सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद जिलेवासियों को मिलावटी खाद्य सामग्री
खाने से निजात नहीं मिल सकी है। जिले में हर चौथी दुकान पर मिलावटी खाद्य
सामग्री बेची जा रही है। इसका खुलासा गत दिनों कोटा प्रयोगशाला से इस साल
के सैंपलों की मिली रिपोर्ट से हुआ है।
इस रिपोर्ट में जिले भर में लिए गए खाद्य सामग्री के 85 मेंं से 23 अर्थात
२७ प्रतिशत सैंपल मिलावटी पाए गए हंै। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य पर
प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार लंबे समय से अधिकांश दुकानदार
खाद्य सामग्री में मिलावट करते आ रहे हैं। इसके चलते लोगों को शुद्ध
खान-पान नहीं मिल पा रहा है, जिसका विपरीत असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा
है। इसको लेकर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, स्वास्थ्य विभाग ने समय-समय पर
खाद्य सामग्री में मिलावट करने वालों के खिलाफ शुद्ध के लिए युद्ध अभियान
चलाने समेत अन्य कदम उठाए। इसके बावजूद दुकानदार खाद्य सामग्री में मिलावट
करने से बाज नहीं आए। ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी स्थिति और खराब है।
मिठाइयों की दुकान पर तीन-चार दिन तक खुले में जलेबी, मिठाई आदि रखी रहती
है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के मानकों के विपरीत मिठाई, नमकीन, जलेबी आदि बना
रहे हैं। वहीं हल्दी, मिर्च, तेल, घी आदि खाद्य सामग्री में भी भारी
मात्रा में मिलावट कर रहे हैं। इसका पता इस साल फूड इंस्पेक्टर वेदप्रकाश
पूर्विया द्वारा लिए सैंपल की जांच रिपोर्ट में चला है। जनवरी से बुधवार तक
फूंड इंस्पेक्टर ने जिले में 91 खाद्य सामग्री के सैंपल लिए थे। इनमें से
85 की जांच रिपोर्ट मिली है। इनमें से 23 केस निकले हैं।
सबसे अधिक बीमारियां मिलावटी खाद्य सामग्री से
पूर्विया और चिकित्सकों ने बताया कि सबसे अधिक बीमारी लोगों को खाद्य
सामग्री में मिलावट होने से होती है। आलम यह है कि आज प्रत्येक खाद्य
सामग्री में दुकानदार मिलावट करने की कोशिश करते हैं तथा अधिकांश खाद्य
सामग्री में मिलावट की जा रही है। इन्होंने माना कि अगर खाद्य सामग्री में
मिलावट बंद हो जाए तो बीमारी का ग्राफ भी गिर जाएगा।
20 के खिलाफ चालान पेश
फूड इंस्पेक्टर पूर्विया ने बताया कि 85 सैंपलों की प्राप्त हुई जांच
रिपोर्ट में 23 सैंपल फेल निकलते हैं। इनमें से 20 के खिलाफ सीजेएम कोर्ट
में गत दिनों चालान पेश कर दिया है। शेष तीन के भी चालन पेश करने की
कार्रवाई की जा रही है।
खाने से निजात नहीं मिल सकी है। जिले में हर चौथी दुकान पर मिलावटी खाद्य
सामग्री बेची जा रही है। इसका खुलासा गत दिनों कोटा प्रयोगशाला से इस साल
के सैंपलों की मिली रिपोर्ट से हुआ है।
इस रिपोर्ट में जिले भर में लिए गए खाद्य सामग्री के 85 मेंं से 23 अर्थात
२७ प्रतिशत सैंपल मिलावटी पाए गए हंै। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य पर
प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार लंबे समय से अधिकांश दुकानदार
खाद्य सामग्री में मिलावट करते आ रहे हैं। इसके चलते लोगों को शुद्ध
खान-पान नहीं मिल पा रहा है, जिसका विपरीत असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा
है। इसको लेकर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, स्वास्थ्य विभाग ने समय-समय पर
खाद्य सामग्री में मिलावट करने वालों के खिलाफ शुद्ध के लिए युद्ध अभियान
चलाने समेत अन्य कदम उठाए। इसके बावजूद दुकानदार खाद्य सामग्री में मिलावट
करने से बाज नहीं आए। ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी स्थिति और खराब है।
मिठाइयों की दुकान पर तीन-चार दिन तक खुले में जलेबी, मिठाई आदि रखी रहती
है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के मानकों के विपरीत मिठाई, नमकीन, जलेबी आदि बना
रहे हैं। वहीं हल्दी, मिर्च, तेल, घी आदि खाद्य सामग्री में भी भारी
मात्रा में मिलावट कर रहे हैं। इसका पता इस साल फूड इंस्पेक्टर वेदप्रकाश
पूर्विया द्वारा लिए सैंपल की जांच रिपोर्ट में चला है। जनवरी से बुधवार तक
फूंड इंस्पेक्टर ने जिले में 91 खाद्य सामग्री के सैंपल लिए थे। इनमें से
85 की जांच रिपोर्ट मिली है। इनमें से 23 केस निकले हैं।
सबसे अधिक बीमारियां मिलावटी खाद्य सामग्री से
पूर्विया और चिकित्सकों ने बताया कि सबसे अधिक बीमारी लोगों को खाद्य
सामग्री में मिलावट होने से होती है। आलम यह है कि आज प्रत्येक खाद्य
सामग्री में दुकानदार मिलावट करने की कोशिश करते हैं तथा अधिकांश खाद्य
सामग्री में मिलावट की जा रही है। इन्होंने माना कि अगर खाद्य सामग्री में
मिलावट बंद हो जाए तो बीमारी का ग्राफ भी गिर जाएगा।
20 के खिलाफ चालान पेश
फूड इंस्पेक्टर पूर्विया ने बताया कि 85 सैंपलों की प्राप्त हुई जांच
रिपोर्ट में 23 सैंपल फेल निकलते हैं। इनमें से 20 के खिलाफ सीजेएम कोर्ट
में गत दिनों चालान पेश कर दिया है। शेष तीन के भी चालन पेश करने की
कार्रवाई की जा रही है।