अपने हक के लिए संगठित हो रहे हैं आदिवासी

जागरण ब्यूरो भोपाल, 6 सितंबर। मध्यप्रदेश में आदिवासी राजनीति एक बार
फिर गरमा रही है। भाजपा के आदिवासी नेता अगले माह भोपाल में एक मंच पर
एकत्रित हो रहे हैं। इस मंच पर आदिवासी अपने हकों की लड़ाई लड़ने का एलान
करेंगे।

आदिवासी नेताओं को एक मंच पर लाने का काम अखिल भारतीय आदिवासी विकास
परिषद द्वारा किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के विभाजन के बाद से ही यह परिषद
मृत अवस्था में पड़ी हुई थी। विभाजन से पूर्व प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व
का मुद्दा तेजी से गर्माया था। लेकिन,छत्तीसगढ़ के अलग हो जाने के बाद
आदिवासी नेता अलग-थलग पड़ गए। कांग्रेस ने तो विधानसभा में पार्टी का
नेतृत्व आदिवासी नेता जमुना देवी को सौंप

रखा है। लेकिन भाजपा में आदिवासी नेतृत्व पिछले कई सालों से उपेक्षित
हैं। प्रदेश में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन होने के पीछे कारण भी आदिवासी
नेताओं की उपेक्षा बताया जा रहा है। पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष के चयन
में भी आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते की दावेदारी को दरकिनार कर पार्टी
ने प्रभात झा को अध्यक्ष बनाया था।

भोपाल में अगले माह 23 अक्टूबर को होने वाला सम्मेलन भी भाजपा के कब्जे
वाली परिषद द्वारा किया जा रहा है। परिषद के अध्यक्ष सोमजी भाई डामोर हैं।
कुलस्ते उपाध्यक्ष हैं।

फिलहाल इस परिषद ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आदिवासी कल्याण
परिषद को भी अपने निशाने पर ले लिया है। भाजपा के आदिवासी नेता फग्गन सिंह
कुलस्ते कहते हैं कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद में आदिवासी
बाहुल्य क्षेत्र के

मुख्यमंत्रियों एवं आदिवासी कल्याण मंत्रियों का भी सदस्य बनाया जाना
चाहिए। भाजपा की योजना इस मंच के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों में काग्रेस
के खिलाफ प्रचार अभियान चलाने की है। परिषद के अध्यक्ष सोमजी भाई कहते हैं
कि आजादी के बाद आज भी ऐसे कई आदिवासी क्षेत्र हैं जहा के बच्चों ने
बिस्कुट भी नहीं देखें हैं। भाजपा के आदिवासी नेतृत्व का मानना है कि
केन्द्र में अगली सरकार के गठन में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों की
काफी अहम भूमिका होगी।

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