सरकार पर सलवा जुडूम की जानकारी छुपाने का आरोप

नयी दिल्ली/रायपुर। उच्चतम न्यायालय ने माओवादी हिंसा की समस्या से
निपटने के वास्ते अपनी ओर से उठाए गए कदमों के बारे में ‘अस्पष्ट’ सूचनाएं
देने के लिए आज छत्तीसगढ़ सरकार को फटकार लगाते हुए उस पर नक्सल-विरोधी
सतर्कता समूह सलवा जुडूम के बारे में जानकारी छुपाने का आरोप लगाया।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी तथा न्यायमूर्ति एस. एस.
निज्जर की सदस्यता वाली पीठ ने कहा ”राज्य सरकार द्वारा दाखिल किए गए
हलफनामे में शासन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी
गई है। उसकी ओर से मुहैया कराई गई सूचना बिल्कुल अस्पष्ट है।”

राज्य सरकार द्वारा दाखिल शपथपत्र पर गौर करते हुए पीठ ने कहा
”छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिए जाते हैं कि वह अदालत में विचार के लिए
लाए गए बिंदुओं पर आधारित समुचित तथा विस्तृत हलफनामा दाखिल करे।”

उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा था कि उसने नक्सल समस्या
से निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं और सलवा जुडूम को भंग करने को लेकर
उसका क्या रुख है। इस सवालों पर राज्य सरकार ने गत 11 अगस्त को हलफनामा
दाखिल किया था।

पीठ ने कहा ”हमने आपके शपथपत्र का अध्ययन किया है। या तो आप कोई बात
दबाना चाहते हैं या फिर आपकी कुछ छुपाने की मंशा है।” न्यायालय ने कहा कि
राज्य सरकार ने हलफनामे में सलवा जुडूम के बारे में कुछ भी नहीं कहा है।

शपथपत्र में लिखी गई भाषा और शैली पर गौर करते हुए न्यायालय ने कहा ”लगता है कि आप उनके बारे में जानकारी को छुपा रहे हैं।”

उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य के माओवाद प्रभावित
जिलों में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों का सामना कर रहे सलवा जुडूम के
खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या का जिक्र नहीं किए जाने पर नाखुशी भी जाहिर
की।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने शपथपत्र में प्रदेश में केन्द्रीय बलों के नियंत्रण वाले स्कूलों और आश्रमों का जिक्र नहीं किया है।

केन्द्र की तरफ से सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम अदालत की पैरवी
सुनने वाली इस अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को केन्द्र के नक्शेकदम पर चलना
चाहिए।

न्यायालय द्वारा राज्य सरकार के शपथपत्र पर नाराजगी जाहिर किए जाने के
दौरान सुब्रमण्यम ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़
सरकार के वकीलों तथा अधिकारियों से बातचीत करने के बाद एक विस्तृत हलफनामा
दाखिल करेंगे।

पीठ ने राज्य सरकार को समुचित शपथपत्र दाखिल करने के लिए छह हफ्तों का समय दिया है।

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