चालू पेराई सत्र (2010-11) के
लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) में 40
रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर दी है। इसके चलते राज्य में
अगैती प्रजाति के लिए गन्ने का एसएपी 210 रुपये, सामान्य प्रजाति के लिए
205 रुपये और अनुपयुक्त प्रजाति के लएि 200 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
गन्ने के मूल्य में किसी भी राज्य या केंद्र सरकार ने यह अभी तक की सबसे
ज्यादा बढ़ोतरी है। पिछले साल राज्य में गन्ने का एसएपी 165 और 170 रुपये
प्रति क्विंटल था।
राज्य कैबिनेट द्वारा मंजूरी के बाद इस फैसले की घोषणा करते हुए
मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि राज्य के 40 लाख गन्ना किसानों के हितों
को देखते हुए यह बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही अगर चीनी मिलें इससे अधिक
कीमत किसानों को दे सकती हैं तो उसके लिए जिलाधिकारियों को सहमति बनाने के
निर्देश दिए गए हैं। हालांकि घरेलू चीनी उद्योग ने राज्य के इस फैसले पर
सीधे कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन उद्योग सूत्रों का कहना है कि इस कीमत
पर गन्ना खरीदने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हैं।
वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें 750 डॉलर प्रति टन पर पहुंच
गई हैं, जो एक रिकॉर्ड है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में यह
बढ़ोतरी, ब्राजील, रूस, चीन और पाकिस्तान में चीनी उत्पादन में कमी होने
की संभावना के चलते हुई है। ऐसे में अगर सरकार मिलों को चीनी निर्यात की
इजाजत देती है तो वह किसानों को अधिक दाम देने की स्थिति में हैं। इस समय
अंतरराष्ट्रीय कीमत पर देश में बंदरगाह पर आयातित चीनी 3300 रुपये प्रति
क्विंटल पड़ रही है जबकि घरेलू बाजार में एक्स-फैक्टरी मूल्य 2700 रुपये
प्रति क्विंटल चल रहा है।
राज्य के इस फैसले पर इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महादिशक
अबिनाश वर्मा का कहना है कि चीनी की कीमत अगर 2900 रुपये प्रति क्विंटल
रहती है तो मिलों को गन्ने का यह मूल्य देने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
चीनी की मौजूदा कीमतों पर मिलों को नुकसान होगा। मायावती ने केंद्र पर आरोप
लगाते हुए कहा है कि उसने चालू पेराई सत्र के लिए उचित और लाभकारी मूल्य
(एफआरपी) के निर्धारण में किसानों के हितों की अनदेखी की है। केंद्र ने
१३९.१२ रुपये प्रति क्विंटल एफआरपी गन्ने की ९.५ फीसदी रिकवरी के आधार पर
तय किया है।
जबकि यूपी में पिछले साल की रिकवरी 9.1 फीसदी रही थी। इस लिहाज से नए सीजन
के लिए पिछले रिकवरी आधार पर यूपी में एफआरपी सिर्फ 133.26 रुपये प्रति
क्विंटल ही बनेगा। मायावती ने कहा कि गन्ना मूल्य निर्धारित करते समय
किसानों और मिलों के हितों का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि गन्ने का
मूल्य तय करते समय इससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार किया गया है। बकौल
मायावती गन्ने की उत्पादन लागत के साथ ही दूसरीवैकल्पिक फसलों के न्यूनतम
समर्थन मूल्य का भी ध्यान रखा गया है।
मायावती ने कहा कि सरकार ने चीनी मिलों के हितों का भी ध्यान रखा है। पिछले
साल हुई फजीहत को देखते हुए मायावती ने इस बार गन्ने का एसएपी तय करने के
लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस
समिति ने चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कृषि विशेषज्ञों और दूसरी
संस्थाओं के साथ गहन विचार-विमर्श किया। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर
ही मूल्य की घोषणा की गई है।
बात पते की -राज्य परामर्श मूल्य अगैती गन्ने के लिए 210 रुपये,
सामान्य प्रजाति के लिए 205 रुपये और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 200 रुपये
प्रति क्विंटल तय किया गया है। पिछले साल 165-170 रुपये प्रति क्विंटल था
