नई दिल्ली। एक अंतर्राष्ट्रीय शोध समूह ने बुधवार को आरोप लगाया कि दक्षिण
कोरिया की कम्पनी पोस्को को उ़डीसा में 12 अरब डॉलर का संयंत्र स्थापित
करने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार ने गलत तथ्यों के आधार पर मंजूरी दी
थी। इन तथ्यों में लाभ को बढ़ा-चढ़ाकर और लागत को घटाकर दिखाया गया है।
माइनिंग जोन पीपुल्स सॉलिडेरिटी ग्रुप (एमजेडपीएसजी) ने कहा कि परियोजना
रोजगार अवसरों की संख्या और राजस्व के गलत अनुमानों पर आधारित हैं। यह तथ्य
पोस्को ने 2005 में उ़डीसा सरकार के सामने प्रस्तुत किए थे और इसे केंद्र
सरकार ने मंजूरी दी थी। एमजेडपीएसजी ने अपनी रिपोर्ट "आयरन एण्ड स्टील: द
पोस्को इंडियन स्टोरी" में कहा कि पोस्को ने इस परियोजना से 8,72,000
रोजगार निर्मित होने का दावा किया है जो कि कोरा झूठ है। इस परियोजना से
अगले पांच-दस साल की अवधि में केवल 7,000 रोजगार निर्मित होंगे जो कि
उ़डीसा की मौजूदा वार्षिक बेरोजगारी दर का महज एक प्रतिशत है। यह रिपोर्ट
पर्यावरण मंत्रालय की समिति की परियोजना में कानूनों के उल्लंघन की जांच को
लेकर सौंपी गई रिपोर्ट के दो दिन बाद आई है। समिति के बहुमत सदस्यों ने इस
परियोजना को रद्द करने की मांग की है। एमजेडपीएसजी की शोध टीम के सदस्य और
कैलिफोर्निया स्थित वकील गिरीश अग्रवाल ने कहा, ""वन अधिकार कानून का
उल्लंघन, पर्यावरण जरूरतें पूरी न करना और तटीय क्षेत्र कानून के उल्लंघन
के साथ-साथ परियोजना की मंजूरी प्राप्त करने के लिए गलत तथ्यों का प्रयोग
किया गया।""