जागरण ब्यूरो, चंडीगढ़ : पंजाब सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से आग्रह
किया कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर कृषि ऋण आदान-प्रदान योजना का
तीव्र प्रोत्साहित करने के लिए जोर दे, ताकि किसानों को साहूकारों के
मकड़जाल से मुक्त कराया जा सके।
उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने यह मामला वीरवार को उस समय उठाया, जब
भारतीय रिर्जव बैंक (आरबीआई) के गर्वनर डा. डी. सुब्बाराव ने उनके साथ
मुलाकात की।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब के किसानों पर 3500 करोड़ रुपये का कर्ज
है और इसका बड़ा हिस्सा गैरसंगठित क्षेत्र से लिए कर्ज का है। पंजाब में
बैंक ऋण आदान-प्रदान योजना को उचित ढग से प्रोत्साहित नहीं कर सके है,
जिसके कारण अधिकांश किसान इस योजना का उचित फायदा नहीं ले सके ।
आबीआई गर्वनर डा. डी सुब्बाराव ने उनको भरोसा दिलाया कि वह बैंकों पर
दूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना को उचित ढग से लागू करने के लिए
जोर देंगे।
सुखबीर बादल ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रबी और खरीफ फसलों की खरीद के
लिए दी जाती ऋण लिमिट की ब्याज दर घटाने की भी माग की, क्योंकि राज्य
सरकार को अनाज के उत्पादन के लिए किए जाते प्रयासों के परिणामस्वरूप हर
वर्ष अधिक ब्याज देना पड़ता है। उन्होंने सरकारों द्वारा लिए जाते अन्य
कर्जो की ब्याज दरे घटाने के लिए भी भारतीय रिजर्व बैंक के दखल की माग की।
डा. सुब्बाराव ने बैंकिंग सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुचाने के लिए पंजाब सरकार से सहयोग मागा।
उन्होंने कहा कि पंजाब में बैंक विभिन्न सरकारी योजनाओं और शगुन योजना
के तहत सरकार द्वारा दी जाती धनराशि इलेक्ट्रानिक बैनीफिट ट्रास्फर (ईबीएफ)
के जरिए संबंधित लोगों को प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना से
प्रत्येक लाभपात्र के खाते में प्रत्येक माह एक तय तिथि पर उनको मिलने वाली
राशि पहुच जाया करेगी।
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर 15 अक्टूबर को चंडीगढ़ में
बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की होने वाली बैठक की अध्यक्षता करने के लिए
आए हुए है।