इसे सूचना अधिकार [आरटीआई] का ही कमाल कहेंगे कि जो वृद्ध महिला कल तक
लोगों के घरों में झाड़ू-पोंछा लगाकर अपनी जिंदगी बसर कर रही थी वह आज
करोड़ों की संपत्ति की मालकिन है। आरटीआई के पांच साल पूरे होने पर गुजरात
में इसकी पड़ताल करने पर इसकी कई सफल कहानियां सामने आई हैं। इन्हीं में एक
लक्ष्मी बेन पंड्या की भी कहानी है।
अहमदाबाद के राणिप इलाके में रहने वाली लक्ष्मी बेन ने पंचमहाल जिले के
छोटा उदेपुर कस्बा निवासी भरत भाई के साथ विवाह किया था। भरत भाई ने पत्नी
का देहांत होने के बाद लक्ष्मी से दूसरा विवाह किया था। पहली शादी से भरत
भाई की दो बेटियां थीं। करीब दो दशक पहले भरत भाई का देहांत होने पर
लक्ष्मी दोनों बेटियों को उनके काका के पास छोड़कर अहमदाबाद चली आई। पति की
संपत्ति में हक पाने के लिए उन्होंने कई बार अपने देवरों से बात की लेकिन
व्यवसाय में घाटा और कर्ज की बात कहकर वे उसे संपत्ति में हिस्सा देने से
इंकार करते रहे।
करीब छह माह पहले लक्ष्मी गुजरात में सूचना अधिकार के लिए काम करने
वाली गैरसरकारी संस्था जनपथ पहुंचीं। लक्ष्मी की कहानी सुन संस्था में काम
करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हरिणेश पंड्या ने उनकी पति की संपत्ति की
जानकारी प्राप्त करने के लिए सूचना के अधिकार का इस्तेमाल किया। इसमें
लक्ष्मी को जो जानकारी मिली वह चौंकाने वाली थी।
जनपथ की सहसंयोजक पंक्ति जोग ने बताया कि लक्ष्मी बेन छोटा उदेपुर में
करोड़ों की अचल संपत्ति और लाखों की कीमत के बंगले की हिस्सेदार हैं। इसके
अलावा पति के नाम चार खानों में भी उनकी हिस्सेदारी के दस्तावेज मिले है।