चक्की (बक्सर)एक प्रतिनिधि : किसानों को काफी हद तक राहत देने वाली
सरकारी स्तर पर चल रही फसल बीमा का अता-पता नही है। इस लाभकारी योजना से
करीब अस्सी फीसदी किसान अंजान है।
इस संबंध में बरमेश्वर मिश्रा, ओमनारायण मिश्रा, उपेन्द्र ओझा,
विश्वामित्र पांडेय कहते है। मानसून के दौरान आवाधिक पानी कम होने के कारण
सूखा की स्थिति कायम हुई। जिससे खरीफ की खेती में जुताई, बुआई करने से घर
में रखी जमा-पूंजी भी खर्च हो गई। जबकि उतपादन नही के बराबर हुआ। इस स्थिति
में ऐसे किसानों के लिए सरकार द्वारा चलायी जा रही फसल बीमा योजना संजीवनी
साबित हो सकती थी। लेकिन यह योजना स्थानीय स्तर पर कतिपय खामियों का शिकार
होकर किसानों की दहलीज से दूर हो गई है। क्योंकि कुछ किसानों छोड़ दिया जाय
तो अस्सी फीसदी से अधिक किसानों को यह जानकारी भी नही है। उनके लिए इस तरह
के योजना राहत प्रदान करने के लिए सरकार चला रही है। कुछ किसानों ने बताया
कि इस योजना में इस वर्ष के अलावे बीते वर्ष भी शामिल हुए है। लेकिन योजना
के माध्यम से फसल नष्ट होने के बाद भी फूटी कौड़ी तक नसीब नही हुई है।