32:16 का रेट क्रमश: 370.50 पैसे और 420 रूपए है। अमोनियम सल्फेट का रेट 435.75 पैसे है। पिछले दिनों मंडलायुक्त पीके महांति ने इस बाबत निर्देश भी जारी किया था। बकौल कमिश्नर अगर कोई तय दाम से अधिक लेता है तो गोरखपुर के किसान इसकी सूचना इस लैंड लाइन और मोबाइल नंबर पर दे सकते हैं।