जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बने
तालाबों की हालत अब सुधरने के आसार हैं। जिला प्रशासन ने लुधियान की तर्ज
पर अब बठिंडा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बने तालाबों की हालत सुधारने
की योजना बनाई है। इसके तहत जिले के तालाबों से गार निकालने के बाद उनकी
चारदीवारी व साफ सफाई का काम करवया जाएगा। नरेगा योजना के तहत इस योजना पर
काम किया जाएगा।
25 तालाबों पर खर्च होंगे 2 करोड़ रुपये
योजना के तहत जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बने कुल 25 तालाबों को चुना
जाएगा। इन्हें सफाई करने, चारदीवारी करने व पानी को साफ करने के लिए कुल दो
करोड़ रुपये का एस्टीमेट पास किया गया है। नरेगा योजना के तहत फंड मांगे
गए हैं। इससे पहले लुधियाना जिले में इस पैटर्न पर तालाबों की सफाई करवाई
जा चुकी है। ध्यान रहे कि ग्रामीण क्षेत्रों में छप्पड़ों की हालत बेहद
खराब है। इनका पानी अत्यंत दूषित होने से उनमें पशुओं को नहलाना भी मुश्किल
है। कई जगह तो छप्पड़ों की चारदीवारी न होने से वह दुर्घटना का सबब बन रहे
हैं।
मर चुकी है चार बच्च्यिां
गांव गहरी भागी की पंचायती जमीन में बने छप्पड़ की चारदीवारी न होने व उसकी
लंबे समय से सफाई न होने से पिछले तीन साल में 4 बच्चे उसमें गिरकर मौत का
शिकार हो चुके हैं। उक्त छप्पड़ के बिलकुल साथ पंचायत भवन में चलने वाले
आंगनबाड़ी केंद्र में खेलते हुए बच्चे अक्सर छप्पड़ के पास आ जाते हैं।
ऐेसे में छप्पड़ में पानी का स्तर बढऩे व चारदीवारी न होने से बच्चे उसमें
गिरकर मर जाते हैं। यह अकेले गांव गहरी भागी की कहानी नहीं, बल्कि ग्रामीण
क्षेत्रों में ऐसे कई मामले हैं यहां पर छप्पड़ों के दूषित पानी से मछली
पालन व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है।
तालाबों की हालत अब सुधरने के आसार हैं। जिला प्रशासन ने लुधियान की तर्ज
पर अब बठिंडा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बने तालाबों की हालत सुधारने
की योजना बनाई है। इसके तहत जिले के तालाबों से गार निकालने के बाद उनकी
चारदीवारी व साफ सफाई का काम करवया जाएगा। नरेगा योजना के तहत इस योजना पर
काम किया जाएगा।
25 तालाबों पर खर्च होंगे 2 करोड़ रुपये
योजना के तहत जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बने कुल 25 तालाबों को चुना
जाएगा। इन्हें सफाई करने, चारदीवारी करने व पानी को साफ करने के लिए कुल दो
करोड़ रुपये का एस्टीमेट पास किया गया है। नरेगा योजना के तहत फंड मांगे
गए हैं। इससे पहले लुधियाना जिले में इस पैटर्न पर तालाबों की सफाई करवाई
जा चुकी है। ध्यान रहे कि ग्रामीण क्षेत्रों में छप्पड़ों की हालत बेहद
खराब है। इनका पानी अत्यंत दूषित होने से उनमें पशुओं को नहलाना भी मुश्किल
है। कई जगह तो छप्पड़ों की चारदीवारी न होने से वह दुर्घटना का सबब बन रहे
हैं।
मर चुकी है चार बच्च्यिां
गांव गहरी भागी की पंचायती जमीन में बने छप्पड़ की चारदीवारी न होने व उसकी
लंबे समय से सफाई न होने से पिछले तीन साल में 4 बच्चे उसमें गिरकर मौत का
शिकार हो चुके हैं। उक्त छप्पड़ के बिलकुल साथ पंचायत भवन में चलने वाले
आंगनबाड़ी केंद्र में खेलते हुए बच्चे अक्सर छप्पड़ के पास आ जाते हैं।
ऐेसे में छप्पड़ में पानी का स्तर बढऩे व चारदीवारी न होने से बच्चे उसमें
गिरकर मर जाते हैं। यह अकेले गांव गहरी भागी की कहानी नहीं, बल्कि ग्रामीण
क्षेत्रों में ऐसे कई मामले हैं यहां पर छप्पड़ों के दूषित पानी से मछली
पालन व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है।