धान के बोनस पर गरमाई राजनीति

रायपुर.धान पर बोनस को लेकर एक
बार फिर से राजनीति तेज हो गई है। राज्य सरकार बोनस देने के लिए केंद्र पर
दबाव बना रही है। भाजपा इसे लेकर आक्रामक दिख रही है। कांग्रेस बोनस के
मामले पर रमन सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगा रही है। इधर संयुक्त किसान
मोर्चा ने बोनस के लिए यात्रा निकाली है। धान की फसल तैयार हो चुकी है, कुछ
जगह इसकी कटाई भी शुरू हो चुकी है।






राज्य शासन ने धान का समर्थन मूल्य 2000 रुपए प्रति क्विंटल करने का
प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था। केंद्र ने इसे खारिज कर केवल 1000 रुपए
किसानों को देने का फैसला किया है। एक बार फिर किसान खुद को ठगा हुआ महसूस
कर रहे हैं। 2009 में राज्य शासन ने किसानों से 1120 रुपए प्रति क्विंटल
में धान खरीदा था।






कृषि विभाग में केंद्र सरकार के कृषि लागत मूल्य आयोग को समर्थन मूल्य
बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था। इसमें धान की कीमत 950 से बढ़ाकर 1400 रुपए
करने की मांग की है। केंद्र ने इसे नहीं माना। संयुक्त किसान मोर्चा के
संयोजक पारसनाथ साहू का कहना है कि धान की सही कीमत तय नहीं की गई है।






इसकी कीमत 1800 रुपए प्रति क्विंटल होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने यूरिया,
डीएपी और अन्य खाद की कीमत बढ़ा दी है। बजट में डीजल के दाम भी बढ़ गए।
रोजगार गारंटी के कारण मजदूरी दर बढ़ गई है। इन सबके कारण धान उत्पादन की
लागत में काफी इजाफा हुआ है। पिछले साल भी कम कीमत तय की गई थी। किसान
मोर्चा इसके लिए दिल्ली जाकर ज्ञापन सौंपेगा।






कीमत नहीं बढ़ी तो घटेगा रकबा :




कृषि उत्पादों की कीमत तय करना किसान के हाथ में नहीं होता। इसके लिए
केंद्र सरकार ने कृषि मूल्य लागत आयोग बना रखा है। यह हर सीजन में कृषि
उत्पादों का समर्थन मूल्य तय करती है। अरहर और मूंग दाल के समर्थन मूल्य
में कई सालों तक वृद्धि नहीं की गई, इसका असर रकबे पर पड़ा।






रकबा कम होने से उत्पादन में गिरावट आई और दाल की कीमतें आसमान छूने लगी।
वर्तमान में अरहर का समर्थन मूल्य 2700 रुपए है, जबकि इसका बाजार मूल्य
3300 के आसपास है। इसलिए केंद्र सरकार को इसकी कीमत में सात सौ रूपए की
वृद्धि करनी पड़ी। 2009 में राज्य सरकार ने किसानों का धान 1120 रुपए में
खरीदा था।






धान खरीदी में देरी




राज्य शासन इस साल 1 नवबंर से धान खरीदी शुरू कर रही है। पिछले साल 10
अक्टूबर से धान खरीदी शुरू हुई थी।प्रदेश में अर्ली वेराइटी की किस्में
पककर तैयार हो चुकी हैं। कई इलाकों में धान कटाई शुरू हो चुकी है।






किसानों का कहना है कि 3 नवंबर से धनतेरस है, लिहाजा नई फसल के पैसे से वे
दीवाली नहीं मना पाएंगे। शासन को धान खरीदी 15 दिन पहले शुरू करनी चाहिए
थी। पिछले तीन सालों से अक्टूबर में खरीदी शुरू होती थी। इस बार शासन इसमें
देर कर रही है।

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