जागरण ब्यूरो, भोपाल। इस बार औसत से कम बारिश के कारण मप्र की 135
तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। गुरूवार को मंत्रालय में सरकार
के मासिक कार्यक्रम ‘परख’ के दौरान राजस्व विभाग द्वारा मुख्य सचिव अवनि
वैश्य को यह जानकारी दी गई। इस मौके पर मुख्य सचिव ने कलेक्टरों और जिला
पंचायतों के सीईओ से कहा कि ग्रामीण विकास के क्षेत्र में संतोषजनक कार्य न
पाए जाने पर मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की वार्षिक चरित्रावली में इसका
उल्लेख होगा।
मुख्य सचिव ने प्रदेश में वर्षा की स्थिति, सूखे, पेयजल, सूखाग्रस्त
क्षेत्रों में रोजगार के संबंध में कलेक्टर्स से जानकारी प्राप्त की।
उन्होंने कलेक्टर्स और कमिश्नर्स से मुख्यमंत्री श्री चौहान की वनवासी
सम्मान यात्रा के लिए आवश्यक तैयारिया सुनिश्चित करने को कहा।
मुख्य सचिव ने मैदानी अधिकारियों को लोक सेवा गारंटी कानून के तहत
नागरिकों को लाभ दिलाने के भी निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने बताया कि लोक
सेवा गारंटी कानून के अच्छे अमल के लिए प्रत्येक जिले से एक अधिकारी के लिए
विशेष प्रशिक्षण कार्यक्त्रम भोपाल में नवम्बर माह में होगा। प्रशिक्षित
अधिकारी जिला स्तर पर प्रशिक्षण देने का दायित्व निभाएंगे।
प्रमुख सचिव राजस्व एवं राहत आयुक्त अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि
प्रदेश के 37 जिलों की 135 तहसीलें सूखाग्रस्त हैं। इन जिलों में सामान्य
से 25 प्रतिशत या इससे कम बारिश हुई है। जिलों में राहत के लिये आवश्यक
धनराशि उपलब्ध है। जिलों की विशेष माग पर आवश्यक आवंटन दिया जाएगा।
परख में रीवा कमिश्नर ने बताया कि संभाग में तीन-चार वर्ष से निरंतर
सूखे की स्थिति है। तालाबों, नदियों में जल स्तर घट गया है। जल संरक्षण
कायरें को संपूर्ण संभाग में गति दी जायगी। कलेक्टर, खरगौन ने जानकारी दी
कि अतिवर्षा से जिले में बराज क्षतिग्रस्त होजाने और किसानों की कृषि भूमि
नष्ट होने पर मुख्य सचिव के निर्देश पर 81 लाख रुपए की राशि प्राप्त हुई
है। किसानों को और अधिक सहायता के लिये राहत आयुक्त एवं नर्मदाघाटी विकास
प्राधिकरण से आग्रह किया गया है।