सरकार को चेताया कि यदि सरकार अनाज की खरीद प्रक्रिया के दौरान धान के
गुणवत्ता मानकों को आसान नहीं किया गया तो राज्य में किसानों की नाराजगी
गुस्से में बदल सकती है।मुख्यमंत्री बादल ने जारी एक बयान में कहा, "अपने
परिश्रम से देश के लिए अनाज पैदा करने वाले किसानों को हमारी मदद की जरूरत
है। खाद्य संकट के समय किसान देश के साथ खड़ा होता है। अब समय आ गया है कि
सरकार उनके साथ खड़ा हो।"
मुख्यमंत्री ने इस मामले में प्रधानमंत्री से सीधे हस्तक्षेप करने की मांग
की है। बादल ने कहा कि राज्य के किसान सरकारी अनाज खरीदी एजेंसियों से
नाराज हैं और यदि शीघ्र ही सुधारवादी कदम नहीं उठाया गया तो राज्य में
कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
धान की फसल को कटाई के लिए सुखाते समय हुई बारिश से धान में नमी आई और
गुणवत्ता प्रभावित हुई है। यही नहीं गत 22 अक्टूबर को राज्य में हुई भारी
बारिश से बिक्री के लिए मंडियों में रखा गया धान दोबारा भीग गया है। इससे
किसानों की चिंताएं और बढ़ गई हैं।
प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को लिखे पत्र में बादल ने कहा है कि नमी का
मानक 17 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और चावल का उत्पादन अनुपात 67 प्रतिशत से
घटाकर 60 किया जाना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।