विश्व खाद्य दिवस पर विशेष
भूख से लड़ने में दुनिया भर में हो रहे प्रयासों के बीच भारत की
एक तस्वीर यह भी है कि गोदामों में सड़ते अनाज के बावजूद करोड़ों लोग भूखे
हैं। उभरती अर्थव्यवस्था के अलावा देश की इस तस्वीर का कारण जो भी हो,
विशेषज्ञों का मानना है कि इसका परिणाम देश की छवि धूमिल होने के तौर पर ही
सामने आएगा।
कृषि प्रधान देश भारत में लोग भूख के कारण क्यों अपनी
जान गंवा रहे हैं, इस सवाल के जवाब में कृषि विशेषज्ञ डा. आरसी स्वर्णकार
ने कहा, ‘देश की मौजूदा आर्थिक, प्राकृतिक, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियां
इसके लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार हैं। हमारे पास किसी भी विकासशील देश से
ज्यादा कृषि योग्य भूमि है, लेकिन कृषि के साधन और कृषि करने वालों के लिए
पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। जलवायु परिवर्तन जैसे प्राकृतिक आैर युवाओं का
कृषि से मोहभंग होकर किसी आसान तरीके से पैसा कमाने की ओर रुझान होना भी
इसके लिए जिम्मेदार है।"
स्वर्णकार ने आंकड़ों पर जोर डालते हुए
बताया कि 2002 में खाद्यान्न की उपलब्धता प्रति व्यक्ति लगभग 500 ग्राम
प्रति दिन थी, जबकि अब यह घटकर लगभग 440 ग्राम प्रतिदिन रह गई है, जिसका
मुख्य कारण कृषि पर पड़ता प्रतिकूल प्रभाव और खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतें
हैं। कांफ्रेस ऑफ द फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने 1979 से
विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य
विश्वभर में फैली भुखमरी की समस्या के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाना तथा
भूख, कुपोषण और गरीबी के खिलाफ संघर्ष को मजबूती देना था।
1980 में
संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को मनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करते हुए
कहा, ‘भोजन मानव अस्तित्व और उसके सलामत रहने के लिए आधारभूत मानवीय
आवश्यकता है।" इस प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा गया कि दुनिया के सभी
देशों में भूख से निपटने और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक खाद्य पदार्थों की
उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरे विश्व में यह दिवस मनाया जाएगा।
गौरतलब
है कि भारत को पिछले दिनों इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर
से जारी वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में 67वें स्थान पर
रखा गया है। इसके मुताबिक भुखमरी से दो-दो हाथ करने में हम चीन, पाकिस्तान
और इंडोनेशिया जैसे देशों से भी कहीं पीछे हैं।
देश में बढ़ती
भुखमरी और गोदामों में सड़ते अनाज जैसी विसंगति पर टिप्पणी करते हुए उच्चतम
न्यायालय ने भी पिछले दिनों कहा था, ‘अनाज को सड़ाने के बजाए केंद्र सरकार
सुनिश्चित करे कि यह भूखे और गरीब लोगों तक पहुंचे। इसके लिए केंद्र हर
प्रदेश में एक बड़ा गोदाम बनाने की भी व्यवस्था करे।"