विद्यार्थियों का अनाज डकारा

जबलपुर । सार्वजनिक वितरण प्रणाली की राशन की दुकानें आरक्षित
वर्ग के छात्र-छात्राओं के हॉस्टल के अनाज को दो साल से खुद खा रही हैं।
छात्रावासों के लिए जिले से इन दुकानों को गेहूं और चावल का आवंटन हो रहा
है, लेकिन दुकानें छात्रावासों के पास राशनकार्ड नहीं होने के बहाने उन्हें
कुछ भी सामग्री नहीं दे रही। मजबूरन छात्रावासों को बाजार से अनाज खरीदना
पड़ रहा है।

यह थी योजना

शासन के नियमों के अनुसार सभी
छात्रावासों और आश्रम शालाओं के सामान्य राशन कार्ड बच्चों के मान से बनाए
जाने थे। राशन कार्ड बनवाने के लिए आदिवासी विभाग द्वारा 35 छात्रावासों
में रहने वाले करीब 1500 छात्रों के राशन कार्ड के लिए आवेदन पत्र करीब दो
साल पहले कलेक्ट्रेट की खाद्य शाखा को दिए जा चुके हैं। राशन कार्ड अब तक
जारी नहीं हो सके। इस दौरान छात्रावासों की मांग के आधार पर कलेक्टर के
निर्देश पर हर माह आवंटन जारी होता रहा।

क्विंटलों का गोलमाल

नियमों
के अनुसार प्रति छात्र हर माह 15 किलो गेहूं आवंटित किया जाता है। बच्चों
को 6 किलो चावल भी दिया जाना चाहिए। हालांकि बीच में चावल का वितरण बंद हो
गया था, जो पिछले माह से फिर चालू हो गया।

वर्तमान में छात्रावासों
में ढाई हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं निवास करते हैं। यह संख्या हर साल
कम-ज्यादा हो जाती है। वर्तमान संख्या के मान से हर माह 402 क्विंटल गेहूं
आवंटित हो रहा है। सालभर आवंटित गेहूं की मात्रा लगभग पांच हजार क्विंटल
होती है।

लग रही दोहरी चपत

राशन दुकानदारों द्वारा किए जा
रहे गोलमाल से शासन को दोहरी चपत लग रही है। एक तो शासन का सस्ती दर का
गेहूं पात्र हितग्राहियों को नहीं मिल रहा। दूसरी ओर ऎसे छात्रावासों में
बच्चों के लिए खुले बाजार से महंगी दरों पर राशन खरीदना पड़ रहा है।
वर्तमान में गेहूं का बाजार भाव 12 से 14 रूपए किलो है। जबकि राशन दुकान से
छात्रावासों को सात रूपए किलो गेहूं मिलता है।

हाल ही में किए
गए निरीक्षण के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के अधीक्षकों ने बताया कि उन्हें
राशन नहीं मिल रहा है। इसे गंभीर मानते हुए जांच-पड़ताल की जा रही है। राशन
कार्डोü के आवेदन जमा होने के बावजूद अभी तक राशन कार्ड नहीं बनाए गए।
मामले की जांच की जाएगी। अधीक्षकों से रिपोर्ट मांगी जा रही है कि उन्हें
कब-कब राशन नहीं मिला।

चंद्रकांता सिंह, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग
कलेक्टर
के निर्देश पर हर माह मांग के अनुसार राशन आवंटित किया जाता है। नगरीय
सीमा में राशन कार्ड नगर निगम बनाता है और ग्रामीण क्षेत्रों में यह काम
जनपद पंचायत के जिम्मे है। राशन कार्ड यहां नहीं बनाए जाते।
संतोष कुमार जैन, जिला आपूर्ति नियंत्रक, जबलपुर

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