जयपुर. प्रदेश की घुमंतू जातियों को न तो मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं और न ही उनकी पहचान स्थापित हो रही है।
इसके चलते इन जातियों के लोगों को महानरेगा जैसी योजनाओं में रोजगार ही
नहीं मिल पा रहा है। यह दर्द घुमंतू जातियों बंजारा, कालबेलिया, खौरूआ जाति
के प्रतिनिधियों की ओर से मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन
में जाहिर किया। घुमंतू जातियों की समस्याओं पर चर्चा के लिए गुरुवार को
यहां स्टेच्यू सर्किल पर नागरिक हक सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। सम्मेलन
में इन समाजों के लोगों ने शिरकत की। सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान के
निखिल डे ने बताया कि शुक्रवार को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक में
परिषद की सदस्य अरुणा रॉय इस मुद्दे को उठाएगी।
बंजारा समाज : समाज की ओर से दिए ज्ञापन में कहा कि इनके पास राशन
कार्ड, फोटो पहचान पत्र जैसा कोई दस्तावेज नहीं है। इससे नरेगा कार्ड बनाने
में दिक्कत आती है।
कालबेलिया समाज : समाज की ओर से दिए ज्ञापन में कहा गया है कि इस
समुदाय को बीपीएल में शामिल किया जाए। राजस्व रिकॉर्ड में इनके नाम के साथ
नाथ या जोगी लिखा हुआ है।
खैरूआ समाज : समाज के लोग किशनगंज ब्लॉक के दस और शाहाबाद के एक
गांव में रहते हैं। जनजाति को मिलने वाले सारे लाभ दिए जाने चाहिए। ये कोटा
की खानों में मजदूरी कर पेट भरते है, इससे इनके बच्चों को शिक्षा नहीं मिल
पाती।
वाल्मीकि समाज : समाज ने सफाई कर्मचारी आयोग के गठन की मांग की है।
इसके चलते इन जातियों के लोगों को महानरेगा जैसी योजनाओं में रोजगार ही
नहीं मिल पा रहा है। यह दर्द घुमंतू जातियों बंजारा, कालबेलिया, खौरूआ जाति
के प्रतिनिधियों की ओर से मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन
में जाहिर किया। घुमंतू जातियों की समस्याओं पर चर्चा के लिए गुरुवार को
यहां स्टेच्यू सर्किल पर नागरिक हक सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। सम्मेलन
में इन समाजों के लोगों ने शिरकत की। सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान के
निखिल डे ने बताया कि शुक्रवार को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक में
परिषद की सदस्य अरुणा रॉय इस मुद्दे को उठाएगी।
बंजारा समाज : समाज की ओर से दिए ज्ञापन में कहा कि इनके पास राशन
कार्ड, फोटो पहचान पत्र जैसा कोई दस्तावेज नहीं है। इससे नरेगा कार्ड बनाने
में दिक्कत आती है।
कालबेलिया समाज : समाज की ओर से दिए ज्ञापन में कहा गया है कि इस
समुदाय को बीपीएल में शामिल किया जाए। राजस्व रिकॉर्ड में इनके नाम के साथ
नाथ या जोगी लिखा हुआ है।
खैरूआ समाज : समाज के लोग किशनगंज ब्लॉक के दस और शाहाबाद के एक
गांव में रहते हैं। जनजाति को मिलने वाले सारे लाभ दिए जाने चाहिए। ये कोटा
की खानों में मजदूरी कर पेट भरते है, इससे इनके बच्चों को शिक्षा नहीं मिल
पाती।
वाल्मीकि समाज : समाज ने सफाई कर्मचारी आयोग के गठन की मांग की है।