एमपी की नई औद्योगिक नीति को मंजूरी

मध्य प्रदेश सरकार बगैर किसी औद्योगिक नीति के प्रदेश में उद्योगों को
बढ़ावा देने की बात कर रही थी। साथ ही निवेश सम्मेलन भी आयोजित कर रही थी।
सरकार की इस नीति पर बिजनेस भास्कर ने लगातार सवाल खड़े किए। इसके बाद ही सरकार की ये इंडस्ट्रियल पॉलिसी सामने आई है।




रोजगार पर जोर


नई पॉलिसी में स्थानीय लोगों को रोजगार देने पर जोर


कम से कम 50 फीसदी रोजगार स्थानीय लोगों को


जिनकी जमीन अधिग्रहीत होगी उनके एक सदस्य को नौकरी


एक हजार से ज्यादा लोगों को नियमित व 90फीसदी रोजगार प्रदेश के लोगों को देने वालों को सहायता


नई पॉलिसी एक नवंबर से पांच साल के लिए लागू होगी




मध्य प्रदेश की नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी का ऐलान कर दिया गया है। नई
पॉलिसी में स्थानीय लोगों को रोजगार देने पर जोर दिया गया है। इसके मुताबिक
नए स्थापित होने वाले सभी उद्योगों में कम से कम ५० फीसदी रोजगार स्थानीय
लोगों को दिया जाएगा। साथ ही ये भी कहा गया है कि उद्योगों के लिए जिन
परिवारों की जमीन एक्वायर की जाएगी, उनके एक सदस्य को नियमित नौकरी दी
जाएगी। एक हजार से ज्यादा लोगों को नियमित रोजगार और 90 फीसदी रोजगार
प्रदेश के लोगों को देने वाली इकाइयों को दो साल के लिए अतिरिक्त उद्योग
संवर्धन सहायता प्रदान की जाएगी।




नई पॉलिसी एक नवंबर से पांच साल के लिए लागू होगी। सरकार ने 2004 के बाद इस
नई औद्योगिक नीति की घोषणा की है। मध्य प्रदेश सरकार बगैर किसी औद्योगिक
नीति के प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कर रही थी। साथ ही
निवेश सम्मेलन भी आयोजित कर रही थी। इन सम्मेलनों में वो विभिन्न औद्योगिक
घरानों के साथ सहमति पत्रों यानी एमओयू भी साइन कर रही थी। बिना किसी
औद्योगिक नीति के एमओयू करने पर उसके फैसलों पर बिजनेस भास्कर ने लगातार
सवाल खड़े किए। बिजनेस भास्कर ने इस पर खबरों की एक सीरीज प्रकाशित करके
सरकार से पहले औद्योगिक नीति बनाने की मांग की थी। इसके बाद ही सरकार की ये
इंडस्ट्रियल पॉलिसी सामने आई है। मध्य प्रदेश ने अगले निवेश सम्मेलन 22
अक्टूबर से खजुराहो में आयोजित किया है। इस सम्मेलन से पहले मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इसके
अंतिम प्रारूप पर मोहर लगा दी गई।




नई पॉलिसी में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट फंड बनाने की बात कही गई है। इसके
जरिए औद्योगिक संरचना के विकास के लिए वित्तीय कठिनाइयों को दूर किया
जाएगा। इस फंड में अगले पांच साल तक हर साल दस करोड़ रुपये दिए जाएंगे। नई
पॉलिसी में औद्योगिक केंद्रों को राष्ट्रीय राजमार्गों और महत्वपूर्ण रेलवे
जंक्शनों से जोडऩे की बात कही गई है। साथ ही ये भी कहा गया है कि हवाई
सेवाओं के विस्तार के लिए एविएशन टर्बाइन फ्यूलपर लागू कर की दरों को
युक्ति संगत बनाया जाएगा। औद्योगिक केंद्रों में दोहरी कर प्रणाली को खत्म
करने में आ रही परेशानियों को देखते हुए राज्य में स्पेशल इनवेस्टमेंट रीजन
एक्ट लाया जाएगा। इसके अलावा निजी क्षेत्र में औद्योगिक पार्क की स्थापना
के लिए सहायता का प्रावधान किया गया है।