एसएपी।
लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) में 40
रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर दी है। इसके चलते राज्य में
अगैती प्रजाति के लिए गन्ने का एसएपी 210 रुपये, सामान्य प्रजाति के लिए
205 रुपये और अनुपयुक्त प्रजाति के लएि 200 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
गन्ने के मूल्य में किसी भी राज्य या केंद्र सरकार ने यह अभी तक की सबसे
ज्यादा बढ़ोतरी है। पिछले साल राज्य में गन्ने का एसएपी 165 और 170 रुपये
प्रति क्विंटल था।
राज्य कैबिनेट द्वारा मंजूरी के बाद इस फैसले की घोषणा करते हुए
मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि राज्य के 40 लाख गन्ना किसानों के हितों
को देखते हुए यह बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही अगर चीनी मिलें इससे अधिक
कीमत किसानों को दे सकती हैं तो उसके लिए जिलाधिकारियों को सहमति बनाने के
निर्देश दिए गए हैं। हालांकि घरेलू चीनी उद्योग ने राज्य के इस फैसले पर
सीधे कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन उद्योग सूत्रों का कहना है कि इस कीमत
पर गन्ना खरीदने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हैं।
वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें 750 डॉलर प्रति टन पर पहुंच
गई हैं, जो एक रिकॉर्ड है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में यह
बढ़ोतरी, ब्राजील, रूस, चीन और पाकिस्तान में चीनी उत्पादन में कमी होने
की संभावना के चलते हुई है। ऐसे में अगर सरकार मिलों को चीनी निर्यात की
इजाजत देती है तो वह किसानों को अधिक दाम देने की स्थिति में हैं। इस समय
अंतरराष्ट्रीय कीमत पर देश में बंदरगाह पर आयातित चीनी 3300 रुपये प्रति
क्विंटल पड़ रही है जबकि घरेलू बाजार में एक्स-फैक्टरी मूल्य 2700 रुपये
प्रति क्विंटल चल रहा है।
राज्य के इस फैसले पर इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महादिशक
अबिनाश वर्मा का कहना है कि चीनी की कीमत अगर 2900 रुपये प्रति क्विंटल
रहती है तो मिलों को गन्ने का यह मूल्य देने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
चीनी की मौजूदा कीमतों पर मिलों को नुकसान होगा। मायावती ने केंद्र पर आरोप
लगाते हुए कहा है कि उसने चालू पेराई सत्र के लिए उचित और लाभकारी मूल्य
(एफआरपी) के निर्धारण में किसानों के हितों की अनदेखी की है। केंद्र ने
१३९.१२ रुपये प्रति क्विंटल एफआरपी गन्ने की ९.५ फीसदी रिकवरी के आधार पर
तय किया है।
जबकि यूपी में पिछले साल की रिकवरी 9.1 फीसदी रही थी। इस लिहाज से नए सीजन
के लिए पिछले रिकवरी आधार पर यूपी में एफआरपी सिर्फ 133.26 रुपये प्रति
क्विंटल ही बनेगा। मायावती ने कहा कि गन्ना मूल्य निर्धारित करते समय
किसानों और मिलों के हितों का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि गन्ने का
मूल्य तय करते समय इससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार किया गया है। बकौल
मायावती गन्ने की उत्पादन लागत के साथ ही दूसरीवैकल्पिक फसलों के न्यूनतम
समर्थन मूल्य का भी ध्यान रखा गया है।
मायावती ने कहा कि सरकार ने चीनी मिलों के हितों का भी ध्यान रखा है। पिछले
साल हुई फजीहत को देखते हुए मायावती ने इस बार गन्ने का एसएपी तय करने के
लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस
समिति ने चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कृषि विशेषज्ञों और दूसरी
संस्थाओं के साथ गहन विचार-विमर्श किया। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर
ही मूल्य की घोषणा की गई है।
बात पते की -राज्य परामर्श मूल्य अगैती गन्ने के लिए 210 रुपये,
सामान्य प्रजाति के लिए 205 रुपये और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 200 रुपये
प्रति क्विंटल तय किया गया है। पिछले साल 165-170 रुपये प्रति क्विंटल था
एसएपी।