नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अब लगभग यह तय होता जा रहा है कि बिजली
क्षेत्र की एक और महत्वाकांक्षी योजना अपने लक्ष्य से काफी दूर रहने वाली
है। देश के सभी गांवों तक वर्ष 2012 तक बिजली पहुंचाने की राजीव गांधी
ग्रामीण विद्युतीकरण योजना साढ़े तीन वर्ष बाद आधा रास्ता भी तय नहीं कर
पाई है।
बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि अभी तक 84 हजार गांवों में
इस योजना के तहत बिजली पहुंचाई जा सकी है, जबकि मौजूदा 12वीं योजना [वर्ष
2007-12] तक 1.85 लाख गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था।
मंगलवार को यहां आर्थिक संपादकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए शिंदे
ने बिजली परियोजनाओं में लगने वाले उपकरणों पर आयात शुल्क लगाने के मुद्दे
पर बताया कि मौजूदा योजना के दौरान लगने वाली बिजली परियोजनाओं पर कोई
आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
आगामी योजना यानी वर्ष 2012 के बाद विदेशी कंपनियों को भारतीय कंपनियों
के साथ बिजली उपकरण आपूर्ति में प्रतिस्पद्र्धा करनी होगी। चूंकि अगले दो
से तीन वर्षो के भीतर कई भारतीय कंपनियां बिजली उपकरण बनाने लगेंगी। इसलिए
केंद्र सरकार इनके हितों को देखते हुए आयातित बिजली उपकरणों पर शुल्क लगाने
के सुझाव पर विचार कर रही है। वैसे इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के बीच भी
सहमति नहीं बन पाई है।
शिंदे ने बताया कि वर्ष 2005 से लागू राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण
योजना [आरजीवीवीवाई] के तहत कुल 2.85 करोड़ घरों को बिजली पहुंचाने का
लक्ष्य रखा गया है। मार्च, 2012 तक यह काम पूरा किया जाना था और इस पर 28
हजार करोड़ रुपये की लागत आने के अनुमान लगाए गए थे। वर्ष 2009-10 में बिजली
मंत्रालय ने बहुत अच्छा काम किया तो 17 हजार गांवों को बिजली से जोड़ा गया।
अब सरकार के सामने अगले 17 महीनों में लगभग एक लाख गांवों में बिजली
पहुंचाने का लक्ष्य है। बिजली मंत्रालय में उच्च स्तर पर इस योजना की
निगरानी की जा रही है।