बासमती निर्यातकों की पौ बारह

हिसार. पकिस्तान में बाढ़ भारत
के बासमती उत्पादक किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आई है। इराक, ईरान, कुवैत,
सऊदी अरब, मस्कट, शारजहां सहित यूरोप के कई देशों में पकिस्तानी बासमती का
जबरदस्त क्रेज है। इस बार बाढ़ के कारण पकिस्तानी बासमती धान की फसल लगभग
नष्ट हो गई है। इससे कृषि वैज्ञानिकों को खुशबूदार भारतीय बासमती के
निर्यात और मूल्य में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।




कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्रधिकरण ‘एपीडा’ ने दस वर्षो
के मार्केट ट्रेंड, ओपिनियन सर्वे और फसल की अच्छी उपज को देखते हुए बासमती
के अधिक निर्यात होने की संभावना जताई है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के
अनुसार 2008—09 में हरियाणा के पूरे क्षेत्रफल में 40 प्रतिशत धान की
रोपाई हुई थी। जो कि इस बार बढ़कर 60 प्रतिशत के क्षेत्रफल पर जा पहुंची
है। डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर इकोनोमिक्स के हेड प्रो. आरके खटकड़ ने
बताया कि बासमती के अधिक उत्पादन के कारण दस प्रतिशत से अधिक निर्यात होने
की संभावना है। इससे खुशबूदार बासमती की कीमत 3 हजार से 33 सौ प्रति
क्विंटल तक जा सकती है।




उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष खुशबूदार बासमती का कुल निर्यात 2.3 लाख टन
था जो 2008—09 की तुलना में 44 प्रतिशत अधिक रहा। रुपए में देखें तो पिछले
साल लगभग 12000 करोड़ रुपए का बासमती चावल निर्यात किया गया था। इस बार
भारतीय बासमती को प्रतियोगी पकिस्तान में फसल नष्ट होने का फायदा मिलेगा और
इस साल लगभग 13500 करोड़ रुपए के चावल निर्यात होने की संभावना है।
निर्यात बढ़ने की वजह से इस वर्ष किसानों को भी लाभ होगा।




प्रो.खटकड़ ने बताया कि पकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में होने वाले खुशबुदार
बासमती चावल की अधिकाधिक मांग है। जबकि भारतीय बासमती की खास किस्म 1121 का
क्रेज अरब देशों और यूरोप के अलावा भी कई देशों में बढ़ा है। उल्लेखनीय है
कि खुशबूदार बासमती चावल के निर्यात में पकिस्तान भारत का प्रमुख
प्रतिद्वंद्वी है।

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