शांत नहीं हो पाया था कि माता बसैया मंदिर में दलितों के पूरे गांव को
मंदिर में पूजा करने रोकने का एक और मामला सामने आ गया है। इसको लेकर
आक्रोशित दलित सोमवार को पुलिस अधीक्षक से मिले और उन्हें समस्या से अवगत
कराया।
जानकारी के मुताबिक शहर से 15 किमी दूर माता बसैया मंदिर
में हर वर्ष नवरात्र के माता बसैया गांव के सभी समाज के लोगों से चंदा होता
था और फिर सामूहिक रूप से मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती थी और सभी मिलकर
मैया को पोशाक पहनाते थे।
लेकिन इस बार आयोजकों ने गांव के दलितों
से न चंदा किया और न ही उन्हें पूजा-अर्चना व पोशाक पहनाने के समय बुलाया
गया। जब दलितों को पता चला तो उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। और आपस में
चंदा कर अलग से मैया की पूजा-अर्चना कर पोशाक पहनाने का निर्णय लिया।
इसीक्रम में जब सोमवार को दलित परिवार केलोग मैया को पोशाक पहनाने मंदिर
पहुंचे तो उन्हें मंदिर से यह कहकर धक्का देकर बाहर निकाल दिया कि देवी
प्रतिमा से हाथ लगाया तो अछूत हो जाएगी।
ऎसा होते गांव में तनाव के
हालत पैदा हो गए और गांव के करीब आधा सैकड़ा दलित बानमोर नगर पंचायत के
अध्यक्ष कमल राजे और ग्रामीण युवक के जिलाध्यक्ष गिर्राज डंडौतिया के
नेतृत्व में पुलिस अधीक्षक से मिले और समस्या से अवगत कराया। साथ ही
उन्होंने कहा कि वे 15 अक्टूबर को माता के मंदिर अपने पैसे से माता का
श्ृंगार करेंगे इस लिए उन्हें सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए। पुलिस
अधीक्षक से मिलने वालों में बैजनाथ सिंह, रामनिवास, एसके सिंह, सामंत,अशोक
सिंह आदि शामिल थे।
इस बार क्यों हुआ पूजा का विचार: हर वर्ष इनसे
चंदा तो लिया जाता था, लेकिन इन्हें मूर्ति को छूने नहीं दिया जाता था वह
अपने आपको उपेक्षित महसूस करते रहे थे,लेकिन इस बार दलितों ने पंचायत कर
अपने पैसे से अलग श्ृंगार करना तय किया था,लेकिन दबंगों ने श्ृंगार नहीं
करने दिया।