घोषित इंडस्ट्रियल पॉलिसी के मुताबिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में निजी
क्षेत्र को प्रोस्साहन देने के लिए औद्योगिक पार्क और हाइटेक पार्क संबंधी
परियोजनाओं को विशेष सहायता दी जाएगी। इसके अंतर्गत निजी क्षेत्र द्वारा
विकसित किए जाने वाले औद्योगिक पार्कों को विकास व्यय का दस फीसदी या
अधिकतम ढाई करोड़ रुपये तक सहायता दी जाएगी। पर इस तरह की परियोजनाओं में
कम से कम २५ इकाइयां स्थापित हों और २५० लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिले।




बीना रिफाइनरी परियोजना को ध्यान में रखते हुए संभावित उद्योगों के लिए
बीना के पास औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किया जाएगा। औद्योगिक संगठनों की ओर
से लगातार की जा रही मांग को देखते हुए नीति में प्रावधान किया गया है कि
औद्योगिक क्षेत्रों में जरूरत के अनुसार सामाजिक संरचना जिसमें स्कूल,
अस्पताल, झूलाघर, आवास, शापिंग सेन्टर आदि तैयार किए जाएगें। नए या
विस्तारित औद्योगिक क्षेत्रों में जहां पांच सौ एकड़ या अधिक भूमि विकसित
की जानी है, वहां आवास के लिए कुल भूमि की अधिकतम १० फीसदी भूमि आरक्षित की
जाएगी।




नई पॉलिसी में राइस मिलों के लिए राइस मिलों को सहायता करने के लिए खास
प्रावधान किया गया है। इसके तहत दस करोड़ से अधिक स्थाई पूंजी की आधुनिक
राइस मिल द्वारा बासमती चावल के उत्पादन की धान खरीद पर मंडी शुल्क से छूट
दी जाएगी। बीमार उद्योगों की पहचान करके जिला स्तर पर उनका डाटा बेस तैयार
किया जाएगा। ऐसे उद्योगों का अधिग्रहण करके सरकार विशेष पैकेज देगी। बीमार
लघु उद्योगों के लिए स्मॉल स्केल इंडस्ट्री रिवाइवल स्कीम २०१० लागू रहेगी।
बढ़ते औद्योगिक विकास की जरूरत के अनुसार कुशल लोगों की उपलब्धता के लिए
प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की भी बात कही गई है।




नई नीति में औद्योगिक निवेश की प्रक्रिया को सरल बनाने का भी प्रावधान किया
गया है। अधिक प्रदूषण करने वाले उद्योगों को छोड़कर शेष उद्योगों को जल और
वायु अधिनियमों के अधीन वैधता की सीमा तीन वर्ष की जाएगी। संबंधित आवेदन
पत्र को सरल बनाया जाएगा। खाद्य और औषधि नियंत्रण प्रशासन का विकेंद्रीकरण
करके इंदौर में एक क्षेत्रीय कार्यालय शुरू किया जाएगा। पावरलूम बुनकर
सहकारी संघ एवं समितियों को सहकारी बैंको से कार्यशील पूंजी के लिए तीन
फीसदी पर कर्ज मिलता रहेगा।




मेगा परियोजनाओं को तय प्रीमियम दर की २५ फीसदी दर पर भूमि उपलब्ध कराई
जाएगी। २५ करोड़ या अधिक की स्थाई पूंजी निवेश वाली परियोजनाओं को मेगा
परियोजना माना जाएगा। उद्योगों के लिए लगाए गए कैप्टिव पॉवर प्लंाट को
विद्युत शुल्क में छूट दी जाएगी। विनिर्माण उद्योगों को कच्चेमालकी पहली
खरीद से अगले पांच वर्षो के लिए प्रवेश कर से छूट दी जाएगी। खाद्य
प्रसंस्करण उद्योग के लिए राज्य के बाहर से लाए गए कच्चे माल पर मंडी शुल्क
नहीं लगेगा। फूड पार्क में स्थापित उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में
खरीदे जाने वाले कृषि उत्पादों पर मंडी शुल्क नहीं लगेगा।

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