गहलोत ने प्रधानमंत्री को भेजा पत्र

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजकर महानरेगा श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाने की मांग की है। गहलोत इससे पहले यही आग्रह केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से भी कर चुके हैं।
गहलोत ने यह पत्र ऎसे वक्त लिखा है जब राज्य में नरेगा श्रमिक मजदूरी बढ़ाने की मांग को लेकर पिछले एक माह से आंदोलन चलाए हुए हैं। इस आंदोलन से जुडे़ सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है कि मुख्यमंत्री की कोशिश स्वागत लायक है, पर एक सफल प्रयास तभी माना जाएगा जब श्रमिकों को बढ़ा हुआ मेहनताना मिले। उन्होंने कहा तब तक श्रमिक अपनी हक सत्याग्रह यात्रा जारी रखेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पत्र में कहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्घि के अनुरूप ही महानरेगा में नियोजित श्रमिकों की मजदूरी में समानुपात में बढ़ाई जानी चाहिये। उन्होंने इसके लिए नरेगा एक्ट में अपेक्षित संशोधन अविलंब करने का आग्रह किया। गहलोत के अनुसार रोजगार गारंटी परिषद की बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा होने के साथ ही राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर कार्यकारी समूह में भी इस विषय पर व्यापक चर्चा हो चुकी। इसके अलावा केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद के कार्यकारी समूह ने अपनी अभिशंषा में महानरेगा श्रमिकों की मजदूरी भी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के तहत खेत मजदूरों के समान करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के कार्यकारी समूह की सिफारिशों में ही महानरेगा के श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से जो$डने को जायज ठहराया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार पहले ही प्रदेश में अकुशल श्रमिकों की मजदूरी 100 से बढ़ाकर 107, अर्द्घकुशल श्रमिकों की 115 से बढ़ाकर 135 तथा कुशल श्रमिकों की मजदूरी 145 से बढ़ाकर 155 रूपए करने की अधिसूचना जारी कर चुकी है। गहलोत का कहना है कि लेकिन राजस्थान में सरकारी एवं निजी क्षेत्र में न्यूनतम मजदूरी में वृद्घि का लाभ नरेगा श्रमिकों को तभी मिल पायेगा जब केन्द्र सरकार द्वारा नरेगा एक्ट 2005 के प्रावधानों के अनुसार इसके अधिसूचित कर दिया जाएगा। गहलोत का कहना है कि चूंकि नरेगा एक्ट के तहत अकुशल नरेगा कर्मचारियों का सारा खर्चा भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है, इसे देखते हुए मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि राज्य सरकार द्वारा जिस न्यूनतम वेतन को अधिसूचित किया गया है, उस पर केंद्र सरकार जल्दी से जल्दी फैसला करें, ताकि बढ़ी हुई वेतन दरों का लाभ राज्य में और उससे बाहर भी नरेगा मजदूरों को मिल सके।

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