कानपुर, संवाददाता : गंगा को प्रदूषित करने में सरकारी व्यवस्था भी
बराबर की भागीदार है। नगर निगम ने जब कॉमन क्रोम रिकवरी प्लांट में आज तक
ड्रम ड्रायर ही नहीं लगाये हैं तो भला टेनरियों द्वारा चर्म शोधन में
इस्तेमाल किये गये क्रोमियम युक्त पानी से दोबारा क्रोम कैसे निकलेगा। यही
वजह है कि टेनरी संचालक अपना क्रोमियम युक्त दूषित उत्प्रवाह प्लांट को न
देकर नालों व नालियों में बहा रहे हैं।
टेनरियों में चर्मशोधन प्रक्रिया में क्रोम को पानी में घोलकर इस्तेमाल
किया जाता है। इसमें काफी क्रोम तो चमड़े और बाकी पानी में घुला रह जाता है।
इस क्रोम युक्त पानी को गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के बगल में ट्रीटमेंट
प्लांट के पास स्थित कॉमन क्रोम रिकवरी प्लांट में टैंकर के जरिये भेजा
जाना चाहिए। वहां इस प्रदूषित पानी को ड्रम ड्रायर में सुखाकर क्रोम को अलग
किया जाना चाहिए ताकि क्रोम का दोबारा इस्तेमाल हो जाए और प्रदूषित पानी
की समस्या का समाधान हो जाए। लेकिन इस प्लांट में आज तक ड्रम ड्रायर ही
नहीं लगा है। इस कारण टेनरी मालिक क्रोम लिकर (क्रोम मिला पानी का घोल)
प्लांट को देते ही नहीं हैं और यूं ही बहाते हैं।
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नगर निगम के अभियंता पंकज भूषण के अनुसार हैदराबाद की एक कंपनी ड्रम
ड्रायर लगाकर प्लांट संचालन को तैयार है लेकिन अभी काम शुरू नहीं हो पाया
है। यह व्यवस्था हो जाने पर प्रदूषण पर काफी हद तक अंकुश लग जायेगा।
-राधेश्याम, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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कॉमन क्रोम रिकवरी प्लांट में ड्रम ड्रायर नहीं लगे होने का पता लगने पर
अभियंता पंकज भूषण से कड़ी नाराजगी जतायी है। आदेश दिये हैं कि बुधवार को
फाइल पेश कर ड्रम ड्रायर की व्यवस्था करायी जाए।
-आर विक्रम सिंह, नगर आयुक्त