पानी भरेगा राज्य का खजाना

रायपुर.राज्य की नदियों से हर
साल करोड़ों रुपए का पानी यूं ही बह जाता है। बर्बाद हो रहे पानी के
इस्तेमाल के लिए सरकार महानदी कछार पर पांच बैराज बनाने जा रही है।इसके
निर्माण पर करीब 1200 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन बैराजों से सिर्फ उद्योग
जगत की जरूरतें पूरी की जाएंगी। इसके एवज में हर साल करीब 585 करोड़ रुपए
आवक की उम्मीद है।






जरूरत से कई गुना पानी बर्बाद




राज्य की नदियों से हर साल करीब 46,300 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी
बिना किसी इस्तेमाल के बह जाता है। राज्य के पांच नदी कछारों में महानदी
कछार का सबसे अधिक 56 फीसदी एरिया है। शेष चारों कछार का एरिया 44 प्रतिशत
है। इस तरह व्यर्थ बहने वाले पानी में आधे से अधिक की हिस्सेदारी सिर्फ
महानदी की है। मौजूदा हालात में राज्य के उद्योगों को हर साल सिर्फ 2700
एमसीएम पानी की जरूरत है।






रायगढ़, जांजगीर में बनेंगे बैराज




पानी बचाने के लिए महानदी पर रायगढ़ और जांजगीर जिले में पांच बैराज बनाने
की योजना है। इसकी पूरी कार्ययोजना तैयार हो गई है। पांच में से दो का
टेंडर अगले सप्ताह जारी हो रहा है और तीन का टेंडर अगले महीने होगा। इनसे
2013-14 से पानी की सप्लाई कर लिए जाने की योजना है। बैराज के निर्माण के
लिए उद्योगों से एडवांस में जलकर वसूले जाएंग।






दूना हुआ जलदर




शासन ने उद्योगों को दिए जाने वाले पानी की दर में इजाफा कर दिया है।
उद्योगों से छह रुपए प्रति क्यूबिक मीटर की दर से टैक्स लिया जाएगा। इससे
राज्य को हर साल 1500 करोड़ रुपए से अधिक मिलेंगे, जबकि वर्तमान इस मद में
राज्य को मात्र 125 करोड़ रुपए मिल रहे हैं।






विकास में पानी महत्वपूर्ण




"विकास के लिए भरपूर पानी होना बेहद जरूरी है। बर्बाद होते पानी को रोकने
के लिए गंभीर प्रयास नहीं हुए थे। पांच नए बैराज बन जाने से औद्योगिक विकास
में तेजी आएगी।"




डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री






आमदनी का बैराज






बैराज आबंटित पानी वार्षिक राजस्व






शिवरीनारायण 94 56.40






बसंतपुर 222 133.20






मिरौनी 200 120.00






साराडीह 227 136.40






कलमा 233.20 139.92






(राजस्व करोड़ रुपए में, पानी की मात्रा एमक्यूएम में )

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